लवलीन भारद्वाज
मैं पंजाबी तो हूं लेकिन भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी की तरह अर्थशास्त्री नहीं हूं इसलिए इस पोस्ट को पढ़ते समय आप मेरे मनोभाव पर जाने की बजाय अपने दिमाग से काम लेना।
90 के दशक की शुरुआत में मैं हाई स्कूल में पढ़ता था तो मुझे याद है कि अचानक से खाड़ी युद्ध के बारे में ख़बरें सुनने को मिलीं हालांकि युद्ध हमसे (भारत से) तकरीबन 4000 किलोमीटर दूर लड़ा जा रहा था लेकिन युद्ध के दुष्परिणामों से सबसे ज्यादा प्रभावित हम (भारतीय) हो रहे थे उस समय मेरे शहर में 2 पेट्रोल पंप होते थे जो मेरे स्कूल के रास्ते में ही पड़ते थे और मैं स्कूल आते जाते रोज़ाना इन पेट्रोल पंपस पर तेल भरवाने वालों की लम्बी कतारें देखता था और यक़ीन मानिए भारत में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में से लेकर सोने और खाद्य पदार्थों की कीमतों में उस समय आया उछाल कभी थमता नजर नहीं आया विधी का विधान देखिए दुर्भाग्यवश उसी समय हमारे देश के एक चर्चित अर्थशास्त्री भारतीय अर्थव्यवस्था को कथित पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे थे, उस अर्थशास्त्री ने तो कोई चमत्कार किया जा नहीं लेकिन शुरू से मैथ में कमज़ोर चल रहे मेरे दिमाग़ में एक बात घर कर गई कि जब भी दुनिया में कहीं भी युद्ध की स्थिति पैदा होगी तो भारत में पेट्रोलियम पदार्थों के साथ साथ सोने के दाम आसमान को छूने लगेंगे क्योंकि भारत में इन चीजों की बहुत डिमांड रहती है और यह दोनों ही चीजें भारत बाहर से मंगवाता है।
अब उन बातों को लगभग 3 दशक बीत चुके हैं बहुत सी घटनाएं पघट चुकी है राजनीतिक परिपेक्ष्य में दुनिया इधर से उधर घूम चुकी है और इसी बीच भारत में भी सत्ता परिवर्तन हो चुका है और एक पारंपरिक परिवारिक पार्टी को पछाड़ कर एक अत्यंत आवश्यक और अनुशासित लोकतांत्रिक पार्टी पिछले 8 साल से भारतीय जनता के विश्वास पर खरा उतरते हुए विश्व पटल पर न केवल भारत को एक अलग पहचान दिलवाने में कामयाब हुई है बल्कि भारतीय इतिहास में पहली बार भारत की विदेश नीति को दुनिया भर की परवाह किए बगैर भारत हितैषी विदेश नीति बनाकर दुनिया की आंख में आंख डालकर बात करने के काबिल बना चुकी है।
भारत में एक दूर अंदेशी नेता नरेंद्र मोदी की अगुआई में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को विश्व प्रतिस्पर्धा के इस दौर में करोना जैसी वैश्विक महामारी से उभरते ही अचानक फिर एक बार खाड़ी युद्ध जैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है इस बार भी हालात हूबहू वहीं हैं इस बार भी दुनिया के एक बड़े तेल और गैस निर्यातक देश का युद्ध में शामिल होना मतलब दुनिया की मुश्किलें बढ़ाने जैसा ही था लेकिन भारत में विपक्षीय पार्टीयों के कथन अनुसार चाय बेचने वाले लेकिन भारतीय लोगों के अनुसार आपदा में अवसर ढूंढने वाले दूर अंदेशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने दुनिया की परवाह किए बिना भारत के हितों को आगे रखते हुए ऐसी डिप्लोमेसी की है कि रूस से लगभग 30% सस्ता तेल खरीद कर जब दुनिया में तेल और गैस के रेट आसमान को छू रहे हैं तो भारतीय नागरिकों को पुराने रेटों पर ही तेल और गैस की निर्विघ्न सप्लाई दी जा रही हैI
इतना ही नहीं डिप्लोमेटिक स्तर पर अपने पुराने साथी रूस को उसके बुरे समय में व्योपारिक संबंध बनाए रख कर रूस एवं भारतीय लोगों को भी पूरा लाभ दे रही है भारत सरकार रूस के इलावा ईराक से भी सस्ता तेल खरीद कर भारत में तेल की आपूर्ति और कीमतों को स्थिर बनाए रखने में कामयाब हो रही है इस समय दुनिया में अलग थलग पड़ चुके रूस के साथ अगर कोई खड़ा है तो वह सिर्फ भारत है और मजबूत नेतृत्व के चलते आज का भारत अपने दूरगामी व्यापारिक फाइलों को देखते हुए किसी से भी दुश्मनी मोल लेने से नहीं डरता जिससे प्रभावित होकर आज रूस ने भारत से मिलने वाली 500 वस्तुओं की लिस्ट भारत को सौंपी है जिसमें खाद्य पदार्थ, दवाएं, मैडीकल उपकरण, आटो पार्ट्स से लेकर रक्षा उपकरणों तक हर वह वस्तु शामिल हैं जिसका उत्पादन भारत में होता है या हो सकता है और आपदा में अवसर जैसे इन स्वर्ण अवसरों के कारण ही भारत की किस्मत चमकने वाली है इसके इलावा दंभी चीन की बेईमान नियत के कारण वहां करोना महांमारी बेकाबू होती जा रही है जिसके कारण पिछले दिनों चीन में स्थित तकरीबन 2 लाख कर्मचारियों वाला दुनिया का सबसे बड़ा आईफोन प्लांट बंद हो गया है जिसके चलते पहले ही अपना बिजनेस भारत में सिफट कर रही बड़ी बड़ी कंपनिया भारत की ओर आश्वस्त नज़रों से देख रही हैं और भारत में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ जैसा मजबूत नेतृत्व ऐसे अवसरों को हाथों-हाथ लेकर भारत की युवा शक्ति को रोज़गार के साथ साथ उच्च जीवन स्तर देने के लिए तत्पर दिखाई दे रहा है यहीं कारण है कि भारत की युवा पीढ़ी इधर उधर के मुद्दों को छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास में विश्वास दिखा रही है।
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