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देश की पहली महिला राज्‍यपाल और भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू जी की जयंती

February 13, 2023 By Guest Author

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Sarojini Naidu: कैदी की तरह महसूस करती थी सरोजनी नायडू, इसलिए संभाला था उत्‍तर प्रदेश की राज्‍यपाल का पद

Sarojini Naidu: कैदी की तरह महसूस करती थी सरोजिनी नायडू, इसलिए संभाला था  उत्‍तर प्रदेश की राज्‍यपाल का पद - Sarojini Naidu birth anniversary  international womens day

13 फरवरी, 2023 – नई दिल्ली : Sarojini Naidu: देश की पहली महिला राज्‍यपाल और भारत की कोकिला (Nightingale of India) सरोजिनी नायडू का आज जन्मदिन है। इस दिन को राष्‍ट्रीय महिला दिवस (International Women’s day) के रूप में भी मनाया जाता है। सरोजनी ने एक कार्यकर्ता, प्रसिद्ध कवि और गीतकार के रूप में अपनी पहचान बनाई थी। ये देश की वो महिला है जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष किया था।

रोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को वर्तमान तेलंगाना राज्य के हैदराबाद शहर में हुआ था। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय थे जो एक बंगाली ब्राह्मण थे। चट्टोपाध्याय हैदराबाद कॉलेज के प्रिंसिपल भी थे। नायडू की माता वरदा सुन्दरी देवी थी जो बंगाली भाषा में कविताएँ लिखती थी।

नायडू का परिवार हैदराबाद में सम्मानित परिवारों में से एक था। इसका एक कारण यह था कि नायडू के पिता हैदराबाद के निजाम कॉलेज के प्रिंसिपल थे। इसके अलावा, उनके परिवार के सदस्य हैदराबाद में फेमस आर्टिस्ट भी थे।

शिक्षा (Education) 

1891 में 12 वर्ष की आयु में सरोजनी नायडू ने मैट्रिकुलेशन पास किया। 1895 में वह उच्चत्तर शिक्षा के लिए इंग्लैंड गई। इंग्लैंड में पढ़ने के लिए उन्हें एग्जाम चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा स्कॉलरशिप दी गई। इंग्लैंड में पहले किंग्स कॉलेज और उसके बाद गिर्टन कॉलेज में दाखिल हुई। इंग्लैंड में 3 साल पढ़ाई करने के बाद वे 1898 में वापस भारत आ गई।

जानें कैसे 'भारत की कोकिला' Sarojini Naidu ने आजादी की जंग में कलम को बनाया  अपनी ताकत - sarjoini-naidu-the-freedom-fighter-of-india - Nari Punjab Kesari

राजनीतिक जीवन (Political Life)

वर्ष 1904 की शुरुआत में सरोजनी नायडू ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी ली। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों व शिक्षा के प्रति लोगों को उजागर किया। वर्ष 1914 में वह महात्मा गांधी से मिली जिनको नायडू ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के सशक्तिकरण के लिए श्रेय दिया।

वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की दूसरी महिला प्रेसिडेंट बनी। 1917 में उन्होंने मुथुलक्ष्मी रेड्डी के साथ मिलकर के भारतीय महिला संगठन की स्थापना की। उन्होंने लखनऊ पैक्ट का समर्थन किया।

1917 में उन्होंने गांधीजी के द्वारा प्रवर्तित सत्याग्रह आंदोलन में भागीदरी ली। 1919 में वह ऑल इंडिया होम रूल लीग के एक सदस्य के रूप में भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाने के लिए लंदन गई। वापस आने के बाद, वह असहयोग आंदोलन से जुड़ गई।

1930 के दौरान गांधीजी के द्वारा प्रस्तावित व संचालित दांडी मार्च चल रहा था। यात्रा शुरु होने से पहले गांधीजी चाहते थे कि महिलाओं को इस आंदोलन में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं देंगें क्योंकि आंदोलनकारियों के गिरफ्तार होने का खतरा था।

परंतु, नायडू व अन्य महिला कार्यकर्त्ताओं ने मिलकर गांधीजी को इस यात्रा पर महिलाओं को जाने की अनुमति दिलवाई। 6 अप्रैल 1930 को गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उन्होंने नायडू को इस अभियान की नई नेत्री घोषित की।

1932 में नायडू को ब्रिटिश सरकार के द्वारा जेल में डाल दिया गया। उसके बाद 1942 में भी भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण पुनः जेल में डाल दिया गया।

सरोजिनी नायडू - Biography of in Hindi

विवाह (Marriage)

1898 में सरोजनी नायडू हैदराबाद वापस लौट आई और उसी साल उन्होंने गोविंदाराजुलू नायडू से शादी कर ली। गोविंदाराजुलू एक भौतिक विद थे जो नायडू परिवार से आते थे और सरोजिनी चट्टोपाध्याय परिवार से आती थी।

उन दोनों की इंटर-कास्ट मैरिज हुई थी। उस समय में इंटरकॉस्ट विवाह होना अभूतपूर्व था। तत्कालीन समय के रीति-रिवाजों के मुताबिक ऐसे विवाह संभव नहीं हुआ करते थे।

सरोजनी नायडू के चार बच्चे थे। उनकी एक पुत्री का नाम पद्मजा था जिसने भारत छोड़ो आंदोलन में भागीदारी ली।

लेखन जीवन

महज 12 साल की उम्र से अपने करियर की शुरुआत करने वाली प्रसिद्ध लेखकों में से एक सरोजिनी नायडू ने देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपना परचम लहराया। 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मी सरोजनी नायडू को भारत की कोकिला के रूप में जाना जाने लगा। उन्होंने छोटी सी उम्र से ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। आइये जानते है उनसे जुड़ी कुछ अहम बातें..

सरोजनी नायडू

आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी सरोजनी एक होनहार छात्रा थी। उन्होंने महज 12 वर्ष से ही साहित्य में अपना करियर बनाना शुरू कर दिया था। उन्हें ‘माहेर मुनीर’ नामक एक नाटक लिखने के बाद से पहचान मिलने लगी थी।

जब वह 16 साल की हुई तो उन्हें हैदराबाद के निजाम से छात्रवृत्ति मिली और वे लंदन के किंग्स कॉलेज में पढ़ने चली गईं। भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में जुड़ने के साथ-साथ उन्होंने हर जगह जाकर देश की महिलाओं को भी आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था।

‘कैद कर दिये गये जंगल के पक्षी’- नायडू

सरोजनी नायडू उत्‍तर प्रदेश की राज्‍यपाल और देश की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं। लेकिन वह इस पद से नाखुश थी। वह इस पद को एक तरह की कैद समझती थीं। उन्होंने इस पद को ग्रहण करने के बाद ये भी कह डाला था कि ”मैं अपने को ‘कैद कर दिये गये जंगल के पक्षी’ की तरह अनुभव कर रही हूं।’

unknown facts about first woman governor of India sarojini naidu | Death  anniversary: तस्वीरों में देेखें देश की पहली महिला गवर्नर की जीवनयात्रा |  Hindi News,

भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की अध्‍यक्ष से थी गहरी दोस्ती

सरोजनी नायडू की भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की अध्‍यक्ष एनी बेसेन्ट से गहरी दोस्ती थी। यहीं नहीं, वे देश के राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की भी प्रिय शिष्या थीं। वे इन दोनों से इतनी ज्यादा प्रभावित थी कि उन्होंने अपना सारी जीवन देश के लिए ही अपर्ण कर दिया। वे इन दोनों के अलावा तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की भी मित्र थी और यहीं कारण है कि उन्होंने नेहरु के इच्छा से उत्तर प्रदेश के राज्‍यपाल का पद संभाला था।

महज 13 साल की उम्र में लिखी थी ये कविता

नायडू एक बेहतरीन कवियत्री थीं और उन्होंने बचपन में ही अपनी हुनर का परिचय दे दिया था। महज 13 साल की उम्र में उन्होंने लेडी ऑफ दी लेक नामक कविता लिखी। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री की पहचान दे दी थी।

हिंदी के अलावा इन भाषाओं की थी जानकार

सरोजनी नायडू को हिंदी के अलावा अंग्रेजी, बंगला और गुजराती भाषा आती थी। वह अपने भाषण भी इन्हीं भाषाओं के आधार पर देती थीं। जब लंदन की एक सभा को संबोधित करना था, तब सरोजनी ने अंग्रेजी में बोलकर वहां उपस्थित सभी लोगों को दिल जीत लिया था।

सरोजिनी नायडू की मृत्यु

2 मार्च 1949 को लखनऊ के गवर्नमेंट हाउस में सरोजिनी नायडू की हृदय-आघात (Heart-attack) के कारण मृत्यु हो गई। उस समय में वह उत्तर प्रदेश राज्य की राज्यपाल थी।

15 फरवरी 1949 को दिल्ली से उत्तर प्रदेश आने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने को कहा। धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य कमजोर होता गया। 1 मार्च की मध्य रात्रि को डॉक्टर ने उनका इलाज किया परंतु फिर भी उनका स्वास्थ्य बदतर होता जा रहा था। 2 मार्च 1949 को शाम 3:30 PM पर सरोजिनी नायडू का देहांत हो गया।

आज का इतिहास : नाइटिंगेल ऑफ इंडिया सरोजिनी नायडू का हुआ था आज के दिन निधन

सौजन्य : दैनिक जागरण


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