रजिन्द्र बंसल
बात 1988 के आसपास की है।सर्दी के दिन थे। मैं दिल्ली से अबोहर के लिये ट्रेन से चला। मेरी रिजर्वेशन गंगानगर कोच की बजाय सूरतगढ़ कोच में थी। सुबह करीब साढ़े चार बजे कोच बदल अबोहर वाले कोच में जा उपर वाली सीट पर सोने की इच्छा से बिस्तर लगा रहा था। नीचे बैठे व्यक्ति जिसके साथ उसकी पत्नी व दो छोटे बच्चे थे ने मुझे कहा कि आप ये सीट बच्चों को दे दो। नीचे बहुत सर्दी है। उसके पास सर्दी का मौसम में रात के सफर कम कपड़े के साथ होने का कारण पूछा तो वो बोला “हमें पता नहीं था कि यहां इतनी सर्दी होगी।” साथ ही उसने बताया कि वो पाकिस्तान से आया है।
उसकी बात सुन मैनें सोने का लालच छोड पाकिस्तान के बारे में जानने के लिये नीचे ही बैठ गया। उसके करीब 6-7 साल के बेटे व 3-4 साल बेटी को अपना ब्लैंक्ट दिया। उसका धर्म जानने की मंशा से मैनें उसके बेटे का नाम पूछा। बच्चे की जगह उस व्यक्ति ने उसका हिन्दू नाम बताया।
तब मैने उसको पाकिस्तान में रह रहे गैर मुस्लिम की स्थिति का पूछा। उसने बतलाया कि लाहौर वगैरह में वो अपने त्यौहार नहीं मना सकते। त्यौहार मनाने के लिये सिंध चले जाते हैं। बस मना लेते हैं। 65 व 71 की वार टाईम के बारे में पूछने पर वह बोला” उन दिनों हिन्दुओं के साथ साथ कनवर्टिड लोगौं को भी शक से देखा जाता है।” तब उनकी हालत अच्छी नहीं होती। “
इस तरह हमारी वार्ता लगभग खत्म हो चुकी थी। पर सफर अभी बाकी था। मैने टाईम पास की मंशा से उसकी 3-4 साल की बेटी से नाम पूछा मुझे समझ नहीं आया। तो उस व्यक्ति ने उसका मुस्लिम सा लगने वाला नाम बताया। तब वैसे ही मैने उसके बेटे का नाम पूछा तो उस बच्चे ने भी अपना मुस्लिम नाम ही बताया। मेरी तरफ देख वह व्यक्ति बोला घर में हम इसे हिन्दु नाम बुलाते है। पर स्कूल में हिन्दू नाम के कारण दूसरे बच्चे राम राम कह चिढ़ाते हैं। बच्चों को हीनभाव से बचाने के लिये स्कूल में ज्यादातर हिन्दू बच्चों के नाम मुस्लिम वाले ही लिखवाते हैं।
अबोहर में उतर मैं उन सबके लिये चाय ले कर गया। तब वह बोला कि अबोहर में मेरे फलां फलां रिश्तेदार हैं। उनसे कहना कि गंगा नगर मुझे मिलने आ जायें। तब मैने पूछा कि आपका नाम क्या बताऊँ? तब उसने अपना मुस्लिम नाम बताया। और बताया कि वह भी कनवर्टिड है। ये बोलते हुऐ उसकी आवाज़ व चेहरे पर दर्द के भाव देख मेरे अंतर्मन में सिहरन सी दौड गई।
अगर एन आर सी व नागरिकता बिल में संशोधन की तरफ पहली सरकारों ने प्रयास किया होता। तो पाकिस्तान में रहे लगभग 1करोड़ हिन्दु सिख व अन्य गैर मुस्लिम अपना धर्म बदलने पर मजबूर न होते। और अपने धर्म पर चल जेहादी उत्पीड़न से भी बच जाते। वो चाहते तो भारतीय नागरिकता पा सर्वधर्म सम्भाव के वातावरण में सुख चैन से जी रहे होते।
अबोहर
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