रजिन्द्र बंसल
दिल्ली में गलत ढंग से बने अवैध वोटों पर बहुत सी चर्चायें हो रही हैं। दिल्ली में गलत ढंग से बने चुके वोटों की पोलिंग रोकने के लिए ये उपाये किया जा सकता हैं।सभी पार्टियों कैंडीडेट, मंडल व बूथ प्रभारी बिना मकान नंबर के वोटरों/जहां उस घर में रहने की क्षमता से अधिक वोट बने हैं/ कमर्शियल नान रैजीडैंशियल पर बने अत्याधिक वोटों की सूची बनायें।
इसके बाद प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के कैंडीडेट,पार्टी प्रधान उपरोक्त तैयार की गई संदिग्ध वोटर सूचियों के साथ विधान सभा क्षेत्र के चुनाव अधिकारी, प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी व चीफ इलैक्शन कमीशन आफ इंडिया को मांग पत्र दें।
जिसमें ऐसे वोटरों से उनके वोटर कार्ड एड्रैस के इलावा उनका वर्तमान वोट एड्रैस वाला एक साल पुराना आधार कार्ड/ बैंक की पास बुक / उसी एड्रैस वाले घर के मुखिया या मुहल्ले वाले से उसकी पहचान वैरीफाई करवाना ( जिसे बाद में उस व्यक्ति को ढूंढना उसकी जिम्मेदारी हो) जरूरी करवाया जाये। जिसका पार्टी के पोलिंग एजेंट पूरा रिकार्ड बनायें।
ऐसे संदिग्ध अनिवासी वोटरों से वोट डालने से पहले चुनाव आयोग प्री प्रिंटिड प्रोफार्मा साईन करवाये। जिसमें वह घोषणा करें कि मैं इस विधान सभा क्षेत्र में इस एड्रेस पर किरायेदार / परिवारिक घर में रहता हूं/रहता था। इसके इलावा मेरा वोट कहीं और पर नहीं है। और न ही पिछले लोकसभा चुनाव में मेरा वोट कहीं और बना था। मैनें उस समय अपना वोट और किसी भी अन्य बूथ में नहीं डाला था।
अगर इसमें कोई तथ्य गलत निकले तो चुनाव के बाद भी चुनाव आयोग कानून के अनुसार मेरे खिलाफ कारवाई करने का अधिकारी होगा।
इसके साथ ही चुनाव आयोग हर बूथ पर उसके बी एल ई ओ को आधार कार्ड से लिंक्ड फिंगर प्रिंट डिवाइस व लेपटाप के साथ बूथ अधिकारी को बिठाये जो ऐसे वोटरों के नाम व पते की पहचान आधार कार्ड से मिलाये।
इसके साथ ही कुछ पर्दा प्रथा व बुर्का प्रथा के चलते जो माता बहिनें अपना चेहरा दिखा पहचान करवाना धार्मिक मान्यताओं का हनन मानती हैं। उनकी पहिचान भी फिंगर प्रिंट के माध्यम से की जाये।इन मांगों को चुनाव आयोग को अविलम्ब स्वीकारकर साकारात्मक कदम उठाने की मांग की जाये।मेरी समझ में वोट कटवाने की समय सीमा खत्म होने के बाद गलत ढंग से बने वोटों की पोलिंग रोकने का यही सही रास्ता हो सकता है ।।
लेखक एक स्वतंत्र विचारक और विश्लेषक हैं
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