वरिष्ठ नेता अनिल जोशी ने छोड़ी पार्टी, कहा-केवल पंथक राजनीति कर रहा दल
21 नवंबर, 2024 – चण्डीगढ़-पंजाब : अनिल जोशी ने 2021 में भाजपा को अलविदा कहकर शिरोमणि अकाली दल का दामन थामा था। वे किसानों के मुद्दे पर भाजपा से अलग हुए थे।
शिरोमणि अकाली दल बादल में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच माझा से शिअद नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी ने पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता और सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया है। जोशी ने अपना त्यागपत्र पार्टी वर्किंग अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ को भेजा है। वह पार्टी में प्रमुख हिंदू चेहरा थे। त्यागपत्र में जोशी ने पार्टी की मौजूदा नीतियों और कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि पार्टी केवल सांप्रदायिक राजनीति और धर्म आधारित एजेंडे तक सिमट गई है, जिसमें मैं अपने आप को फिट महसूस नहीं करता हूं।
जोशी अमृतसर के विधानसभा क्षेत्र उत्तरी से दो बार विधायक और पूर्व की गठबंधन सरकार में निकाय व उद्योग मंत्री रहे हैं। 2021 में किसान आंदोलन व तीन कृषि कानूनों का समर्थन करने पर जोशी को भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था। तब वह शिअद में शामिल हो गए थे। माझा में अकाली दल ने जोशी को हिंदू चेहरे के रूप में प्रचारित किया था। अकाली दल ने जोशी को 2022 में उत्तरी हलके से ही विधानसभा की टिकट दी और 2024 में अमृतसर लोकसभा सीट से उन्हें चुनाव में उतारा। जोशी दोनों ही चुनाव हार गए थे। अपने त्यागपत्र में जोशी ने स्पष्ट किया कि वह हमेशा धर्मनिरपेक्षता और पंजाब के व्यापक विकास के समर्थक रहे हैं। अकाली दल बादल की मौजूदा दिशा उनके मूल विचारों के अनुरूप नहीं है, जिसके चलते उन्होंने त्यागपत्र देने का फैसला लिया है।
कहा- बादल के निधन के बाद पार्टी की स्थिति ज्यादा खराब हुई
जोशी सुखबीर बादल के खास लोंगों में से एक थे। इस्तीफे में जोशी ने पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की कार्यशैली पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद पार्टी की स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है। सुखबीर सिंह बादल को भी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। जोशी ने इस्तीफे ने शिरोमणि अकाली दल की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी पहले से ही कमजोर स्थिति में है और हाल ही में कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। जोशी ने कहा कि वह अभी किसी पार्टी में नहीं जा रहे हैं।
भाजपा में थे निकाय मंत्री
अनिल जोशी शिअद-भाजपा सरकार (2012-2017) के दौरान स्थानीय निकाय मंत्री थे। उन्होंने 2021 में किसानों के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ जाने पर पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। भाजपा से निष्कासित किए जाने के बाद पूर्व मंत्री अनिल जोशी ने कहा था कि अब वे किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं हैं। अगर उन्हें इजाजत मिली तो वह दिल्ली बार्डर पर जाकर किसानों के जज्बे को सलाम करेंगे। हालांकि कुछ ही दिनों के बाद वे अकाली दल में शामिल हो गए थे।
आत्ममंथन के बाद दिया इस्तीफा
जोशी ने अपने त्यागपत्र में कहा कि वह खुद को पार्टी में मिसफिट पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह शिअद में शामिल हुए थे क्योंकि पार्टी पंजाब के लोगों, किसानों के लिए खड़ी थी लेकिन अब ऐसा नहीं लग रहा। उन्हें अकाली दल में अपने लिए कोई जगह नहीं दिख रही है। उनका मकसद लोगों का विकास था। आत्ममंथन के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे कि अब पार्टी में बने रहना असंभव है। जोशी ने अपने इस्तीफे में लिखा कि पार्टी में जो असली मुद्दे हैं, उनकी बात ही नहीं हो रही। अब पार्टी केवल धर्म और पंथक एजेंडे में उलझ गई है।
अमृतसर उत्तरी सीट से रह चुके हैं विधायक
अनिल जोशी अमृतसर उत्तरी विधानसभा सीट के पूर्व विधायक हैं। उन्होंने भाजपा के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। कृषि कानूनों के समय वे पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए थे।
सौजन्य : अमर उजाला
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