महापर्व “मकरसंक्रांति” / “लोहड़ी” के शुभ अवसर पर, आप को हार्दिक शुभकामनाये , आइये इस पर्व को सामाजिक समरसता दिवस के रूप में मनाकर छुआछूत की बीमारी से देश को मुक्त कराने का संकल्प लें। 💐
💐 “मकर संक्रान्ति” भारत का बहुत ही लोकप्रिय त्योहार हैं और समस्त भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है. पंजाब में मकर संक्रान्ति की पूर्वसंध्या पर “लोहड़ी” का त्यौहार मनाया जाता है, हिन्दी भाषी क्षेत्रों में खिचड़ी के रूप में मनाते हैं. इसदिन पूर्वोत्तर में “बिहू” का त्यौहार मनाते हैं तथा दक्षिण भारत में “पोंगल” के रूप में मनाते हैं.
💐 इस दिन भगवान भास्कर “दक्षिणायण” से “उत्तरायण” में आ जाते हैं और सर्दी से कंपकपाती धरती को राहत मिलना प्रारम्भ हो जाती है. यह अवसर पूर्णतयः उत्साह उमंग का होता है. कहीं लोग आग जलाकर उसके चारों और नृत्य करते हैं, कहीं पतंग उड़ाते हैं, कहीं नौका दौड़ होती है. इस अवसर पर दान- पुन्य का बहुत महत्त्व माना गया है.
💐 इस महापर्व से बहुत सारी कहानियां जुड़ी हुई हैं. सबसे प्राचीन कथा शिव पत्नी “सती” के आत्मदाह से जुड़ी हुई हैं. “सती” के पिता “दक्ष” ने “कनखल” में एक यग्य का आयोजन किया था जिसकी पूर्णाहुति मकर संक्रांति वाले दिन दी जानी थी. अपने दामाद “शिव” से रुष्ट होने के कारण उन्होंने यग्य में आने के लिए बेटी-दामाद को निमंत्रण नहीं दिया.”माता सती” के यज्ञाग्नि-दहन की याद में ही यह अग्नि जलाई जाती है. इस अवसर पर विवाहिता पुत्रियों को उनके मायके से “त्योहारी” (वस्त्र, मिठाई, फल, आदि) भेजी जाती है. “दक्ष” द्वारा यज्ञ के समय अपने दामाद “शिव” का भाग न निकालने का प्रायश्चित्त भी इसमें स्पष्ट दिखाई पड़ता है. बेटी दामाद को उपहार देना बड़ा पुण्य माना जाता है.
💐लोहड़ी का सबंध कई ऐतिहासिक कहानियों के साथ जोड़ा जाता है. इस से जुड़ी प्रमुख लोककथा बहादुर राजपूत योद्धा “दुल्ला भट्टी” की है. अकबर के शासन काल में, अत्याचार चरमसीमा पर थे, मुग़ल सैनिक हिन्दू लड़कियों को बलपूर्वक उठा लेते थे और उन्हें अपने आकाओं को सौंप देते थे. उस समय दुल्ला भट्टी ने अत्याचार के खिलाफ हथियार उठाये थे.
💐गंगा को धरती पर लाने का, भागीरथ का प्रयास भी, मकर संक्रांति के दिन ही पूरा हुआ था. हिमालय से निकलकर, भागीरथ के पीछे पीछे चलते हुए, “गंगा” मकर संक्रांति के दिन ही सागर से मिली थी. मकर संक्रांति के अवसर पर, बंगाल के क्षेत्र में स्थित, “गंगा सागर” के स्नान का बहुत महत्त्व है. कहा जाता है – “सारे तीरथ बार बार, गंगा सागर एक बार”
💐उ.प्र. / बिहार में इस दिन खिचडी दान करने का बहुत महत्त्व है. “खिलजी” के आक्रमण के समय गोरखपुर के “नाथ सम्प्रदाय” ने उनसे टक्कर ली थी. युद्ध काल में समय बचाने के लिए, दाल-चावल-सब्जियां मिलकर ऐसा इंस्टैंट फ़ूड तैयार किया जो पौष्टिक भी था. उन दिनों “नाथ योद्धाओं” को खिचडी खिलाना बहुत पुन्य का काम माना जाता था.
💐महाभारत काल में “पितामह भीष्म” ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था. उनको इच्छा म्रत्यु का वरदान था, उनकी इच्छा के बिना उनकी म्रत्यु नहीं हो सकती थी. महाभारत के युद्ध की सामाप्ति के बाद, हस्तिनापुर को युधिष्ठिर के हाथों में सुरक्षित देखकर, भगवान् भास्कर के “उत्तरायण” में आने के बाद देह को त्याग दिया था .
💐पूर्वोतर भारत में इसदिन “माघ विहू उत्सव” मनाया जाता है. यह तीन दिन चलता है. त्यौहार का प्रारम्भ “उरुका राती” से होता है. इसमें रात को परिवार, मित्र आदि मिलजुल कुछ विशेष व्यंजन बाहर पकाते है, इसे “मेजी भूज’ कहते हैं. फिर सुबह में नहा धोकर मेजी जलाते है, मेजी को भीष्म पितामह की चिता का स्वरूप समझा जाता है,
💐दक्षिण भारत में इस दिन पोंगल त्यौहार मनाया जाता है, यह दक्षिण भारत का सबसे बड़ा उत्सव है. यह उत्सव चार दिन चलता है. पहला दिन देवराज इंद्र को समर्पित रहता है, दूसरे दिन सूर्य भगवान् की पूजा होती है. तीसरे दिन भगवान् शिव के वाहन नंदी जी एवं गोवंश की पूजा होती है तथा चौथे दिन कन्या पूजन के साथ पोंगल पर्व का समापन होता है।
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