अजयवीर सिंह लालपुरा
शांति किसी भी देश, राज्य और समाज की प्रगति या विकास के लिए पहली आवश्यकता है !! जिस कारण निवेशक को उस देश या राज्य के प्रति आकर्षित होता है!!
1839 ईस्वी तक पंजाब दुनिया का सबसे समृद्ध देश था क्योंकि वहां सांप्रदायिक एकता थी, हिंदू, मुसलमान, खालसा बाहरी आक्रमण के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े थे और देश के अंदर कारखाने और व्यापार अपने चरम पर थे! इस समृद्ध राज्य को गुलाम बनाने के लिए अंग्रेजों ने “फूट डालो राज करो” की नीति अपनाई!!
खालसा रियासत के गुनहगार और अंग्रेज़ गुलाम ने शेर ए पंजाब के राज्य परिवार की हत्या करवा कर 10 साल के अंदर ही गुलाम बना लिया!!
पंजाब देश की आजादी की कोई भी लड़ाई अंग्रेज ने सिरे नहीं चढ़ने दी, आज भी अंतिम महाराजा का पार्थिव शरीर इंग्लैंड के मकबरे में अंतिम संस्कार की प्रतीक्षा कर रहा है!!
राष्ट्र की माता महारानी जींद कौर को बदनाम करने के लिए अंग्रेजों ने एडी-चोटी का जोर लगाया, लेकिन आज भी इतिहास को सही करने का कोई प्रयास नहीं किया गया!! अंग्रेजों ने 25 साल में खालसा को खत्म करने की नीति के तहत धर्मांतरण की पहल की और महंतों और सर्वराहों के माध्यम से गुरुद्वारों पर कब्जा कर राष्ट्रीय चरित्र को नष्ट करने की कोशिश की!!
देश की आजादी तक सिख आबादी में गिरावट जारी रही, गुरुद्वारा प्रबंध द्वारा सुधार के लिए चलाई मुहिम भी धर्म को प्रफुलित करने में कामयाब न हो सकी, क्योंकि ताड़ी बड़ी सियासी कुर्सियों पर सज गई!!
स्वतंत्रता संग्राम में किए गए बलिदान कांग्रेस की मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट या नीति के झूठे उद्देश्यों तक ही सीमित रखे, न आजादी की सरगर्मी केआनंद का मिला अधिकार!!
राजनीतिक सीटें हासिल करने का मोर्चा राष्ट्रीय निकाय और राजधानी की कीमत पर सिख समुदाय के लिए घाटे का सौदा था!! इन लोगों ने 60 के दशक से पंजाब को कई बात लहू-लुहान किया है, आज भी कर रहे हैं!!
गुरु नानक देव के दर्शन प्रेम, सेवा और संचार की राह दिखाते हैं II अकाल के पुजारी हत्या, प्रताड़ना में विश्वास नहीं रखते, सेवा और भगवान की राह पर चलने वाला है!!
पंजाब में हो रहे धर्म परिवर्तन पर जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहब का बयान उनकी बेबसी और लाचारी को दर्शाता है !! सिख बहुल राज्य में सिखों का धर्म परिवर्तन न केवल चिंता का विषय न होकर चिंतन भी माँगता है!!
सिख समुदाय के हत्यारे और उन्हें ढूंढ़ने और सजा देने वालों को एक ही तराजू में तौला जा रहा है, लेकिन हत्यारे अब अपने ही लगते हैं!
जब विवेक की शक्ति, सत्य और असत्य को पहचानने की शक्ति चली जाती है, अगर पंथिक नेता बन जाता है, तो कौन बचाएगा?
पिछले करीब एक साल और चार महीने से तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को 10 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट के रोकने से लेकर फैसले तक के लिए स्थगित हो जाना स्वाभाविक ही था, लेकिन राजनीतिक दलों के नेताओं के बयान कि उनके कार्यकर्ता आंदोलन में शामिल होकर तन, मन, धन के साथ सेवा कर रहे हैं! केंद्र के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की कोशिश कर रही है राज्य सरकार!!
यदि आंदोलन राज्य सरकार की ओर से किया जा रहा है तो उपद्रवियों को कैसे रोका जाए?
इससे पहले, सभी राजनीतिक दल केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं के जीवन को नुकसान पहुंचा रहे थे! अब चुनाव नजदीक आ रहे हैं और ये पार्टी कार्यकर्ता किसानों की आड़ में दूसरे दलों के नेताओं के खिलाफ नारे लगाने लगे हैं!!
गुरुओं की भूमि के निवासियों द्वारा श्री गुरु नानक देव जी के दर्शन को पूरी तरह से त्याग दिया गया है। जब सिद्धांत मर जाते हैं तो पूजा के स्थान केवल करम कांड के लिए रह जाते हैं और लोगों की भक्ति क्षीण होने लगती है, जो सबके सामने है !!
अलीगढ़ में रामलीला की शुरुआत खुद सिख नेताओं ने की थी, ये है इतिहास, फिर रोपड़ में रामलीला को रुकवाने वाले क्या सिख हो सकते हैं?
समाज का मुंह में ताला क्यों?
पंजाब का किसान आत्महत्या कर रहा है, पगड़ी पहनने वालों ने पंजाब में ही उच्च सरकारी पदों को छोड़ दिया है, कृषि घाटे का धंधा है, कारखाने बंद हो रहे हैं, युवा पंजाब ही नहीं देश छोड़ने की जल्दी में हैं?
ऐसे में धार्मिक और सांप्रदायिक सौहार्द को ठेस पहुंचाने, पंजाब को तबाह करने और गुरु नानक के दर्शन को खत्म करने के लिए कौन जिम्मेदार है?
इस प्रार्थना के साथ कि जाहर पीर जगत गुरु बाबा नानक पंजाब को फिर अपने रास्ते पर वापस लाएंगे!!
test