पंजाब में पिछले एक-डेढ़ साल से गरीब और जरूरतमंद लड़कियों को विदेश में अच्छी नौकरी-सैलरी का झांसा देकर खाड़ी देशों में लगातार भेजा जा रहा है। वहां उन्हें बंधक बनाकर दर्दनाक यातनाएं दी जाती हैं। पंजाब के खासकर जालंधर कपूरथला फिरोजपुर जिलों से लगे गांव की सबसे ज्यादा लड़कियां फंस रही हैं। प्राइम ने ऐसे पीड़ितों और पंजाब के प्रभावित क्षेत्रों की ग्राउंड रिपोर्ट कर मामले की पड़ताल की।
जालंधर और सुल्तानपुर लोधी से लौटकर संदीप राजवाड़े (पड़ताल की पहली किस्त)
पिछले कुछ सालों के दौरान पंजाब में गरीब और जरूरतमंद लड़कियों को अच्छी नौकरी और सैलरी का झांसा देकर अवैध दलाल खाड़ी देश में भेज रहे हैं। हालात यह हैं कि खाड़ी देश जाने वाली 10 में से दो या तीन लड़कियां ही दर्दनाक प्रताड़ना झेलने के बाद किसी तरह अपने देश-घर वापस आ पा रही हैं। काम के नाम पर ओमान, सीरिया, इरान, ईराक जैसे खाड़ी देशों में फंसी लड़कियों को वहां शारीरिक व मानसिक तौर पर खूब प्रताड़ित किया जाता है। उन्हें इस कदर तक टॉर्चर किया जाता है कि उनकी आपबीती सुन आप कांप उठेंगे। सुबह चार बजे से लगातार 20-22 घंटे काम.. न खाना न पानी और काम न करने और घर जाने की बात पर बंधक बनाकर मारपीट। पिछले डेढ़-दो सालों के दौरान पंजाब के अलग-अलग जिलों में अवैध दलाल 10वीं, 12वीं पास या गरीब-जरूरतमंद लड़कियों को ज्यादातर निशाना बना रहे हैं। उन्हें मॉल, ऑफिस, दुकान या घर में काम करने के बदले हर महीने 40-50 हजार रुपए सैलरी व रहना-खाना फ्री का झांसा देते हैं। खाड़ी देश में फंसी अब तक कुल 104 लड़कियां दलालों के चंगुल से निकल गई हैं, उनमें से 97 विदेश मंत्रालय की मदद से अपने देश-घर 104 लड़कियां पहुंच गईं हैं और बाकी 7 वहां दूतावास के संरक्षण में हैं। बचकर आईं पीड़ितों के अनुसार अभी भी पंजाब के अलग-अलग जिलों की युवतियां वहां फंसी हुई हैं। पिछले दो साल के दौरान घर लौटी लड़कियों के आंकड़ों से पता चला कि पंजाब के जालंधर, कपूरथला जिलों की ज्यादा लड़कियां इस तरह के झांसे में फंस रही हैं। आखिर कैसे पंजाब की बहू-बेटियां ऐसे झांसे में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रही हैं? इसकी तह तक जाने के लिए जागरण प्राइम ने जालंधर, सुल्तानपुर लोधी और कपूरथला के पीड़ित परिवार के गांवों का दौरा किया। पता चला कि वहां अवैध दलालों का का जाल बिछा हुआ है। ये लड़कियां परिवार की आर्थिक मदद करने की बात सोच सीरिया, ओमान, ईरान, इराक, दुबई, सऊदी अरब तथा अन्य देश चली जाती हैं। लेकिन वहां पहुंचते ही उनके साथ मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना का दौर शुरू हो जाता है। जागरण प्राइम ने इस मामले में पड़ताल करने के साथ खाड़ी देशों से किसी तरह बचकर आई लड़कियों से उनकी आपबीती सुनी।
सबसे ज्यादा लड़कियां जालंधर- कपूरथला की, गुजरात, उप्र, बंगाल की भी लौटी
पंजाब से विदेश में नौकरी के झांसे में आकर अरब देशों में फंसी लड़कियों को विदेश मंत्रालय की मदद से उनके घर वापस लाया जाता है। बंधक बनी और फंसी लड़कियों को वापस लाने में प्रयास करने वाले राज्यसभा सांसद संत बलवीर सिंह सीचेवाल के कार्यालय की तरफ से घर लौटने वाली लड़कियों की फाइल व सूची तैयार की जाती है। इसमें जनवरी 2023 से अब तक 104 से ज्यादा लड़कियों के दलालों के चंगुल से निकलकर अपने घर-देश व दूतावास के पास होने की जानकारी है। सूची से मिले आंकड़ों के अनुसार सबसे अरब देशों में नौकरी के झांसे में लड़कियां सिर्फ पंजाब से ही नहीं जा रही हैं, बल्कि गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, झारखंड, हिमाचल प्रदेश से भी गईं हैं। उनमें से कुछ लड़कियों को वापस लाया गया है। विदेश में फंसी लड़कियों को वापस लाने के दौरान जानकारी मिली कि सबसे ज्यादा लड़की जालंधर जिले की (23), कपूरथला (19), तरनतारन (10), फिरोजपुर (14) और मोगा (8)की हैं। इसके अलावा लुधियाना (2), बरनाला (2), अमृतसर (2), गुरदासपुर (2), फरीदकोट (1), होशियारपुर (1),रुपनगर (1), फाजिल्का (1), नवा शहर (1), धरमकोट (1) और मुक्तसर साहिब (1) लड़कियां पास आईं। इसके खाड़ी देश से लौटने वाली में केरल, मुंबई, गुजरात, प. बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और उप्र की एक-एक लड़कियां भी हैं।
केस 01-50 लोगों के परिवार का काम करवाते, बाथरूम में छिपकर नमक-चावल खाती थी
जालंधर निवासी 35 साल की आशा (बदला हुआ नाम) अपने दो बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए एजेंट के बहकावे में आकर ओमान चली गईं। वे इस जीवन में घर लौटने की उम्मीद छोड़ चुकी थीं। आशा की आपबीती..
दोहा (कतर) में रहने वाली मेरी परिचित एक लड़की ने बताया था कि वहां अच्छी नौकरी है। मैं वहीं जाना चाहती थी। मैंने कतर जाने के लिए पैसे भी एजेंट को दे दिए। बाद में उसने कहा कि कतर में नौकरी नहीं है, ओमान के मस्कट जाना होगा। मैंने पहले तो मना कर दिया कि वहां किसी को नहीं जानती हूं। लेकिन एजेंट, जो लुधियाना का था, मेरे पैसे नहीं लौटा रहा था। आखिर नौकरी व अच्छे पैसे के लिए मैं 19 जनवरी 2024 को मस्कट के लिए निकल गई। कतर वाली लड़की ने मेरे घर से निकलने के बाद घरवालों को फोन भी किया था कि उसे ओमान मत भेजो, वहां गलत काम कराते हैं, बहुत प्रताड़ित करते हैं। लेकिन तब तक मैं वहां पहुंच चुकी थी।
मैंने वीजा व कागजात के लिए एजेंट को 80 हजार रुपए दिए थे। उसने 30 हजार रुपए महीने की नौकरी की बात कही थी। जाते समय अमृतसर में एक लड़की मिली, वह भी वहां जा रही थी। 20 जनवरी को हम मस्कट एयरपोर्ट पहुंचे, हमें लेने एक ड्राइवर आई थी। एयरपोर्ट पर देखा कि हम दोनों ही नहीं, पंजाब, हैदराबाद, हिमाचल की लड़कियों के अलावा श्रीलंका, नेपाल, केन्या की लड़कियां भी थीं। एयरपोर्ट से मुझे एक ऑफिस में ले जाया गया। वहां मेरा पासपोर्ट, फोन, कागजात और सामान छीन लिए गए। मैंने मना किया तो कहने लगे कि यहां का रूल है। वहां मेरे अलावा 35-40 लड़कियां चार कमरों में थीं। हमसे बात करने के लिए एक हैदराबादी महिला थी। हमें रूम में लॉक कर दिया। वहां का माहौल देख सभी लड़कियां रोने लगीं।
तीन-चार दिन वहां रखने के बाद मुझे 24 जनवरी को मस्कट के एक परिवार के घर काम के लिए भेजा गया। परिवार में एक बुजुर्ग पति-पत्नी, उनके 14 बच्चे, उन 14 बच्चों के और बच्चे, 50-60 लोगों का परिवार था। उनके घर का सारा काम मुझे अकेले करना पड़ता था। सुबह 4 बजे से रात 2 बजे तक काम करती थी। आराम नहीं कर सकती थी। खाना भी उनके अनुसार बनाना होता था। वे ऊंट भी खाते थे। खाना बनाने के साथ कपड़े धोना, घर के काम करना और उनके बच्चों को भी देखना पड़ता था।
मैंने वहां 15 दिन काम किया। उनका एक लड़का मेरे साथ दुर्व्यवहार करने लगा तो मैंने काम करने से मना कर दिया। इस पर वे लोग मारपीट करने लगे। कुछ दिन बाद मुझे दूसरे घर में भेज दिया गया। वहां भी इसी तरह के हालात थे, बड़ा परिवार था और सुबह से देर रात तक काम करना होता था। वहां तो मेरे कमरे में दरवाजा तक नहीं था, सिर्फ पर्दा लगा होता था। बिना दरवाजा वाले कमरे में रात को सोने में डर लगता था। कतर वाली मेरी सहेली से मैंने चोरी-छिपे रात 2 बजे फोन पर बात की और कहा कि यहां नहीं रहना है। यह बेहद असुरक्षित है। मेरे बच्चों से भी बात नहीं करवाते थे। दूसरे घर में कोई पैसा मुझे नहीं मिला। पहले घर में ही मुझे 10 हजार रुपए 15 दिन काम के मिले थे, जिसे मैंने बच्चों की फीस के लिए भिजवा दिया था।
किचन में सीसीटीवी, खाना नहीं देते थे, रात को मालिश करने को बोलते थे
वे लोग खाना भी नहीं देते थे। कहते थे कि इंडियन का खाना नहीं खाना है। किसी तरह मैं नमक और प्याज के साथ चावल चोरी-छिपे खाती थी। थोड़ा सा चावल अपनी कमीज या कहीं छिपाकर रख लेती थी, बाथरूम में या बर्तन धोते समय ही खा पाती थी। मुझ पर नजर रखने के लिए उन्होंने फ्रिज के सामने सीसीटीवी कैमरा लगा रखा था। उनके फ्रिज में फल व खाने के सारे सामान रहते थे, लेकिन मेरे लिए मनाही थी। अगर मुंह चलाते हुए भी देख लिया तो मार पड़ती थी। इस तरह चार महीने अलग-अलग घरों में काम किया। काम से मना किया तो एजेंट ने मुझे ऑफिस में बंधक बनाकर रखा। वहां मुझे भारत की लड़कियों के साथ नहीं बल्कि अलग भाषा बोलने वाली म्यांमार की लड़कियों के साथ रखा गया ताकि मैं किसी से अपनी बात न कह पाऊं। लेकिन उनसे थोड़ी-बहुत बातचीत होने लगी थी। ऑफिस का बॉस रात को लड़कियों को मालिश के लिए अपने कमरे में बुलाता था। एक रात मुझे भी बुलाया गया। मैं सोची कि काम को लेकर बात होगी, लेकिन उसने तेल देते हुए मालिश करने को कहा। मैंने मना कर दिया और अपने कमरे में लौट आई। इसके बाद वह मुझसे शादी की बात कहने लगा, जबकि उसकी पहले से दो शादी हो चुकी थी, बच्चे भी थे। एजेंट ऑफिस वाली मैडम बोलती थी कि इससे शादी कर लो, घर-कार सबकुछ मिलेगा। मैं मना करती तो सब मारते थे। मुझे कमरे में बंद करके रखते, दो-दो दिन खाना नहीं देते थे। दो-दो चम्मच खाना देते थे।
कुछ दिनों बाद मुझे हैदराबाद की लड़कियों के साथ शिफ्ट कर दिया। एक रात सभी लड़कियों ने साड़ी-कपड़े बांधकर तीसरी मंजिल से भागने की तैयारी की। 20 से ज्यादा लड़कियां भागने को तैयार हो गईं। एक लड़की भागकर पुलिस के पास पहुंची, लेकिन पुलिस ने उस लड़की को वापस वहीं एजेंट के पास छोड़ दिया। उसके बाद वह लड़की हमें वहां कभी नहीं दिखी। वह हैदराबाद की थी। सभी लड़कियां डर गईं, कहने लगीं कि अब भागने की मत सोचना। मैंने कहा कि अपने-अपने काम पर निकलो और वहां से अकेले भागने की योजना बनाओ। बिल्डिंग में चारों तरफ कैमरे लगे थे, नीचे गार्ड भी था। एजेंटों को हम पर संदेह हो गया था। वे हमें रात में किसी आदमी के साथ ही काम पर भेजते थे। हमारे साथ एक बुजुर्ग महिला थी, उसने बताया कि पुलिस तुम्हारी मदद नहीं करेगी, भारतीय दूतावास या गुरुद्वारा जाओ। मुझे तीन जोड़ी कपड़ों के साथ पांच दिन के लिए एक जगह काम पर भेजा गया। जिनके यहां काम करने गई थी, वहां से सुबह-सुबह कचरा फेंकने के नाम पर मैं नंगे पैर ही मैं समुद्र की ओर भागी। एक टैक्सी वाले से गुरुद्वारा छोड़ने का आग्रह किया, लेकिन पैसे नहीं होने के कारण उसने मना कर दिया। कुछ दूर जाने पर एक पाकिस्तानी मिला। उसने मुझे दूतावास तक पहुंचाया और अपने फोन से ही मेरे पति से बात कराई। वहां से मुझे शेल्टर रूम में रखा गया। मेरे भागने के बाद एजेंट मेरे घरवालों को धमकाने लगे कि दो लाख रुपए भेजो नहीं तो तुम्हारी पत्नी को मार देंगे। संत बलवीर जी और विदेश मंत्रालय के सहयोग से अपने घर वापस आई।
(केस -02) – न खाना देते थे न पानी, हर दिन करते थे मारपीट, इराक भेज दिया
सुल्तानपुर लोधी से लगे गांव.. की 22 साल की प्रेरणा (परिवर्तित नाम) नौकरी के झांसे में इराक जाकर फंस गई और हाल ही लौटी। प्रेरणा की आपबीती… मुझे एजेंट से विदेश में अच्छी नौकरी के बारे में पता चला। उसने कहा कि वहां मुझे घरेलू काम करने के लिए 50 हजार रुपए महीने मिलेंगे। मैं 14 अप्रैल 2024 को यहां से गई थी। मुझे इराक ले जाया गया। पहुंचने पर पहले मुझे एक ऑफिस में रखा गया, जहां और लड़कियां भी थीं। वहां मुझे एक महीने के लिए रखा। मेरा वीजा खत्म हो गया तो मुझे एक घर में काम करने के लिए भेज दिया गया। वहां सुबह 4-5 बजे से ही काम पर लगाया जाता था, जो रात 12 बजे तक चलता था। वहां न ठीक से खाने को मिलता, न पीने को पानी। वे लोग अक्सर मारपीट भी करते थे। प्यास लगने पर गंदा पानी पीती थी। जल्दी ही मेरी तबीयत खराब हो गई। मैंने एजेंट से कहा कि मुझे भारत भेज दो तो वे कहने लगे कि पहले घरवालों से ढाई लाख-तीन लाख रुपए भेजने को बोलो। मैंने कहा कि इतने पैसे होते तो मैं यहां काम करने क्यों आती।
एजेंट वहां बड़े और अमीर परिवारों से सौदा करके रखते हैं। जिस परिवार के यहां काम पर लड़कियों को भेजना है, उनसे एजेंट दो-दो हजार डॉलर ले लेते हैं। इसके बाद महीने में मिलने वाले 50 हजार रुपए भी ले लेते हैं। जब भी मैं घर जाने की बात कहती, तो एजेंट कहते कि पहले एग्रीमेंट पूरा करो। उनका कहना था कि सालभर काम करो, फिर घर चले जाना। पहले जाना है तो ढाई-तीन लाख रुपए दो। बाबाजी (संत बलवीर सिंह सींचेवाल) से मेरे परिवारवालों ने संपर्क किया था, उनकी मदद से किसी तरह वहां से निकलकर मैं घर लौटी हूं। इराक में जो यातनाएं सही हैं, वह हर दिन डराता है। मुझे डिप्रेशन हो गया है। मेरी सभी लड़कियों से विनती है कि कभी विदेश में नौकरी के नाम पर मत जाओ, वहां नौकरी के झांसे में मत आओ। अपने देश में आधी रोटी खाकर रह लो, वहां भूलकर भी मत जाओ।
(केस तीन) – जॉर्डन बताकर सीरिया भेज दिया, तहखाने में बंद करके रखा
पंजाब के मोगा की रहने वाली 32 साल की तपस्या (बदला हुआ नाम) भी विदेश में नौकरी-अच्छी सैलरी के झांसे में फंस गईं। तपस्या ने वहां किस तरह की यातनाएं सही, उसी की जुबानी…
मैं टूरिस्ट वीजा पर गई थी। घरेलू काम करने के लिए अच्छी सैलरी व फ्री रहने-खाने का लालच दिया था। एजेंटों ने मेरा सीरिया का वीजा लगाया था। मुझे सीरिया नहीं बताया, कहा कि जॉर्डन का एक शहर है सूरिया, वहां जाना है। मेरे परिवारवालों ने मना किया, मैंने भी कहा कि वहां नहीं जाना है। मैंने एजेंट से पासपोर्ट मांगा तो उसने मना कर दिया। कहा कि दो लाख रुपए दो तब पासपोर्ट मिलेगा।
वे मुझे सीरिया ले गए। वहां कुछ दिन ऑफिस में ही तहखाना जैसे कमरे में रखा। कुछ दिन बाद मुझे एक घर में काम के लिए भेजा गया। वहां बहुत बड़ा परिवार था। सुबह से आधी रात तक काम कराया जाता था। वहां की मैडम सुबह 5 बजे से खाना बनवाती थी। वहां और भी लड़कियां थीं। मुझे सिर्फ एक टाइम, रात को खाना दिया जाता था। तब संत बलवीर सिंह बाबाजी से मेरे परिवारवालों ने संपर्क किया। वहां से फाइल बनाकर विदेश मंत्रालय भेजा गया। तब मैं किसी तरह अपने देश पहुंची। मेरी विनती है कि कोई भी लड़की एजेंट के झांसे में आकर विदेश में नौकरी के लिए न जाए। वहां वे पासपोर्ट छीन लेते हैं। फिर पासपोर्ट देने और छोड़ने के नाम पर पैसे मांगते हैं, मारपीट करते हैं और जहां मर्जी बेच देते हैं।
(केस चार)- खूब मारपीट करते थे, खाना भी दो दिन में एक बार
जालंधर की 24 साल की दुर्गा (बदला हुआ नाम) के भाई का कुछ समय पहले एक्सीडेंट हो गया था। परिवार का आर्थिक बोझ कम करने की सोच दुर्गा एजेंट की चंगुल में फंस गई। दुर्गा की आपबीती… एजेंट ने मुझे दुबई में नौकरी और अच्छी सैलरी का झांसा दिया था। पहले वे मुझे दुबई ले गए, वहां हफ्तेभर रखा, इसके बाद ओमान के मस्कट ले गए। वहां ऑफिस में रहने वाली मैडम ने मेरे साथ मारपीट की। वहां रहने वाली सभी लड़कियों के साथ मारपीट की जाती थी। जहां मुझे काम पर भेजा गया, वे लोग भी मेरे साथ मारपीट करते थे। बेल्ट से मारने के मेरे शरीर पर कई निशान हैं। जीना दूभर हो गया था, दो दिन में एक बार खाना देते थे। सोने भी नहीं देते थे। बीमार पड़ने पर दवाई तक नहीं देते थे। मेरे बार-बार भारत भेजने की बात कहने पर उस एजेंट ने मुझे दुबई के किसी एजेंट को बेच दिया। दुबई एयरपोर्ट पर एक लड़की आई और मेरा पासपोर्ट ले ली। उसने मुझे एक टिकट दिया। मुझे जिस प्लेन में चढ़ाया गया, वह इराक जाने वाली थी। एजेंट की तरफ से मुझपर नजर रखने के लिए एक लड़की को एयरपोर्ट से पीछे लगा दिया गया था। मैं किसी तरह वहां बचकर भारत आ पाई। मैं सभी लड़कियों ने कहना चाहूंगी कि अपने देश में ही आधी थाली खाना मंजूर है, भूलकर भी वहां मत जाओ। अब भी वहां बहुत लड़कियां फंसी हुई हैं। उनमें अनेक भारत की हैं। वहां सब नरक की जिंदगी जी रही हैं।
गरीब परिवार की लड़कियों पर नजर, उन्हें झांसे में लेना आसान
हमने विदेश में फंसी लड़कियों को देश लाने में मदद करने वाले सुल्तानपुर लोधी निवासी पद्मश्री समाजसेवी-पर्यावरणविद व राज्यसभा सांसद संत बलवीर सिंह सीचेवाल से बात की। उन्होंने बताया कि दो साल से इस तरह के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। पंजाब में फैले अवैध दलाल का मुख्य टारगेट गरीब और जरूरतमंद परिवार होता है। ये 18 साल से लेकर 35 साल तक की महिलाओं को झूठे ऑफर देकर फंसाते हैं। झांसे में फंसाने के लिए दलाल गांव-कस्बों की लड़कियों की मदद देते हैं, जो अपनी सहेली, परिचित या रिश्तेदार को फंसाती है। दलाल कुछ पैसे के कमीशन के लिए लड़कियों के को विदेश में बैठे एजेंटों- एजेंसियों के पास भेज देते हैं। इनसे कहा जाता है कि विदेश में एक-दो साल का काम करना होगा, 30 से 50 हजार रुपए की सैलरी मिलेगी, खाना व रहना व सारी सुविधाएं मुफ्त होंगी। लड़कियों को लगता है कि यह सही ऑफर है, कोई खर्चा नहीं होगा और अपने परिवार को भी हर महीने पैसे भेज सकेंगी।
पंजाब पुलिस के एनआरआई विंग के इंचार्ज एडीजी प्रावीण कुमार सिन्हा ने बताया कि अवैध एजेंटों के झांसे में आकर पंजाब की लड़कियों के अरब देशों में जाने के मामले सामने आए हैं। वहां उनसे बहुत अधिक काम लेने और बंधक बनाने जैसी घटनाएं होती हैं। अवैध एजेंटों के जरिए विदेश जाने पर पुलिस को किसी तरह की सूचना नहीं मिल पाती है, लेकिन हमारे पास शिकायत आने पर सख्त कार्रवाई की जाती है। जालंधर रीजनल एनआरआई थाने के इंस्पेक्टर जोगिंदर सिंह ने बताया कि विदेश में जब लड़कियां फंस जाती हैं, तो उनके भारतीय दूतावास से संपर्क करने पर ही हमारे पास सूचना आती है। बहुत कम पीड़ित परिवार सीधे हमारे पास आता है। दूतावास की तरफ से भेजे गए केस और परिवार की शिकायत पर ही हम आगे की कार्रवाई करते हैं। अगर कोई लड़की किसी अवैध एजेंट के जरिए विदेश गई तो उसकी शिकायत पर एजेंट के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। एक बात और है कि विदेश जाने वाली लड़की या उनका परिवार भेजने के समय न तो एजेंट की, न ही नौकरी को लेकर कोई जांच-पड़ताल करता है, न ही पुलिस को सूचना देता है। ऐसे में उन्हें पहले रोकना मुश्किल होता है।
एक साल में 100 लौटीं, लेकिन इससे चार गुना वहीं फंसी हैं
जागरण प्राइम ने विदेश से लौटी लड़कियों और उनके परिवारवालों से बात की तो पता चला कि जितनी लड़कियां पंजाब या अन्य राज्यों में लौटी हैं, उससे आठ-दस गुना अभी वहीं हैं। ओमान से कुछ दिन पहले ही लौटी जालंधर की आशा (बदला गया नाम) ने बताया कि मस्कट में उसे जहां बंधक बनाकर रखा गया था, वहां पंजाब के अलावा भारत के दूसरे राज्यों की लड़कियां भी थीं। नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार जैसे देशों की लड़कियों को भी इसी तरह फंसाकर लाया गया था। इसी तरह, इराक से लौटी दुर्गा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वहां भी भारत समेत अन्य देशों की लड़कियां फंसी हुई हैं। संत सीचेवाल के अनुसार अब तक करीब 100 लड़कियों को वापस लाया गया है।
विदेश ले जाने के नाम पर परिवार से ऐंठ लेते हैं 60-70 हजार रुपए
पीड़ित लड़कियों के परिवारवालों ने बताया कि एजेंट वीजा दिलाने व अन्य कागजात के नाम पर 30-60 हजार रुपए लेते हैं। वे कहते हैं कि अच्छी नौकरी दिलाने और जल्दी प्रोसेस कराने के लिए इतने पैसे तो लगेंगे ही। कुछ लोग जमीन गिरवी रखकर तो कुछ से कर्ज लेकर बेटियों को भेज रहे हैं। संत सीचेवाल ने बताया कि विदेश में विजिटर वीजा पर सिर्फ पांच हजार के आसपास का खर्च आता है, लेकिन ये एजेंट कम पढ़े-लिखे परिवारों से बड़ी रकम ऐंठ लेते हैं।
मॉल, ऑफिस, ब्यूटीशियन के काम का झांसा, बंधक बना करते हैं टॉर्चर
एजेंट लड़कियों को उनकी योग्यता के अनुसार मॉल, दफ्तर में काम दिलाने का दावा कर फंसाते हैं। कुछ बड़े घरों में घरेलू काम की बात भी कही जाता है, लेकिन वहां उन्हें इस तरह का काम नहीं दिया जाता है। उन्हें किसी के घर में काम करने या गलत काम करने के लिए फोर्स किया जाता है। मना करने पर मारपीट की जाती है। कई बार तो एजेंसी वाले मोटी रकम लेकर लड़कियों को बेच देते हैं। लड़कियों को वेतन भी नहीं दिया जाता है।
प्रताड़ित होने पर परिवार करता है संपर्क, विदेश मंत्रालय से करवाते हैं मददः संत सीचेवाल
विदेश में फंसी लड़कियों को घर वापस लाने में प्रयासरत राज्यसभा सांसद संत बलवीर सिंह सीचेवाल ने बताया कि अवैध एजेंट लड़कियों को झांसे में लेकर विदेश में भेज देते हैं, यातनाएं दी जाती हैं, उनसे गलत काम कराया जाता है। पीड़िता के फंस जाने पर उनके परिवार वाले हमसे संपर्क करते हैं। उनके वीडियो दिखाते हैं। उनके सारे दस्तावेज जुटाकर लड़की की पूरी फाइल बनाकर हम विदेश मंत्रालय और दूतावास से संपर्क कर भेजा जाता है। पिछले एक साल के दौरान अभी तक दुबई, ओमान व अन्य अरब देशों से 100 लड़कियां वापस आ चुकी हैं। इससे कई गुना लड़कियां वहां फंसी हैं। पंजाब में फैले ऐसे अवैध एजेंटों को लेकर पीड़ित परिवार से कहा जाता है कि वे उनके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराएं। लेकिन कई केसों में देखा गया है कि किसी तरह विदेश से बचकर आने वाली लड़कियां पहले तो एजेंट के खिलाफ शिकायत को तैयार रहती हैं, फिर वे ही सामने नहीं आती हैं या उनकी परिस्थिति ही ऐसी नहीं रहती है कि वे पुलिस में शिकायत करें। इस कारण ही ये एजेंट बच जाते हैं और फिर किसी दूसरी लड़कियों को विदेश में अच्छी नौकरी-सैलरी का झांसा देकर फंसाते हैं। मैं सभी से कहना चाहूंगा कि विदेश की नौकरी में फंसने को लेकर लड़कियों को जागरूक होना पड़ेगा। घरवाले पहले जांच-पड़ताल करें और लड़कियों को विदेश में इस तरह की नौकरी के लिए न भेजें।
विदेश में फंसे होने पर एनआरआई विंग या मदद पोर्टल पर संपर्क करें
पंजाब एनआरआई विंग के एडीजी प्रवीण कुमार सिन्हा ने बताया कि पंजाब से अरब देश अधिकतर लड़कियां घरेलू काम के लिए जाती हैं। पंजाब से ज्यादा केरल की लड़कियां जा रही हैं। लेकिन हां, हमारे पास भी केसेस आ रहे हैं। ऐसे मामलों में एजेंट लड़कियों को सुनहरा पिक्चर दिखाते हैं कि उन्हें इतने पैसे मिलेंगे, सिर्फ इतने घंटे काम करना होगा। कुछ मामलों में देखा गया है कि वहां लड़कियों के दस्तावेज ले लिए जाते हैं, उन्हें ज्यादा काम कराया जाता है, एक तरह से उन्हें बंधक बनाकर रख लिया जाता है। ऐसी शिकायत आने पर हम सख्त कार्रवाई करते हैं।
एडीजी सिन्हा ने बताया कि पुलिस के पास यह जानकारी नहीं होती कि कौन किस देश में जा रहा है, इसका कोई डेटाबेस हमारे पास नहीं है। हम तो सूचना और शिकायत मिलने पर ही कार्रवाई कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय के जरिए एक अच्छा सिस्टम बनाया गया है। कोई भी भारतीय जो विदेश में फंसा है, वह उनके बनाए मदद पोर्टल के जरिए अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। मदद पोर्टल के साथ अगर आप पंजाब के रहवासी हैं और विदेश में फंसे हैं, तो पंजाब पुलिस के एनआरआई विंग से संपर्क कर सकते हैं। हम शिकायत मिलने पर उसके जरिए आगे बढ़ते हैं। इसके लिए भी सीधे तौर पर नहीं, विदेश मंत्रालय की मदद से ही आगे की कार्रवाई की जाती है।
पंजाब की झांसे में कितनी लड़कियां गई इसका पुलिस के पास डेटा नहीं
पंजाब एनआरआई विंग के एडीजी प्रवीण कुमार सिन्हा ने बताया कि पंजाब से अरब देशों में अधिकतर लड़कियां घरेलू काम के लिए जाती हैं। पंजाब से ज्यादा केरल की लड़कियां जा रही हैं। लेकिन हां, हमारे पास भी केसेस आ रहे हैं। ऐसे मामलों में एजेंट लड़कियों को सुनहरा पिक्चर दिखाते हैं कि उन्हें इतने पैसे मिलेंगे, सिर्फ इतने घंटे काम करना होगा। कुछ मामलों में देखा गया है कि वहां लड़कियों के दस्तावेज ले लिए जाते हैं, उन्हें ज्यादा काम कराया जाता है, एक तरह से उन्हें बंधक बनाकर रख लिया जाता है। ऐसी शिकायत आने पर हम सख्त कार्रवाई करते हैं। एडीजी सिन्हा ने बताया कि पुलिस के पास यह जानकारी नहीं होती कि कौन किस देश में जा रहा है, इसका कोई डेटाबेस हमारे पास नहीं है। हम तो सूचना और शिकायत मिलने पर ही कार्रवाई कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय के जरिए एक अच्छा सिस्टम बनाया गया है।
पंजाब सरकार लाएगी नई पॉलिसीः डॉ. बलजीत, मंत्री पंजाब
पंजाब की महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर का कहना है कि राज्य की लड़कियों को नौकरी और अच्छी सैलरी के झांसे में लेकर अरब देशों में भेजने की शिकायत हमें भी मिल रही है। ऐसे एजेटों पर कार्रवाई भी की जा रही है। विदेश में नौकरी के लिए जाने वालों को बार-बार जागरूक किया जा रहा है कि अवैध एजेंटों के चंगुल में न फंसें, लाइसेंसधारी एजेंटों से ही संपर्क करें, उनका डेटा सरकार के पास रहता है। विदेश में नौकरी के नाम पर गई लड़कियों की घर वापसी के लिए उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। उनके परिजनों से कहा गया है कि इसकी जानकारी सरकार को दें, तभी मदद कर पाएंगे। विदेश मंत्रालय से संपर्क कर प्रयास किए जा रहे हैं। इसे लेकर जल्द ही पंजाब सरकार नई पॉलिसी लागू करने जा रही है।
पंजाब में विदेश से जुड़े मामलों के लिए 15 NRI पुलिस स्टेशन
पंजाब में विदेश जाने और नौकरी के नाम पर ठगी, जालसाजी, लूट, प्रताड़ना के साथ विदेश में शादी से जुड़े मामलों के लिए वर्तमान में 15 एनआरआई पुलिस स्टेशन संचालित किए जा रहे हैं। 2008 में इस तरह के मामलों में पीड़ितों की सहूलियत के लिए छह एनआरआई थानों से इसकी शुरूआत की गई थी। वर्तमान में अमृतसर,
संगरूर, फतेहगढ़ साहिब, गुरदासपुर, बटाला, जालंधर ग्रामीण, मोगा, पटियाला, लुधियाना, अमृतसर ग्रामीण, बंठिडा, फिरोजपुर, होशियारपुर, तरनतारन, रूपनगर, लुधियाना, कपूरथला, मुक्तसर, बरनाला, खन्ना, नवांशहर, मानसा, जीआरपी पटियाला, जालंधर, एसएएस नगर और फरीदकोट में एनआरआई थाने हैं।
सौजन्य : दैनिक जागरण
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