विदेश पर भी कम होगी निर्भरता; नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को लेकर केंद्र सरकार का बड़ा प्लान
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों का जीवन स्तर सुधारने को लेकर सरकारों की ओर से तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी दिशा में एक और पहल करते हुए केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ और झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए अहम प्रोजेक्ट शुरू किया है जिससे किसानों की आमदनी बढ़ने के साथ-साथ विदेश पर निर्भरता भी कम होगी।
09 सितम्बर, 2024 – नई दिल्ली : सरकार झारखंड और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों और आदिवासी क्षेत्रों में दलहन की खेती (विशेष रूप से अरहर और उड़द) को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार की इस पहल का उद्देश्य दलहन के राष्ट्रीय उत्पादन को बढ़ाने के साथ किसानों की आय में वृद्धि करना है।
यह एक तरह का पायलट प्रोजेक्ट है और अगर यह सफल रहता है तो इसका देशभर में विस्तार किया जाएगा। सरकार की इस पहल से दलहन के आयात पर भारत की निर्भरता कम हो सकती है। परियोजना के संचालन काम संभालने वाली भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) ने झारखंड में चार और छत्तीसगढ़ में पांच जिलों को चिह्नित किया है।
इन जिलों को किया गया है शामिल
एनसीसीएफ की प्रबंध निदेशक अनीस जोसेफ चंद्रा ने बताया, ‘हम झारखंड और छत्तीसगढ़ के चुनिंदा नक्सल प्रभावित और आदिवासी क्षेत्रों में इस खरीफ सीजन में अरहर और उड़द उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं। लक्षित जिलों में छत्तीसगढ़ का राजनंदगांव, जसपुर, बस्तर और मोहला मानपुर और झारखंड में पलामू, कटिहार, दुमका और गरवा शामिल हैं। चालू खरीफ सीजन के लिए संकर बीज वितरित किए गए हैं।’
उन्होंने कहा कि किसानों को सहकारी समिति को अपनी उपज बेचने के लिए एनसीसीएफ के ई-संयुक्त पोर्टल पर पहले से पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जो किसान तकनीक से इतना परिचित नहीं है, उनके लिए ऑफलाइन आवेदन उपलब्ध हैं। एनसीसीएफ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालों की खरीद करेगा, लेकिन अगर बाजार मूल्य एमएसपी से अधिक है तो किसान निजी व्यापारियों को बेच सकते हैं।
आय में सुधार, आयात में भी आएगी कमी
चंद्रा ने कहा, ‘सुनिश्चित खरीद किसानों को खेती का विस्तार करने और अपनी आय में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करेगी, जबकि भारत के दाल आयात को कम करने में मदद करेगी। सरकारी स्टॉक के लिए दालों की खरीद करने वाला एनसीसीएफ को इस पहल के माध्यम से अपने लक्ष्य की आधी मात्रा प्राप्त करने की उम्मीद है।’
17 लाख से अधिक पाम आयल पौधे लगाए गए
राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-आयल पाम के तहत चलाए गए अभियान के तहत विभिन्न राज्यों में 12,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में 17 लाख से अधिक पाम आयल पौधे लगाए गए हैं। 15 जुलाई को शुरू किए गए इस अभियान ने देश में पाम आयल की खेती को बढ़ाने की दिशा में विभिन्न राज्य सरकारों और पाम आयल प्रोसेसिंग कंपनियों के सामूहिक प्रयासों को दिखाता है।
15 सितंबर, 2024 तक चलने वाले इस अभियान में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा सहित कई राज्यों से उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई है। अगस्त 2021 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन-आयल पाम का उद्देश्य पाम आयल की खेती का विस्तार करना और कच्चे पाम तेल के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
भारत है दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और नंबर एक वनस्पति तेल आयातक है और यह अपनी लगभग 60 प्रतिशत जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है। इसका एक बड़ा हिस्सा पाम आयल और इसके डेरिवेटिव हैं, जिन्हें इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किया जाता है।
सौजन्य : दैनिक जागरण
test