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कोरोना के नए वैरिएंट्स से बचना है तो डबल डोज लेना है जरूरी

July 15, 2021 By Guest Author

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जयदेव सिंह

कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ गई है। रोज आने वाले केस 40 हजार के आसपास आ चुके हैं। जून से वैक्सीनेशन ने भी रफ्तार पकड़ी है, लेकिन अब भी कई ऐसे लोग हैं जो केस कम होते ही वैक्सीनेशन से बच रहे हैं। वहीं कई लोग ऐसे हैं जो वैक्सीन की एक डोज लगवाने के बाद ही पूरी तरह लापरवाही बरत रहे हैं।

कुछ लोगों का कहना है कि मुझे कोरोना हुआ। उसके बाद मैंने वैक्सीन की एक डोज ले ली। अब मुझे दूसरे डोज की कोई जरूरत नहीं है। आखिर कहां तक ये बात ठीक है।

दूसरी डोज क्यों जरूरी है? दोनों डोज लगवाने के बाद आप कितने समय तक प्रोटेक्टेड हो जाएंगे? क्या भारत को भी ब्रिटेन की तरह कोवीशील्ड के दो डोज के बीच का गैप कम कर देना चाहिए? क्या दो डोज के बाद तीसरे डोज भी जरूरत पड़ेगी?

इन सभी सवालों पर हमने महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया से बात की। आइए उनसे ही जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब…

वैक्सीन की दूसरी डोज क्यों जरूरी है?
दूसरी लहर में हमने कोरोना की भयावहता को देखा। इसमें पता चला कि ये महामारी कितनी घातक हो सकती है इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है, लेकिन इसके साथ ही इसने हमें तीसरी लहर से निपटने के बेहतर तरीके भी बताए।

हमें ये समझना होगा कि कोरोना के संक्रमण से बचने का वैक्सीनेशन ही एकमात्र रास्ता है। उसमें भी वैक्सीन का दूसरा डोज सबसे अहम है। जब तक आप दोनों डोज नहीं लगवा लेते आप संक्रमण के खतरे से पूरी तरह दूर नहीं हुए हैं।

अगर भारत की बात करें तो देश में कोरोना की तीनों वैक्सीन डबल डोज वैक्सीन हैं। ऐसे में अगर आपने वैक्सीन का एक डोज ले लिया है तो हर हाल में दूसरा डोज जरूर लें। कोवीशील्ड का दूसरा डोज पहले डोज के 12 हफ्ते बाद लगेगा। अगर आपने वैक्सीन का पहला डोज कोवैक्सिन का लिया है तो आप 4 से 6 हफ्ते के बीच दूसरा डोज लगवा सकते हैं।

मुझे कोरोना हो चुका है, वैक्सीन की पहली डोज लगवा ली है अब क्या दूसरी की जरूरत है?
WHO का कहना है कि कोरोना से ठीक होने के बाद आपके शरीर में बनी एंटीबॉडी कितने लंबे समय तक रहेंगी ये तय नहीं होता है। ऐसे में कोरोना की वैक्सीन को बूस्टर डोज की तरह लेना चाहिए, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप एक डोज से पूरी तरह सुरक्षित हो जाएंगे। अब तक की रिसर्च बताती हैं कि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ अधिकांश वैक्सीन के एक डोज 30 से 35% ही इफेक्टिव हैं। दोनों डोज लगवाने पर ये इफेक्टिवनेस 80 से 90% तक हो जाती है। ऐसे में दोनों डोज लेना आपको ज्यादा सुरक्षित करेगा।

जिन लोगों को संक्रमण हो चुका है उनके लिए एक डोज काफी होता है, लेकिन ये बात अलग-अलग लोगों के इम्यून सिस्टम पर भी निर्भर करती है। उदाहरण के लिए जिन लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लग जाते हैं वो भी 80% तक ही प्रोटेक्टेड होते हैं। यानी 20% संक्रमण का खतरा उन्हें भी होता है। हम ये गारंटी नहीं ले सकते हैं कि दोनों डोज लग गए हैं तो उन्हें कोरोना नहीं होगा। और अगर नए वैरिएंट की वजह से कोरोना होता है तो उसके बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता है।

दूसरी डोज लगवाने के बाद क्या मैं पूरी तरह सुरक्षित हो जाऊंगा?
आपको कोरोना हो चुका हो और आपने दोनों डोज लगवा लिए हैं। उसके बाद भी सभी को कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करना ही चाहिए, क्योंकि पूरी तरह वैक्सीनेट होने के बाद भी वैक्सीन लगवाया व्यक्ति तो प्रोटेक्ट हो जाता है, लेकिन वो संक्रमण उसी तरह फैला सकता है जिस तरह बिना वैक्सीन लगा व्यक्ति। इसलिए समाज के प्रति जिम्मेदार होते हुए दोनों डोज लगने के बाद भी मास्क पहनना, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना आदि बंद नहीं करें।

दोनों डोज लगवाने के बाद कितने समय तक मैं कोरोना से प्रोटेक्टेड हो जाऊंगा?
फिलहाल ये माना जा रहा है कि दोनों डोज लेने के बाद 6 से 11 महीने तक 80% लोग प्रोटेक्टेड रहते हैं। दोनों डोज लगने के बाद अगर कोरोना होता भी है तो या तो इसके कोई लक्षण नहीं होते या फिर हल्के लक्षण होते हैं। वैक्सीन की एक डोज आपको संक्रमण से बचाती तो है, लेकिन उसकी एफिकेसी कम होती है। दोनों डोज लगने पर वैक्सीन ज्यादा इफेक्टिव होती है।

ब्रिटेन के रिसर्चर्स की एक स्टडी बताती है कि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोग तो सुरक्षित रहे, वहीं वैक्सीन की एक डोज लगवाने वालों का प्रोटेक्शन डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कम था। अमेरिका में तो CDC ने पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों के लिए एक साथ पब्लिक गैदरिंग और मास्क फ्री रहने की भी अनुमति दे दी है। यानी हम जितनी जल्दी पूरी तरह वैक्सीनेट होंगे उतनी जल्दी हमारे देश में भी इस तरह की स्थितियां बनेंगी।

क्या फ्लू की वैक्सीन की तरह कोरोना की वैक्सीन भी एक निश्चित समय के बाद लगवानी होगी? ऐसा कब तक और कितने समय में करना होगा?
अभी इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। कुछ नए एविडेंस आ रहे हैं। खासतौर पर mRNA बेस्ड वैक्सीन में। उसमें ये सामने आया है कि इम्यूनिटी और लंबे समय तक रह सकती है। जो लोग पिछले साल अप्रैल में क्लिनिकल ट्रायल में शामिल थे। उनमें अभी भी प्रोटेक्शन बरकार था। ऐसे में हो सकता है कि बूस्टर डोज दो साल में एक बार देना पड़े, हो सकता है कि एक साल में देना पड़े, लेकिन अभी इस बारे में कुछ कहना मुश्किल है।

हालांकि, इस तरह के जो वायरस होते हैं इनमें बदलाव होते रहते हैं। ऐसे वायरस के खिलाफ बूस्टर डोज की जरूरत पड़ती है। नए वैरिएंट के खिलाफ न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी की जरूरत ज्यादा होती है। ऐसे में भी बूस्टर डोज की जरूरत पड़ेगी। हालांकि, वैक्सीन में बदलाव की जरूरत नहीं दिखाई दे रही है।

थर्ड वेव को डिले करने के लिए कोवीशील्ड के दोनों डोज के बीच का गैप कम करना क्या ज्यादा बेहतर कदम नहीं होगा?
ब्रिटेन ने मई में कोवीशील्ड की दो डोज के बीच गैप कम करना शुरू किया, लेकिन तब तक उनकी 50% से ज्यादा आबादी को एक डोज लग चुका था। इसमें भी पहले 50 साल से ज्यादा वालों के लिए ऐसा किया गया। ज्यादा आबादी को सिंगल डोज कवरेज होने के बाद ऐसा किया जा सकता है।

भारत की मौजूदा स्ट्रैटजी बिल्कुल ठीक है। जब तक ज्यादा से ज्यादा आबादी का सिंगल डोज कवरेज नहीं हो जाता तो ऐसा नहीं करना चाहिए। वैसे भी सिंगल डोज की इफेक्टिवनेस भी 71% है। यानी ऐसे में लोगों को गंभीर बीमारी नहीं होगी। ऐसा जरूर है कि जब कवरेज बढ़ जाएगा तब इस बारे में विचार किया जा सकता है।

इजराइल में तो वैक्सीन का तीसरा डोज देने की शुरुआत हो गई है, उसका क्या?
इजराइल कोरोना वैक्सीन का तीसरा डोज लगाने वाला पहला देश है। सरकार ने कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के केस बढ़ने पर यह फैसला लिया है। यहां के अस्पतालों में कोरोना के 81 मरीज भर्ती हैं। इनमें से 58% कोरोना का टीका लगा चुके हैं।

तीसरा डोज किसे और कब दिया जा सकेगा?
वैक्सीन कंपनी फाइजर-बायोएनटेक का दावा है कि तीसरा डोज डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ और ज्यादा प्रभावी होगा। हालांकि, तीसरा डोज केवल कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को दिया जाएगा। विशेषकर वे लोग जो हृदय, फेफड़े या कैंसर की बीमारी से पीड़ित हैं।

फाइजर के मुताबिक दूसरे डोज के छह महीने बाद तीसरा डोज दे सकते हैं। यह डोज दूसरे डोज के छह से 12 महीने के भीतर देना चाहिए।

क्या एक्सपर्ट भी कंपनी के दावों से सहमत हैं?
अमेरिका के हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि तीसरे डोज को लेकर फाइजर का दावा अवसरवादी और गैर जिम्मेदाराना है। इतनी जल्दी तीसरी डोज की उपयोगिता साबित नहीं की जा सकती। इसके लिए कई महीने के डेटा की स्टडी की जरूरत होगी।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि तीसरा डोज लेना जरूरी नहीं है। वह भी ऐसे वक्त जब दुनिया के कई बड़े हिस्सों में टीकाकरण की दर बहुत कम है। साथ ही टीके की आपूर्ति सीमित है। धनी देशों के लोगों को अतिरिक्त डोज देना अदूरदर्शी है।

https://www.bhaskar.com/db-original/explainer/news/covishield-covaxin-vaccine-2nd-dose-all-you-need-to-know-from-epidemic-expert-128703250.html

 


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I feel so sorry for this guy! His whole life has been wasted. What a pity! https://twitter.com/vinodkapri/status/1622472372627607552

Vinod Kapri @vinodkapri

असल ज़िंदगी में ZOMBIES देखे हैं ?

अगर नहीं, तो @neeraj_jhaa दिखा रहे हैं।

ऐसे Zombies की पूरी सेना तैयार हो चुकी है , जिसे भारत के क़ानून , संविधान की कोई परवाह नहीं है।

Reply on Twitter 1622486921162428417 Retweet on Twitter 1622486921162428417 391 Like on Twitter 1622486921162428417 2052 Twitter 1622486921162428417
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chatterchatru sweetBhartiiye @chatterchatru ·
5 Feb

विवाह समारोह में रक्त दान कैंप का आयोजन किया गया।

प्रशंसनीय कार्य
👏👏👏

Reply on Twitter 1622184000742883328 Retweet on Twitter 1622184000742883328 138 Like on Twitter 1622184000742883328 143 Twitter 1622184000742883328
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