पंजाब से जा रहा पूरा पानी, राजस्थान को मिल रहा कम; मानकों से ज्यादा इस्तेमाल कर रहा हरियाणा
29 नवंबर, 2024 – चंडीगढ़ : सतलुज-यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर आज तक पंजाब-हरियाणा में 36 का आंकड़ा है। अब पंजाब की तरफ से राजस्थान के लिए छोड़े जा रहे पानी पर दोनों राज्य आमने सामने आ गए हैं।
पानी के मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। पंजाब की भाखड़ा मेन लाइन से राजस्थान के लिए जो पानी छोड़ा जाता है, उसमें से हरियाणा तय मानकों का उल्लंघन करते हुए अधिक पानी का इस्तेमाल कर रहा है। इस पर पंजाब ने राजस्थान सरकार के जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
अब राजस्थान के हिस्से के पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच तनाव की स्थिति बन रही है।
राजस्थान सरकार को लिखी चिट्ठी में पंजाब सरकार ने हवाला दिया है कि भाखड़ा मेन लाइन के आरडी नंबर-390 से जो पानी छोड़ा जाता है, उसकी 15 दिन तक निगरानी की गई। उससे सामने आया है कि हरियाणा ने तय मानकों से अधिक पानी इस्तेमाल किया है। इस वजह से उसे बीते दिनों रोजाना 199 क्यूसेक कम पानी मिला है।
पंजाब ने राजस्थान को भेजी यह रिपोर्ट
पंजाब सरकार ने राजस्थान को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें बताया है कि भाखड़ा मेन लाइन की शुरुआत से लेकर हरियाणा एंट्री पॉइंट तक 390 पॉइंट हैं। जल संसाधन विभाग ने 1 से 15 नवंबर तक पानी का माप करवाया। इस दौरान भाखड़ा से हर दिन 6062 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जबकि जरूरत 6017 की थी। इसमें राजस्थान का पानी भी शामिल था। राजस्थान की भाखड़ा मेन लाइन से रोजाना पानी की मांग 623 क्यूसेक है, जबकि उसे 424 क्यूसेक पानी मिल रहा है।
राजस्थान भी उठा चुका है मुद्दा
चंडीगढ़ में नॉर्दर्न जोनल काउंसिल की स्टैंडिंग कमेटी की अक्तूबर में हुई बैठक में भी राजस्थान सरकार के नुमाइंदों ने भाखड़ा मेन लाइन से उन्हें कम पानी मिलने का मुद्दा उठाया था। स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में उठे इस मुद्दे पर पंजाब सरकार ने अपनी ओर से मॉनिटरिंग कर पानी की उपलब्धता का पूरा आश्वासन दिया था। पंजाब ने अब राजस्थान सरकार को रिपोर्ट भेजकर हरियाणा द्वारा पानी के ज्यादा इस्तेमाल का मुद्दा उठाकर सवाल खड़े कर दिए हैं। उस समय उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति की बैठक में हरियाणा ने दावा किया था कि पंजाब कम पानी दे रहा है। इस कारण हम उस हिसाब से पानी नहीं दे पा रहे हैं। यह भी सामने आया है कि इस मामले में राजस्थान सरकार की ओर से काफी समय पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
सौजन्य : अमर उजाला
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