27 दिनों तक धकेला था पीछे
19 अक्टूबर, 2022 – इटानगर : चीन के साथ 1962 की लड़ाई में भारतीय सेना वालौंग के युद्ध में चीनी आक्रमण पर मुंहतोड़ जवाब देने की हीरक जयंती मना रही है। यहां भारतीय सेना की इकाइयों ने साठ साल पहले हुए इस युद्ध में ना सिर्फ चीन को हराया था बल्कि उसे 27 दिनों तक पीछे हटने के लिए विवश कर दिया था। तेजपुर में स्थित रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल एएस वालिया ने एक बयान जारी करके बताया था कि उस युद्ध में भारतीय सेना ने केवल यहीं जवाबी हमला किया था और चीनी सेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) को खून के आंसू रुलाया था।
बिना किसी संसाधन के भारतीय जवानों ने दिया था साहस का परिचय
जांबाज भारतीय जवानों ने अपने अदम्य साहस और शौर्य से पीएलए के सैनिकों को पीछे खदेड़ते हुए 27 दिनों तक सीमा से दूर रखा था। इसी दौरान सेना को तवांग से वालौंग तक एक रिजर्व डिविजन तैनात करने का मौका मिला था। बयान में बताया गया है कि संख्या बल में बेहद कम भारतीय जवानों के पास बंदूकों और गोलियों की भी भारी कमी थी। बिना किसी संसाधन के भारतीय जवानों ने पीढि़यों तक याद किए जाने वाले साहस का परिचय देते हुए आखिरी जवान और आखिरी गोली तक युद्ध जारी रखने की नीति अपनाई।
अक्टूबर से नवंबर तक हुए घटनाक्रमों की याद में जश्न मनाती है सेना
वीरता और बलिदान की यह कहानी भारतीयों के लिए बेहद प्रेरणादायी है। वालौंग युद्ध में जीत के लिए भारतीय सेना 1962 में अक्टूबर से नवंबर तक हुए घटनाक्रमों की याद में जश्न मनाती है। इन कार्यक्रमों में वालौंग युद्ध पर मोव स्थित आर्मी वार कालेज, डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कालेज, वेलिंगटन और कोलकाता में व्याख्यान होंगे। सोमवार को अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले के वालौंग में कार्यक्रम का उद्घाटन हुआ था।
इसका उद्घाटन स्पीयर कार्प के जनरल अफसर कमांडिंग ने किया। यह कार्यक्रम ‘नो योर आर्मी’ अभियान के तहत भी आयोजित किया जा रहा है। इसके तहत एक मोटरसाइकिल रैली का भी आयोजन होना है। यह तेजपुर से शुरू होगी और 1962 की लड़ाई के प्रमुख स्थलों से होते हुए रवाना होगी। जवान उन क्षेत्रों की मिट्टी को एकत्र करके लाएंगे। इसका इस्तेमालस वालौंग वार मेमोरियल को बनाने में होगा।
सौजन्य : दैनिक जागरण
test