मनीष शर्मा
पंजाब में चन्नी या सिद्धू आएंगे?; क्या सुखबीर संभालेंगे कुर्सी; कैप्टन, केजरीवाल या BJP का दिखेगा दम; किसान भी मैदान में
पूरी दुनिया में नए साल का जश्न है लेकिन पंजाब के लिए यह कुछ खास है। नए साल का सबसे बड़ा सवाल है कि पंजाब का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?। पंजाब में अगली सरकार किस पार्टी की बनेगी?। कांग्रेस लगातार दूसरी बार सत्ता पाने में कामयाब रहेगी या फिर अकाली दल वापसी करेगा।
अहम सवाल आम आदमी पार्टी के लिए भी है कि क्या वह अकाली दल और कांग्रेस शासन वाले पंजाब में इस बार सरकार बना पाएंगे। वहीं, क्या कांग्रेस छोड़ने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के साथ मिलकर पंजाब में तीसरा विकल्प दे सकेंगे। सबकी नजर किसानों पर भी है कि क्या वह सिंघु बॉर्डर के रास्ते विधानसभा तक पहुंच पाएंगे। पंजाब में मार्च महीने में नई सरकार बनेगी। जिसके बाद इस सबसे बड़े सवाल का जवाब मिलेगा।
कांग्रेस : CM बनने को लेकर जोर-आजमाइश
पंजाब में इस वक्त सत्ता संभाल रही कांग्रेस अगली बार भी जीत के प्रति भरोसेमंद है। यहां चुनाव जीतने से ज्यादा इस पर जोर लगा है कि CM कौन बनेगा। पंजाब में 32% वोट बैंक को साधने के लिए CM बनाए चरणजीत चन्नी या चुनाव प्रचार के ट्रंप कार्ड नवजोत सिद्धू। दावा कांग्रेस के दिग्गज हिंदू चेहरे सुनील जाखड़ को लेकर भी है।
अकाली दल : CM चेहरा स्पष्ट लेकिन चुनौतियां बड़ी
अकाली दल में CM चेहरा सुखबीर बादल हैं। सुखबीर बादल यह बात खुद कह चुके हैं। अकाली दल इस बार बसपा के साथ गठबंधन कर लड़ रहा है। हालांकि उनके लिए चुनौतियां बड़ी हैं। अकाली दल गांवों की पार्टी है। पंथ की राजनीति करती है लेकिन बेअदबी के दाग अभी तक नहीं छूटे। फिर गांवों में किसान संगठनों के चुनाव लड़ने की वजह से हालत चुनौतीपूर्ण है। अकाली दल शहरों में अपनी स्वीकार्रता नहीं बढ़ा पाई और अब भाजपा भी साथ नहीं, इसलिए परेशानी बड़ी है।
आम आदमी पार्टी को पंजाब में अच्छा समर्थन मिल रहा है लेकिन CM चेहरे पर कसमकस बरकरार है। वर्कर सांसद भगवंत मान को घोषित करने की मांग उठा रहे हैं। इसके बावजूद प्रचार केजरीवाल के नाम पर हो रहा है। ‘इक मौका केजरीवाल नू’ AAP का स्लोगन है। केजरीवाल ने इतना जरूर कहा है कि पंजाब में CM चेहरा सिख समाज से होगा लेकिन अभी तक नाम नहीं बता सके।
कैप्टन अमरिंदर सिंह : दांव पर सियासी कद और समझा
इस बार सवाल कैप्टन अमरिंदर सिंह के सियासी कद और समझ को लेकर भी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह को अचानक कांग्रेस ने CM की कुर्सी से उतार दिया। 80 साल के कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे अपमान समझा। वह पंजाब लोक कांग्रेस बनाकर चुनाव मैदान में कूद गए। इस बार वह भाजपा के साथ मिलकर चुनाव मैदान में हैं। पंजाब में उनका बड़ा सियासी कद है क्योंकि कैप्टन 3 बार कांग्रेस के प्रधान और 2 बार साढ़े 9 साल के लिए मुख्यमंत्री रह चुके हैं। हालांकि इस बार अगर जीते तो क्या CM बनेंगे, इस सवाल को कैप्टन ने चुनाव के परिणाम आने के बाद के लिए छोड़ दिया है।
भाजपा : विरोध और चुनौतियों के बीच मिला ‘कैप्टन‘
पंजाब चुनाव का रिजल्ट भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए भी अहम है। इसकी 3 बड़ी वजहें हैं। पहली यह कि इस बार भाजपा अकाली दल से अलग होकर चुनाव लड़ रही है। दूसरा किसान आंदोलन की वजह से भाजपा का पंजाब में विरोध हो रहा है। तीसरा वह कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। पंजाब में भाजपा का भी कोई CM चेहरा नहीं है।
किसान संगठन : सिंघु बॉर्डर से विधानसभा की दौड़
सबसे ज्यादा नजर पंजाब के उन 22 किसान संगठनों पर रहेगी। जिन्होंने किसान आंदोलन में कामयाबी पाई और अब राजनीतिक जंग का ऐलान कर दिया है। कामयाब किसान आंदोलन को चलाने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का हिस्सा रहे पंजाब के 32 में से 22 संगठनों ने संयुक्त समाज मोर्चा बना लिया है। जिनका सीएम चेहरा बलबीर राजेवाल हैं। क्या किसान पारंपरिक दलों को शिकस्त दे पाएंगे?, यह बड़ा सवाल है।
सौजन्य : दैनिक भास्कर
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