• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • About Us
  • Our Authors
  • Contact Us

The Punjab Pulse

Centre for Socio-Cultural Studies

  • Areas of Study
    • Social & Cultural Studies
    • Religious Studies
    • Governance & Politics
    • National Perspectives
    • International Perspectives
    • Communism
  • Activities
    • Conferences & Seminars
    • Discussions
  • News
  • Resources
    • Books & Publications
    • Book Reviews
  • Icons of Punjab
  • Videos
  • Academics
  • Agriculture
You are here: Home / Areas of Study / Social & Cultural Studies / पंजाब में जातिवाद

पंजाब में जातिवाद

November 30, 2021 By Guest Author

Share

लेखक: वैभव पलनीटकर

पंजाब में जातिगत भेदभाव की जड़ में है आर्थिक असमानता, लेकिन पिछले 10-12 साल में आया बड़ा बदलाव

30 नवम्बर, 2021 – आप जब किसी गुरुद्वारे गए होंगे तो जूते रखने से लेकर पैर धोने और लंगर चखने से लेकर हलवे का प्रसाद लेने में आपको गजब की बराबरी का एहसास हुआ होगा। अमीर से अमीर व्यक्ति गरीब से गरीब की सेवा में बिना जात, पात, मजहब, मुल्क देखे खड़ा रहता है। तो फिर ऐसा क्यों है कि गुरुनानक की धरती पंजाब के गांव में साल 2021 में भी जातिगत आधार पर जमकर भेदभाव होता रहता है? हमने पंजाब की जातियों पर काम करने वाले रिसर्चर्स, स्कॉलर्स से बात की और ये समझने की कोशिश की।

पंजाब के इतिहास, समाज, राजनीति, जाति पर गहरी पकड़ रखने वाले इन दिग्गजों का भी मानना है कि पंजाब में जाति की खाई काफी गहरी है। समाज के एक तबके के पास आर्थिक संसाधन हैं और एक तबके के पास कुछ नहीं है, ऐसे में संघर्ष होना स्वाभाविक है। जाति के आधार पर अलग-अलग इलाके, गुरुद्वारे, धर्मशालाएं, श्मशान ये सारी चीजें आज के पंजाब की हकीकत है, इससे मुंह नहीं फेरा जा सकता, लेकिन पिछले 10-12 सालों में पंजाब के SC तबके में अपनी दलित पहचान को लेकर गर्व भी जागृत हुआ है और यही वजह है कि पंजाब में दलित-जट संघर्ष भी देखने को मिले हैं।

Casteism In Punjab Part 3; Expert On Jatiwaad Ka Itihas, Dalit Identity |  पंजाब में जातिगत भेदभाव की जड़ में है आर्थिक असमानता, लेकिन पिछले 10-12 साल  में आया बड़ा बदलाव - Dainik Bhaskar

पंजाब में जातिवाद की पहली रिपोर्ट में हमने आपको 5 जिलों के 5 गांव की जमीनी हकीकत दिखाई, दूसरी रिपोर्ट में दलितों के प्रतिनिधित्व की बात की और अब तीसरी रिपोर्ट में हम एक्सपर्ट्स के जरिए पंजाब के जातिवाद को समझेंगे। पंजाब में जाति के दंश पर हमने बात की पंजाब यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर मनजीत सिंह, इतिहास विभाग के प्रोफेसर राजीव लोचन और पंजाब के पूर्व शित्रा मंत्री, प्रोफेसर दरबारी लाल से। हमने इन एक्सपर्ट्स से पूछा कि पंजाब के जातिवाद का क्या इतिहास है? क्या पंजाब का जातिवाद बाकी देश जैसा ही है क्या यहां कुछ अलग है? पंजाब के जातिवाद में बंटवारे और भेदभाव की लकीरें कहां सबसे ज्यादा हैं और इसकी क्या वजहें हैं? और सबसे अहम सवाल 2021 में भी गांव के स्तर पर गुरुद्वारे, श्मशान, इलाके, बर्तन, धर्मशालाएं क्यों अलग-अलग हैं?

“बाकी देश के हिस्सों की तरह ही पंजाब में जाति का बंटवारा है। पिछले 20-25 सालों से दलित वर्ग के युवा भी विदेश जाने लगे हैं, विदेशों में भी जट सिख लोग इन्हें दूर ही रखते हैं। पंजाब के जातिगत भेदभाव से मुक्ति पाने के लिए जो दलित विदेश जाते हैं, लेकिन वहां पर भी जाति का दंश पीछे नहीं छूटता है। विदेश में जाकर दलित समुदाय के कई लोगों ने अच्छे खासे पैसे कमाए और फिर अपने पंजाब के गांव में घर बनवाया। पंजाब में अपने कच्चे घर को पक्का करवाने से उनके अंदर एक आत्मविश्वास जागता है, इसलिए भी ये ऐसा करते हैं। 80 और 90 के दशक में पंजाब के अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों ने अपने पक्के घर बनवाए।

 

दलित वर्ग के लोगों ने पिछले 10-12 सालों में अपनी पहचान को लेकर गर्वान्वित महसूस करना शुरू कर दिया है। जब दलितों में भी अपनी पहचान को लेकर अभिमान बढ़ने लगा तो पंजाब में जटों और दलितों के बीच झल्लूर, टलहन जैसी कई जगहों पर संघर्ष देखने को मिले। टलहन में एक रविदासी मंदिर हुआ करता था, लेकिन पंजाब में आतंकवाद के दौर में इस मंदिर को गुरुद्वारे में तब्दील कर दिया, स्थानीय जाट लोगों ने इस पर नियंत्रण जमा लिया। करीब 15 साल पहले स्थानीय समुदायों ने आवाज उठाई कि अगर ये गुरुद्वारा है तो इसमें चुनाव होना चाहिए और इसके बाद फिजिकल लड़ाई शुरू हो गई। इसके बाद यहां दलित वर्ग के लड़कों ने जट वर्ग की पिटाई की।

पिछले दिनों चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब का CM बना दिया, लेकिन ये ऊपर से की गई नियुक्ति थी। वहीं चन्नी का दूसरा पक्ष ये भी है कि वो एक बहुत ही सफल कारोबारी, राजनीतिज्ञ, बेहतरीन छात्र नेता, पढ़े-लिखे नेता हैं। तो भले ही ये ऊपर से नियुक्त किए गए CM हैं, लेकिन उनकी काबिलियत भी कम नहीं है। चन्नी के मुख्यमंत्री बनने से दलित वर्ग में ये संदेश तो जाएगा कि उनके तबके से आना वाला व्यक्ति राज्य के सर्वोच्च पद पर पहुंच सकता है।

Casteism In Punjab Part 3; Expert On Jatiwaad Ka Itihas, Dalit Identity |  पंजाब में जातिगत भेदभाव की जड़ में है आर्थिक असमानता, लेकिन पिछले 10-12 साल  में आया बड़ा बदलाव - Dainik Bhaskar

‘जाति के लिटमस टेस्ट में पंजाब का समाज फेल हो जाता है‘

पंजाब में अनुसूचित जातियों में ही करीब 39 जातियां आती हैं। पंजाब के गांव में 37% दलित आबादी है, लेकिन ज्यादातर SC लोगों के पास जमीनें नहीं है। कई लोगों के पास अपने घर तक नहीं हैं। ये बड़ी अजीब बात है कि 37% आबादी के पास खेती करने वाली जमीन सिर्फ 2-3% है। बची हुई सारी जमीन जट सिखों, ठाकुर, राजपूत, गुज्जर, सैनी, कंबोज के पास है।

किसी भी गांव में जब हम जाते हैं तो दिखता है कि गांव के एक कोने में सारे दलित रहते हैं। इसी वजह से पूजा स्थल, गुरुद्वारे, श्मशान स्थल भी अलग-अलग होते चले गए। इसमें मेरा विश्लेषण ये हैं कि एक कारण ये है कि कई सालों से जब दलित वर्ग के साथ भेदभाव होता रहा तो उनके मन में ये बात आई कि क्यों न हम अपना अलग गुरुद्वारा बना लें। इसके इतर दूसरा कारण ये है कि जब SC समुदाय में से मजहबी सिख, अधर्मी, रविदासी, वाल्मीकी समुदाय के लोग विदेश गए और वो पैसे कमाकर लौटे, तब ये अलग गुरुद्वारे बनाने की होड़ को आर्थिक बल भी मिल गया।

पूरे देश में जिस तरह जातिगत बंटवारा है, उसी तरह पंजाब में भी जाति के आधार पर बंटवारा देखने को मिलता है। हालांकि, देश के बाकी हिस्सों में जिस स्तर पर जातियों के बीच नफरत, हिंसा, बंटवारा, भेदभाव देखने को मिलता है, जैसे खबरें आती हैं कि ‘दलित घोड़ी चढ़कर अपनी बरात नहीं ले जा सकता’, इस तरह से पंजाब में जातिगत द्वेष देखने को नहीं मिलता है। इसकी बड़ी वजह ये है कि पंजाब में सिख धर्म का काफी असर है और सिख धर्म सामाजिक परिवर्तन से जुड़ा आंदोलन ही था। फिर भी, जाति के असर को मापने का लिटमस टेस्ट ये है कि क्या लोग अपनी जातिगत पहचान से ऊपर उठकर शादियां कर पाते हैं? इसका जवाब है नहीं। सिख धर्म ने जातिगत नफरत को कम तो किया, लेकिन ये जाति को खत्म नहीं कर पाए।

‘आर्थिक स्तर पर ये बंटवारा, जाति के स्तर पर बड़ा हो जाता है‘

पूरे भारत की तुलना अगर पंजाब से करके देखें तो पंजाब में जाति का असर कम देखने को मिलता है। हालांकि, कई ऐसे मौके आते हैं जब जातिवाद की परतें खुलने लगती हैं। पंजाब के गांव में सबसे कीमती चीज होती है खेती करने वाली जमीनें और गांव में ज्यादातर जमीनें जट सिखों के पास होती हैं। दलितों के पास बहुत ही कम, ना के बराबर जमीनें होती हैं। ऐसे में आर्थिक स्तर पर ये बंटवारा, जाति के स्तर पर बड़ा हो जाता है। पूंजीपति और मजदूर के बीच का आर्थिक अंतर सामाजिक स्तर पर ऊंची जाति और निम्न जाति के रूप में दिखने लगता है।

पंजाब के अलावा बाकी देश में जिस तरह से जातिगत हिंसा, नफरत, भेदभाव होता है, पंजाब में ऐसा नहीं है। इसकी वजह गुरुनानक का सामाजिक आंदोलन था। सिख धर्म के 10वें गुरु गुरुगोविंद सिंह साहब ने जब खालसा पंथ की स्थापना की तो उन्होंने एक जात-पात विहीन समाज की कल्पना की। गुरुगोविंद सिंह की फौज में सभी जातियों, समुदायों का समावेश हुआ। सिख धर्म में संगत और पंगत की परंपरा रही है, जिसका उद्देश्य था कि समाज में भेदभाव और गैरबराबरी खत्म हो। बहुत पहले लोगों ने ये महसूस कर लिया था कि जात-पात ने पंजाब के समाज का बहुत नुकसान किया है।

सौजन्य : दैनिक भास्कर


Share
test

Filed Under: Social & Cultural Studies, Stories & Articles

Primary Sidebar

News

ਪੰਜਾਬ ਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜਗਾਵਾਂ ਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਿਵਸ ਮਨਾਇਆ

June 6, 2023 By News Bureau

Punjab News: हड़ताल के चलते अस्पताल में मरीज बेहाल

June 6, 2023 By News Bureau

चंडीगढ़ PGI का NIRF रैकिंग में दूसरा स्थान

June 6, 2023 By News Bureau

पंजाब के कई स्कूलों में 150 बच्चे 1 टीचर के सहारे

June 6, 2023 By News Bureau

20वीं एशियान अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप

June 6, 2023 By News Bureau

Areas of Study

  • Governance & Politics
  • International Perspectives
  • National Perspectives
  • Social & Cultural Studies
  • Religious Studies

Featured Article

The Akal Takht Jathedar: Despite indefinite term why none has lasted beyond a few years?

May 15, 2023 By Guest Author

Kamaldeep Singh Brar The Akal Takth There’s no fixed term for the Jathedar (custodian) of the Akal Takht, the highest temporal seat in Sikhism. That means an Akal Takht Jathedar can continue to occupy the seat all his life. Yet, no Akal Takht Jathedar in recent memory has lasted the crown of thorns for more […]

Academics

‘सिंघसूरमा लेखमाला’ धर्मरक्षक वीरव्रति खालसा पंथ – भाग-10 – भाग-11

सिंघसूरमा लेखमाला धर्मरक्षक वीरव्रति खालसा पंथ – भाग-10 विजयी सैन्य शक्ति के प्रतीक ‘पांच प्यारे’ और पांच ‘ककार’ नरेंद्र सहगल श्रीगुरु गोविंदसिंह द्वारा स्थापित ‘खालसा पंथ’ किसी एक प्रांत, जाति या भाषा का दल अथवा पंथ नहीं था। यह तो संपूर्ण भारत एवं भारतीयता के सुरक्षा कवच के रूप में तैयार की गई खालसा फौज […]

‘सिंघसूरमा लेखमाला’ धर्मरक्षक वीरव्रति खालसा पंथ – भाग-8 – भाग-9

सिंघसूरमा लेखमाला धर्मरक्षक वीरव्रति खालसा पंथ – भाग-8 अमृत शक्ति-पुत्रों का वीरव्रति सैन्य संगठन नरेंद्र सहगल संपूर्ण भारत को ‘दारुल इस्लाम’ इस्लामिक मुल्क बनाने के उद्देश्य से मुगल शासकों द्वारा किए गए और किए जा रहे घोर अत्याचारों को देखकर दशम् गुरु श्रीगुरु गोविंदसिंह ने सोए हुए हिंदू समाज में क्षात्रधर्म का जाग्रण करके एक […]

‘सिंघसूरमा लेखमाला’ धर्मरक्षक वीरव्रति खालसा पंथ – भाग-6 – भाग-7

सिंघसूरमा लेखमाला धर्मरक्षक वीरव्रति खालसा पंथ – भाग-6 श्रीगुरु गोबिन्दसिंह का जीवनोद्देश्य धर्म की स्थापना, अधर्म का नाश नरेंद्र सहगल ‘हिन्द दी चादर’ अर्थात भारतवर्ष का सुरक्षा कवच सिख साम्प्रदाय के नवम् गुरु श्रीगुरु तेगबहादुर ने हिन्दुत्व अर्थात भारतीय जीवन पद्यति, सांस्कृतिक धरोहर एवं स्वधर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान देकर मुगलिया दहशतगर्दी को […]

Twitter Feed

ThePunjabPulse Follow

@ ·
now

Reply on Twitter Retweet on Twitter Like on Twitter Twitter
Load More

EMAIL NEWSLETTER

Signup to receive regular updates and to hear what's going on with us.

  • Email
  • Facebook
  • Phone
  • Twitter
  • YouTube

TAGS

Academics Activities Agriculture Areas of Study Books & Publications Communism Conferences & Seminars Discussions Governance & Politics Icons of Punjab International Perspectives National Perspectives News Religious Studies Resources Social & Cultural Studies Stories & Articles Uncategorized Videos

Footer

About Us

The Punjab Pulse is an independent, non-partisan think tank engaged in research and in-depth study of all aspects the impact the state of Punjab and Punjabis at large. It strives to provide a platform for a wide ranging dialogue that promotes the interest of the state and its peoples.

Read more

Follow Us

  • Email
  • Facebook
  • Phone
  • Twitter
  • YouTube

Copyright © 2023 · The Punjab Pulse

Developed by Web Apps Interactive