यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि पुलिस और प्रशासन इस यात्रा की सुरक्षा के लिए अपेक्षित चौकसी नहीं बरत सका। खुफिया एजेंसियों की चूक भी नजर आ रही है। उसे इसका आभास होना चाहिए था कि इस यात्रा को निशाना बनाया जा सकता है क्योंकि ऐसी अफवाह थी कि संदिग्ध गो तस्करों की हत्या में आरोपित एक फरार शख्स भी इस यात्रा में शामिल हो सकता है।
हरियाणा के नूंह में हिंदू संगठनों की ओर से प्रति वर्ष निकाली जाने वाली जलाभिषेक यात्रा में मुस्लिम समुदाय की उपद्रवी भीड़ ने जैसा भीषण हमला किया और गोलीबारी के साथ बड़े पैमाने पर आगजनी एवं लूटपाट की, वह दुस्साहस की पराकाष्ठा है। जिस तरीके से इस यात्रा पर हमला किया गया, उससे यह साफ है कि ऐसा सुनियोजित साजिश और पूरी तैयारी के साथ किया गया।
स्थिति कितनी भयावह हो गई थी, यह इससे समझा जा सकता है कि सैकड़ों श्रद्धालु एक मंदिर परिसर में घंटों फंसे रहे। इनमें महिलाएं और बच्चे भी थे। उन्हें निकालने और बचाने के लिए सुरक्षा बलों की तीन कंपनियों को एयरड्राप करना पड़ा।

स्पष्ट है कि हिंसक भीड़ ने इस इलाके को एक तरह से युद्ध क्षेत्र में तब्दील कर दिया था। हिंसक भीड़ कितनी दुस्साहसी थी, इसका पता इससे चलता है कि पुलिस को भी निशाना बनाया। इसके चलते होमगार्ड के दो जवानों सहित कुछ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। कई पुलिस अधिकारी एवं सिपाही घायल भी हो गए। इनमें कुछ की हालत गंभीर है। अराजक तत्वों ने एक थाने को भी निशाना बनाया और उसके अंदर-बाहर खड़े दर्जनों वाहन जला दिए।
चूंकि हिंसा की व्यापक तैयारी की गई थी, इसलिए जल्द ही अन्य इलाकों में भी उपद्रव शुरू कर दिया गया। नतीजा यह हुआ कि जहां नूंह में कर्फ्यू लगाना पड़ा, वहीं अन्य क्षेत्रों में पुलिस की तैनाती बढ़ानी पड़ी। इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि यात्रा तय मार्ग से निकल रही थी और प्रशासन से उसकी अनुमति भी ली गई थी।
यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि पुलिस और प्रशासन इस यात्रा की सुरक्षा के लिए अपेक्षित चौकसी नहीं बरत सका। खुफिया एजेंसियों की चूक भी नजर आ रही है। उसे इसका आभास होना चाहिए था कि इस यात्रा को निशाना बनाया जा सकता है, क्योंकि ऐसी अफवाह थी कि संदिग्ध गो तस्करों की हत्या में आरोपित एक फरार शख्स भी इस यात्रा में शामिल हो सकता है। उसके शामिल न होने के बाद भी इस यात्रा पर जिस तरह भीषण हमला किया गया, उससे यही पता चलता है कि उपद्रवी तत्व उत्पात मचाने के लिए किसी बहाने की तलाश में थे।
हिंदुओं की जलाभिषेक यात्रा पर हमले की इस भयावह घटना ने उन घटनाओं की याद दिला दी, जिनमें पिछले कुछ समय में देश के अनेक हिस्सों और यहां तक कि देश की राजधानी में ऐसी ही यात्राओं को निशाना बनाया गया था। यदि इन घटनाओं में शामिल तत्वों को समय रहते सही सबक सिखाया गया होता तो शायद नूंह में जो कुछ हुआ, उससे बचा जा सकता था। यह शुभ संकेत नहीं कि अब कोई भी पर्व और त्योहार ऐसे नहीं, जिनमें किसी न किसी बहाने हिंसा न होती हो। हिंसा का यह सिलसिला कानून के शासन को चुनौती तो है ही, देश में सद्भाव के वातावरण को प्रभावित करने वाला भी है।
आभार : https://www.jagran.com/editorial/nazariya-nuh-violence-challenges-the-rule-of-law-23488936.html
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