अजयवीर सिंह लालपुरा
महाराजा रणजीत सिंह की नीयत थी , हलेमी राज के गुरमत सिद्धांत । जो स्पष्ट रूप से राज्य की ताकत, न्याय, समाज सेवा, प्रगति और दया पर आधारित हो। महाराजा रणजीत सिंह की नीतियां भी इसे स्पष्ट करती हैं ।
भारत में राज्य की अवधारणा राम राज पर आधारित रही है, लेकिन देश की गुलामी ने इन दो राज्य अवधारणाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया !!
आज़ादी के बाद के नेता ने फारुखसियर के काल से मुग़ल राजाऔँ से आपने परिबार के संबंध के बारे में वरनण अपनी आत्मकथा में कीआ है !जिसने दिल्ली में बाबा बंदा सिंह बहादुर की बेरहमी से हत्या कर दी थी।
देश की आजादी के लिए सबसे बड़ी कुर्बानी देने वाले सिख समुदाय को आजादी के बाद समानता की उम्मीद थी लेकिन श्री मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट ने साफ कर दिया था कि सिख समुदाय को आज़ादी के बाद भी कुछ विशेष नहीं मिलेगा ।
सिख गुरुओं के बलिदान के बाद से, मुगल नीति सिख समुदाय के खिलाफ रही है।
आज़ादी के बाद ब्रिटिश सिख विरोधी पिठु कांग्रेस में शामिल हो गए और पंजाब के साथ अन्याय और वादों के उल्लंघन की कहानी शुरु हो गई । पंजाब के साथ अन्याय की एक लंबी कहानी है । पंजाबी बोली, पंजाबी राज्य, पंजाब की नदियां और राजधानी भी पंजाबियों के लिए मुद्दे रहे हैं !!
ब्लू स्टार, दिल्ली और अन्य जगहों पर हुए नरसंहार को न्याय की ज़िमेदारी किसकी थी !! चोर मचाए शोर वाली कहावत पंजाब के साथ भी हुई । पंजाब के विरोधियों ने मीडिया पर कब्जा करके केवल पंजाब और सिख समुदाय से प्यार करने वाले संगठन और राजनीतिक पार्टी को सिख विरोधी और पंजाबी विरोधी साबित करने की कोशिश की ।
ब्लू स्टार, दिल्ली और अन्य जगहों पर हुए नरसंहार को न्याय की ज़िमेदारी किसकी थी
1984 में श्री गुरु अर्जन देव जी के शहादत समागम के दिन , कांग्रेस पार्टी की सरकार ने स्वर्ण मंदिर के निकट कर्फ्यू लगाकर कई निर्दोष सिख श्रद्धालुओं की हत्या कर दी। कुछ को गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया गया !!
गुरु गोलवलकर ने पंजाबीओं को अपनी मातृभाषा पंजाबी लिख बाने को कहा, जो कि रिकॉर्ड का हिस्सा है !! भारतीय जनसंघ के केंद्रीय नेताओं ने भी अपनी पार्टी के पंजाब नेताओं को इस नीति का पालन करने का निर्देश दिया था। वह भी सच है ,
जब भी जरूरत पड़ी जनसंघ या भारतीय जनता पार्टी ने अपने अधिकारों का बलिदान दिया और पंजाब में हिंदू सिख समुदाय के विकास के लिए शिरोमणि अकाली दल का समर्थन किया !!
कृषि कानून वापस ले लिए हैं, इस पर चर्चा करने की जरूरत नहीं है कि यह अच्छे है या बुरे !!
यह नीअत की बात है ,कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि अधिनियम को निरस्त करने की घोषणा के लिए, जिस दिन और पद्धति का चयन किया गया है, उस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है !!
श्री गुरु नानक देव जी की 552वीं जयंती पर गुरु चरणों में विनम्रतापूर्वक इस कानून को वापस लेने की पेशकश की गई और सेहरा सिख समुदाय के सर पर बांधा जो देश की आबादी के दो प्रतिशत से भी कम है ।
कोई और दिन चुनकर कोई और भी खुश किया जा सकता था !!
एक सरकार और प्रधानमंत्री ने ,श्री गुरु अर्जन देव जी की पुण्यतिथि पर सेना भेजकर स्वर्ण मंदिर पर हमला किया और एक प्रधानमंत्री ने प्रकाश पूरब के अवसर पर विनम्रता से गुरु नानक देव जी के चरणों में कृषि अधिनियम वापस करने का प्रस्ताव रखा !!
गुरु साहिबों में किसकी आस्था है?
सिख समुदाय से कौन प्यार करता है? यह प्रश्न पाठकों पर छोड़ता हूँ !!
मैं काली सूची को समाप्त करने, लंगर पर जीएसटी को समाप्त करने, गुरुपूर्व के एक विश्वव्यापी उत्सव और अन्य बहुत से किए गए कामों का उल्लेख नहीं करूंगा, और न ही मैं भाजपा द्वारा अल्पसंख्यक आयोग की अध्यक्षता एक सिख को सौंपने की बात करूंगा।
मैं प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं और मैं सिख समुदाय के लिए उनकी सोच और प्यार के बारे में बात करना जारी रखूंगा !!
केवल भारतीय जनता पार्टी ही सिख समुदाय का भला कर सकती है , यह बात सत्य है !!
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