पॉवरकाम को नहीं मिली 1900 करोड़ की सब्सिडी
पावरकॉम को इस महीने 1900 करोड़ रुपये की सब्सिडी नहीं मिली है जिससे बिजली उत्पादन और वितरण में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। राज्य सरकार ने भी सब्सिडी देने से हाथ खड़े कर दिए हैं और पावरकॉम की कर्ज लेने की सीमा भी खत्म हो चुकी है। इससे प्राइवेट सेक्टर से खरीदी जाने वाली बिजली प्रभावित हो सकती है और लंबे समय तक बिजली कटौती हो सकती है।
17 सितम्बर, 2024 – चंडीगढ़ : पावरकॉम को इस महीने की सब्सिडी नहीं मिली है, जो 1900 करोड़ के आसपास है। ऐसा न होने की सूरत में पावरकॉम की स्थिति बिगड़ सकती है, क्योंकि राज्य के वित्त विभाग ने भी इस महीने से सब्सिडी देने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि पावरकॉम की कर्ज लेने की सीमा भी खत्म हो चुकी है। ऐसे में प्राइवेट सेक्टर से खरीदी जाने वाली बिजली प्रभावित होने की स्थिति हो गई है। अगर पावरकॉम ऐसा नहीं करता है तो लंबे लंबे कट लगाना निश्चित है।
काबिले गौर है कि हर साल 22 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की सब्सिडी राज्य सरकार निशुल्क बिजली देने के एवज में देती है। इसमें से 2400 करोड़ रुपये राज्य सरकार को बिजली पर लगने वाली इलेक्ट्रिसटी ड्यूटी के रूप में वापस आ जाते हैं या फिर सब्सिडी की राशि से कट जाते हैं। शेष राशि वित्त विभाग की ओर से हर महीने एडवांस में अदा करता है, जैसा कि बिजली रेगुलेटरी कमीशन का आदेश है।
पावरकॉम के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि हमें हर चीज की अदायगी एडवांस में करनी होती है, तभी हमें कोयला मिलेगा, काेयले को पंजाब तक लाने के लिए रेलवे रैक मिलेंगे या फिर लिए हुए कर्ज की किश्तें हों वह भी अदायगी एडवांस में होती है जबकि इसके विपरीत उपभोक्ताओं से बिजली के बिल हमें दो महीने बाद मिलते हैं।
पावरकॉम को हर महीने 3400 करोड़ रुपये की जरूरत होती है, जिसमें वेतन, कर्ज की किश्तें व ब्याज, कोयले व प्राइवेट सेक्टर से बिजली की खरीद और रेलवे के वैगन की पेमेंट शामिल है। चूंकि किसानों को उनकी खेती के लिए हर साल निशुल्क बिजली है, जो प्रति माह लगभग 900 करोड़ रुपये की है।
उसके अलावा लगभग इतनी ही घरेलू सेक्टर, उद्योग सेक्टर आदि को दी जा रही बिजली पर खर्च करना पड़ता है। यह अदायगी सरकार करती है, लेकिन यह राशि न आने के कारण प्राइवेट सेक्टर से न केवल बिजली खरीदना मुश्किल हो जाएगा बल्कि अपने थर्मल प्लांटों के लिए कोयला भी नहीं मिल पाएगा।
अनियंत्रित हो चुकी है बिजली सब्सिडी
1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की ओर से सभी ट्यूबवेलों के लिए निशुल्क बिजली सब्सिडी देने का फैसला किया गया था जिस पर उस समय 350 करोड़ रुपये खर्च आए थे, लेकिन यह धीरे धीरे बढ़ता रहा और इसमें और भी सेक्टर शामिल होते गए। पहले अनुसूचित जाति, फिर पिछड़ी श्रेणी, फिर उद्योग और अब घरेलू सेक्टर।
2007 से लेकर 2017 तक अकाली-भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान 35 हजार करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी दी। अब एक ही वर्ष की सब्सिडी का बोझ 22 हजार करोड़ रुपये पार कर गया है। आम आदमी पार्टी की सरकार की ओर से घरेलू सेक्टर को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी 7800 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है।
किस सेक्टर को कितनी सब्सिडी
- पावरकॉम इस समय किसानों को निशुल्क बिजली के एवज में 9094 करोड़ की सब्सिडी देता है।
- 7800 करोड़ रुपये की सब्सिडी 300 यूनिट घरेलू सेक्टर के लिए
- 2800 करोड़ की इंडस्ट्री काे पांच रुपये प्रति यूनिट देने के लिए
- 1407 करोड़ सात किलोवाट वालों को तब मिलती है, अगर उनकी खपत 300 यूनिट से ऊपर चली जाए। हालांकि, पिछले हफ्ते यह सब्सिडी सरकार ने वापस ले ली है।
सौजन्य : दैनिक जागरण
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