परिवहन विभाग:इलेक्शन में लगी बसों के अभी तक भी नहीं मिले पैसे, 14 हलकों में लगी थी 1100 बसें
01 मार्च, 2023 – लुधियाना : चुनाव हुए व सरकार बने एक साल बीते, लेकिन चुनावों में इस्तेमाल होने वाली बसों के पैसे अभी तक नहीं दिए गए। जिसके लिए बस चालक परेशान हो रहे हैं। बता दें कि इलेक्शनों के दौरान 14 हलकों में 1100 बसें लगाई गई थी। जिसमें से 450 के करीब बसें स्कूल की थी। पैसे लेने के लिए परेशान हो रहे स्कूल बस एसोसिएशन के सदस्य आरटीए ऑफिस व एसडीएम के पास पैसे के लिए भटक रहे है।
परंतु कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। हालाकि एसडीएम द्वारा एक सप्ताह में पैसे देने का आश्वासन दिया गया है। स्कूल बस वेल्फेयर एसो. के प्रधान इंदरजीत सिंह रिक्की, कैशियर पुष्पिंदर सिंह जौली व सुखविंदर पाल सिंह लाली एक साल से विभाग द्वारा पैसे न मिलने व अन्य समस्याओं को लेकर आरटीए सचिव पूनम प्रीत कौर से मिले और समस्याएं बताईं।
मॉडिफिकेशन होने की भी उठाई मांग
उन्होंने आरटीए से स्कूल बसों को मोडिफिकेशन न होने की मांग भी उठाई। उन्होंने कहा कि कुछ स्कूल बसों की आरसी गलत बनी हुई है जिसे मोडिफिकेशन के जरिए ही ठीक किया जाना है। परंतु लंबा समय बीतने पर भी मोडिफिकेशन का काम शुरु नहीं हो पाया है। जबकि इस संबंधी एसटीसी से भी बात हो चुकी है परंतु कोई समाधान नहीं हो पाया है। वहीं एमवीआई द्वारा रोजाना 70 गाड़ियों की पासिंग की जाती है जबकि गाड़ियों की संख्या अधिक है।
आरटीए सचिव पूनमप्रीत कौर ने यूनियन नेताओं को आश्वासन दिया कि चंडीगढ़ में होने वाली मीटिंग में उनके मुद्दों को उठाया जाएगा और मांगों को जल्द से जल्द पूरा करवाने का प्रयास किया जाएगा। वहीं, बसों के पैसों संबंधी एडीसी से हुई मीटिंग में सप्ताह में पैसे दिलवाने का आश्वासन दिया गया।
जोन-ए में गुम हुए बिल
यूनियन नेताओं ने बताया कि 14 हलकों में स्कूल बसों को लगाया गया था। नगर निगम जोन-ए में उनके बसों के कुछ बिल बनाए गए थे जोकि अधिकारियों द्वारा गुम कर दिए गए है। अब बिल न मिलने की हालत में उन्हें पैसे नहीं मिल रहे है। उन्होंने कहा कि स्कूल बस मालिकों की हालत खराब है जिस कारण वह गाड़ियों की पासिंग व अन्य कामों का खर्च नहीं उठा पा रहे है।
अगर पैसे समय पर मिल जाते है तो बस मालिकों अपना कर्ज व खर्च दोनों उठाने में समर्थ होंगे। यूनियन ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनसे बसों की डिमांड आरटीए सचिव द्वारा की जाती है। बसों के आने पर उसकी जिम्मेदारी संबंधित आरओ को सौंप दी जाती है। चुनाव के बाद आरओ की ओर से बिल बनाकर साइन करने होते है। जोकि वह नहीं करते। जिस कारण बस चालकों को परेशान होना पड़ता है।
नए आरटीए सचिव का एसोसिएशन ने पहले स्वागत किया गया। फिर उन्होंने चुनाव में लगाई गई बसों के एक साल बीतने पर भी पैसे न मिलने व कमर्शियल बसों की मॉडिफिकेशन न होने संबंधी चर्चा किया। यूनियन के नेताओं ने बताया कि चुनाव हो या कोई सरकारी रैली हर बार आरटीए द्वारा ही उनकी बसों की मांग की जाती है और हर बार ही पैसे देने में देरी की जाती है।
जिससे बसों का काफी नुकसान भी होता है। दो-तीन आरटीए बदल चुके है। परंतु उनके पैसों की भरपाई आज तक नहीं हुई है। जबकि चुनाव में चार दिन वह पूरी मेहनत करते हैं। जिसमें गाड़ियों को पूरी तरह से तैयार करना, जीपीएस सिस्टम लगाना आदि शामिल रहता है।
सौजन्य : दैनिक भास्कर
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