पंजाब में पूंजीगत कर्ज से विकास का पहिया धीमा, लगातार हो रहा उद्योगों का पलायन
09 अप्रैल, 2025 – चंडीगढ़/पंजाब : पंजाब में 17,07,401 एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) सेक्टर पर 96,611.66 करोड़ रुपये का कर्ज है। प्रदेश में 16,77,425 सूक्ष्म, 27,505 लघु और 2,471 मध्यम उद्यमों पर लगातार पूंजीगत ऋण बढ़ता जा रहा है।
पंजाब में छोटे उद्योग कर्ज के बोझ में दबते जा रहे हैं। इससे औद्योगिक विकास की रफ्तार धीमी होती जा रही है। पूंजीगत ऋण छोटे उद्योगों के पनपने में सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है। छोटे उद्योगों पर लगातार बढ़ते पूंजीगत ऋण के कारण प्रदेश में रोजाना कई उद्योग पलायन कर रहे हैं या अपने आपको सीमित करते जा रहे हैं।
पंजाब में 17,07,401 एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) सेक्टर पर 96,611.66 करोड़ रुपये का कर्ज है। प्रदेश में 16,77,425 सूक्ष्म, 27,505 लघु और 2,471 मध्यम उद्यमों पर लगातार पूंजीगत ऋण बढ़ता जा रहा है। दरअसल, यह पूंजी ऋण कच्चे माल की खरीद, कर्मचारियों को वेतन देने आदि पर खर्च किया जाता है। छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन पूंजी व अन्य ऋण के चक्रव्यूह में फंसकर प्रदेश की आर्थिक स्थिति और सकल घरेलू उत्पाद में अहम योगदान रखने वाले यह छोटे उद्योग अब दम तोड़ते नजर आ रहे हैं।
नई औद्योगिक नीति लाने जा रही मान सरकार
पंजाब सरकार जल्द ही प्रदेश के लिए नई औद्योगिक नीति लाने जा रही है। इस नई नीति पर मान सरकार पिछले एक साल से काम कर रही है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार नई नीति-2025 अगस्त तक प्रदेश में लागू कर दी जाएगी। इस नई नीति में एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई बड़े बदलाव भी करने जा रही है। एमएसएमई को कम दर पर ऋण के साथ उनकी बिक्री पर तय समय
सीमा के अंदर भुगतान से लेकर और उससे जुड़े मामलों के निपटारे के लिए विशेष इकाइयां गठित की जाएंगी, जो इन एमएसएमई से जुड़े मामलों की पैरवी करेंगी। वित्तीय वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट की अगर बात की जाएं तो एमएसएमई को गारंटी के साथ दिए जाने वाले ऋण को 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया गया है।
16वें वित्त आयोग से सरकार ने मांगे थे 6 हजार करोड़
प्रदेश में एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए पंजाब सरकार ने 24 जुलाई, 2024 को 16वें वित्त आयोग के समक्ष 6 हजार करोड़ रुपये की मांग की थी। पिछले दो साल से सरकार की ओर से केंद्र से जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के तर्ज पर उद्योगों के लिए विशेष पैकेज की मांग की जा रही है। पंजाब एमएसएमई की ओर से लगातार केंद्र से वित्त अधिनियम 2023 की धारा 43बी(एच) की वापसी की मांग की जा रही की। इस संशोधन के कारण छोटे व्यवसायों पर वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। इस संशोधन के कारण छोटे उद्योगपतियों को संकट का सामना कर रहा है।
छोटे उद्योग कर रहे पलायन
पंजाब में छोटे उद्योग लगातार पलायन कर रहे हैं। हालात यह है कि 30 से 35 फीसद तक छोटे उद्योग जहां बंद हो चुके हैं, वहीं बाकी एमएसएमई गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की ओर पलायन कर रहे हैं। पंजाब सरकार छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कोई सब्सिडी उपलब्ध नहीं करा रही है। सरकार खुद कर्ज के बोझ तले दबी हुई है, यही कारण है छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने की ओर राज्य सरकार ठोस कदम नहीं उठा रही है। -टीआर मिश्रा, चेयरमैन, फोकल पॉइंट इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन, लुधियाना।
सौजन्य : अमर उजाला
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