• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • About Us
  • Our Authors
  • Contact Us

The Punjab Pulse

Centre for Socio-Cultural Studies

  • Areas of Study
    • Social & Cultural Studies
    • Religious Studies
    • Governance & Politics
    • National Perspectives
    • International Perspectives
    • Communism
  • Activities
    • Conferences & Seminars
    • Discussions
  • News
  • Resources
    • Books & Publications
    • Book Reviews
  • Icons of Punjab
  • Videos
  • Academics
  • Agriculture
  • General
You are here: Home / Religious Studies / श्री गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े 4 बड़े गुरुद्वारे

श्री गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े 4 बड़े गुरुद्वारे

November 5, 2022 By News Bureau

Share

मान्यता ऐसी की दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

श्री गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े 4 बड़े गुरुद्वारे, मान्यता ऐसी की  दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु - Four Gurdwaras connected to the life of Sri  Guru Nanak Dev

श्री गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े 4 बड़े गुरुद्वारे

05 नवम्बर, 2022 – लुधियाना : गुरूद्वारों की बात चलते ही सबसे पहले हमारे मन में गोल्डन टेंपल यानी हरिमंदिर साहिब का नाम आता हैं। मगर इसके अलावा भी ना सिर्फ पंजाब बल्कि पूरे भारत में ऐसे कई गुरूद्वारे हैं जो अपनी आस्था और सुंदरता के लिए जाने जाते हैं।

इन गुरूद्वारों में आत्मिक सुकून के साथ-साथ सिख धर्म के इतिहास के बारे में भी जानकारी मिलती है। वहीं हम ऐसे चार गुरूद्वारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो श्री गुरु नानक देव जी से संबंधित हैं। यह गुरुद्वारे देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध हैं और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां नतमस्तक होने पहुंचते हैं।

गुरुद्वारा श्री बेर साहिब (श्री सुल्तानपुर लोधी)

गुरुद्वारा बेर साहिब सुल्तानपुर लोधी नामक कस्बे में स्थित है। सुल्तानपुर लोधी, कपूरथला जिले का एक प्रमुख नगर है। तथा भारत के पंजाब राज्य में स्थित है। यह स्थान अपने ऐतिहासिक सिख महत्व के कारण भक्तों में काफी प्रसिद्ध है बड़ी संख्या में भक्तगण यहां दर्शन के लिए आते है। सुल्तानपुर लोधी में रहने के दौरान गुरु नानक देव जी प्रतिदिन वेई नदी पर स्नान तथा भजन बंदगी करने के लिए जाते थे। वहां पर उन्होंने एक बेर का पौधा लगाया था, जो वृक्ष के रूप में अभी भी है। यहां पर बाबा जस्सा सिंह आहलूवालिया सिक्ख पंथ के महान जरनैल जो कपूरथला रियासत के हाकिम थे, ने गुरुनानक देव जी की याद में एक धर्मस्थान बनवाया था। इस स्थान का नया भवन 1938 में बनना शुरू हुआ तथा 1942 में इसका निर्माण पूरा हुआ। यह भवन संगमरमर का बना हुआ है। यही गुरुद्वारा बेर साहिब के नाम से प्रसिद्ध है।

jagran

पावन नगरी सुल्तानपुर लोधी स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री बेर साहिब श्री गुरु नानक देव जी का भक्ति स्थल होने के कारण आस्था का केंद्र बना हुआ है। गुरु नानक साहिब रोजाना सुबह बेई नदी में स्नान कर प्रभु की भक्ति में लीन हो जाते थे। इस स्थान पर आज श्री भौरा साहिब बना हुआ है। मान्यता है कि गुरु जी ने अपने भक्त खरबूजे शाह के निवेदन पर बेर के पौधे को यहां लगाया था। 550 साल बाद भी बेर हरीभरी है। सुल्तानपुर लोधी की पवित्र नगरी जहाँ गुरु नानक देव जी ने पहली बार परमात्मा का तथा भाईचारे का उपदेश दिया, एक महान तीर्थ बन गया। और आज यह स्थान गुरुद्वारा बेर साहिब के नाम से जगत प्रसिद्ध है। जहाँ हजारों किया संख्या में  श्रृद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।

श्री ननकाना साहिब

ननकाना साहिब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है। यह लाहौर के दक्षिण पश्चिम से लगभग 80 किलोमीटर और फैसलाबाद के पूर्व से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 550 वर्ष पहले यहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी का जन्म हुआ था और पहली बार उन्होंने यहीं उपदेश दिया था। ननकाना साहिब सिखों के लिए उच्च ऐतिहासिक और धार्मिक मूल्य का एक शहर है। ननकाना साहिब का जन्म तलवंडी गांव में हुआ था। ननकाना साहिब गुरुद्वारा गुरु नानक के जीवन के दौरान कई चमत्कारी घटनाओं और कई ऐतिहासिक गुरुद्वारों की जगह है। यहां पर लगभग 18,750 एकड़ जमीन पर गुरुद्वारे है। ये जमीन तलवंडी गांव के एक मुस्लिम मुखिया राय बुलार भट्टी ने गुरु नानक को दी थी। ननकाना साहिब क्षेत्र शुरुआत में शेखपुरा जिले का एक तहसील था। 2005 में यह ननकाना साहिब नाम से अलग जिला बना।

jagran

श्री गुरु नानक जी का जन्म स्थान होने के कारण यह जगह सबसे पवित्र स्थलों में से एक मानी जाती है। ननकाना साहिब में जन्मस्थान समेत 9 गुरुद्वारे हैं, जिसमें श्रद्धालुओं की आस्था है। ये सभी गुरु नानक देव जी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़े हैं। यहां देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी श्रद्धालु मत्था टेकने पहुंचते हैं।

श्री करतारपुर साहिब

पाकिस्तान के नारोवाल जिले में बसा करतारपुर पाकिस्तान स्थित पंजाब में आता है।यह जगह लाहौर से 120 किलोमीटर दूर है।जहां पर आज गुरुद्वारा है वहीं पर 22 सितंबर 1539 को गुरुनानक देवजी ने आखिरी सांस ली।यह गुरुद्वारा रावी नदी के करीब स्थित है और डेरा साहिब रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी चार किलोमीटर है। यह गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर है। श्राइन भारत की तरफ से साफ नजर आती है।

मान्यता के अनुसार

  1. जब नानक जी ने अपनी आखिरी सांस ली तो उनका शरीर अपने आप गायब हो गया और उस जगह कुछ फूल रह गए। इन फूलों में से आधे फूल सिखों ने अपने पास रखे और उन्होंने हिंदू रीति रिवाजों से गुरु नानक जी का अंतिम संस्कार किया और करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब में नानक जी की समाधि बनाई।
  2. वहीं, आधे फूलों को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुस्लिम भक्त अपने साथ ले गए और उन्होंने गुरुद्वारा दरबार साहिब के बाहर आंगन में मुस्लिम रीति रिवाज के मुताबिक कब्र बनाई।
  3. गुरु नानक जी ने इसी स्थान पर अपनी रचनाओं और उपदेशों को पन्नों पर लिख अगले गुरु यानी अपने शिष्य भाई लहना के हाथों सौंप दिया था।यही शिष्य बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए।
  4. इन्हीं पन्नों पर सभी गुरुओं की रचनाएं जुड़ती गई और दस गुरुओं के बाद इन्हीं पन्नों को गुरु ग्रन्थ साहिब (Gur Granth Sahib) नाम दिया गया,जिसे सिख धर्म का प्रमुख धर्मग्रंथ माना गया।

jagran

इस स्थान पर गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए थे। कहा जाता है कि यहां गुरु नानक जी ने 16 सालों तक अपना जीवन व्यतीत किया। इसलिए इस गुरुद्वारे की काफी मान्यता है। करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है।

लुधियाना स्थित गुरुद्वारा गऊ घाट

गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ जहां-जहां गए वहां लोगों को सत्कार्य करने के लिए प्रेरित करते रहे। जो उनकी शरण में आया उसे शरण दी और उसके कष्टों को दूर करते गए। अपने भ्रमण के दौरान श्री गुरुनानक देव जी लुधियाना शहर भी पहुंचे और उन्होंने सतलुज के किनारे विश्राम किया। इसे बाद में गुरुद्वारा गऊघाट का नाम दिया गया। यह स्थान आज भी लुधियानवियों के लिए आस्था का केंद्र है और हर बैसाखी पर यहां मेला लगता है और बाकायदा लोग सरोवर में स्नान करते हैं। गुरुद्वारा गऊघाट वाली जगह पर गुरुजी ने आधे दिन तक विश्राम किया था और उसके बाद यहां से ठक्करवाल के लिए चले गए।

गुरुनानक देव जी अपने शिष्यों के 1515 ई में लुधियाना आए और गुरुद्वारा गऊघाट वाली जगह पर विश्राम करने लगे। उस वक्त लुधियाना पर जलाल खां लोधी शासन करते थे और उस दौर में गौ हत्या चरम पर थी। तब सतलुज दरिया लगातार लुधियाना शहर की तरफ कटाव कर रहा था और दरिया कटाव करते हुए बुड्ढा दरिया वाली जगह तक पहुंच गया था। वहां से शहर कुछ दूर रह गया था। जलाल खां को पता चला कि गुरुनानक देव जी वहां पर विश्राम कर रहे हैं तो वह उनके पास पहुंच गया और उसने गुरुजी से सतलुज के कटाव से बचाने की गुजारिश की। गुरुजी ने उसे कहा कि वह अपने राज्य में गौ हत्या बंद कर दे तो सतलुज के कटाव से उसका राज्य बच जाएगा। जलाल खां ने गुरुजी को वचन दिया और उसके बाद गुरुजी ने सतलुज को सात कोस दूर जाने को कहा। सतलुज यहां से सात कोस दूरी चले गए और एक धारा यहीं पर बहती रही। उसे बुड्ढा दरिया का नाम दिया गया। गुरुजी ने इस जगह पर गौ हत्या रुकवाई थी इसलिए इस गुरुद्वारे का नाम गुरुद्वारा गऊघाट रखा गया। आज भी गुरुद्वारा परिसर में सरोवर है और उसके पीछे बुड्ढा दरिया है। हर संक्रांति को बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां स्नान करने आते हें। प्रबंधकों का कहना है कि इतिहास से प्राप्त तथ्यों के मुताबिक गुरुनानक देव जी यहां पर करीब आधा दिन रुके थे और उसके बाद ठक्करवाल चले गए थे।

jagran

श्री गुरु नानक देव जी अपने भ्रमण के दौरान लुधियाना शहर भी पहुंचे थे और सतलुज किनारे विश्राम किया था। इसे बाद में गुरुद्वारा गऊघाट का नाम दिया गया। यह स्थान आज भी आस्था का केंद्र है और हर साल बैसाखी पर यहां मेला लगता है।

सौजन्य : दैनिक जागरण


Share
test

Filed Under: Religious Studies, Stories & Articles

Primary Sidebar

News

ਬੂਟੇ ਲਗਾ ਕੇ ਮਨਾਇਆ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਪੁਰਬ

November 29, 2023 By News Bureau

ਅੱਤਵਾਦੀ ਪੰਨੂ ਨੇ ਮੁੜ ਭਾਰਤ ਖਿਲਾਫ਼ ਉਗਲਿਆ ਜ਼ਹਿਰ

November 29, 2023 By News Bureau

ਨਹੀਂ ਬੰਦ ਹੋ ਰਿਹੈ ਰਿਸ਼ਵਤਖੋਰੀ ਦਾ ਸਿਲਿਸਲਾ !

November 29, 2023 By News Bureau

पाकिस्तान के चीनी ड्रोन पंजाब में रोज गिरा रहे पैकेट

November 29, 2023 By News Bureau

Patiala News: जर्जर हालत में है पटियाला का ऐतिहासिक शीश महल

November 29, 2023 By News Bureau

Areas of Study

  • Governance & Politics
  • International Perspectives
  • National Perspectives
  • Social & Cultural Studies
  • Religious Studies

Featured Article

ज्ञानवापी का समाधान, अपने स्वार्थ के लिए बहकाने वाले नेताओं से सावधान रहे मुस्लिम समाज

August 4, 2023 By Guest Author

किसी के लिए भी समझना कठिन है कि मुस्लिम पक्ष इसके समर्थन में क्यों नहीं कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करे? इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है लेकिन समय की मांग है कि निर्णय जल्द सामने आए। वाराणसी में जिसे ज्ञानवापी मस्जिद कहा जा रहा […]

Academics

ਮੁੱਢਲੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਡਿੱਗਦਾ ਮਿਆਰ

ਕੁਝ ਸਮਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਅਮਰੀਕਾ ਦੇ ਵਾਸ਼ਿੰਗਟਨ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ‘ਸੈਂਟਰ ਫਾਰ ਗਲੋਬਲ ਡਿਵੈਲਪਮੈਂਟ’ ਨਾ ਦੇ ਅਦਾਰੇ ਨੇ ਤੀਜੀ ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚਲੇ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਡਿੱਗਦੇ ਮਿਆਰ ਉੱਪਰ ਖੋਜ ਪੱਤਰ ਜਾਰੀ ਕੀਤਾ। ਇਸ ਖੋਜ ਪੱਤਰ ਵਿਚਲੀਆਂ ਲੱਭਤਾਂ ਨੇ ਸਬੰਧਿਤ ਤੀਜੀ ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਸਰਕਾਰਾਂ ਦੀ ਕਾਰਗੁਜ਼ਾਰੀ ਸਬੰਧੀ ਤੱਥ ਸਾਹਮਣੇ ਆਏ ਹਨ। ਇਹ ਖੋਜ ਤਕਰੀਬਨ 87 ਵਿਕਾਸਸ਼ੀਲ […]

ਪੰਜਾਬੀ ਬੋਲੀ ਦੇ ਭਵਿੱਖ ’ਤੇ ਨਜ਼ਰ

ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਤੀ ਉਪਜਾਊ ਅਤੇ ਵਿਲੱਖਣ ਰਣਨੀਤਕ ਟਿਕਾਣੇ ’ਤੇ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਇੱਥੋਂ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਕਿੰਨੀਆਂ ਹੀ ਸੱਭਿਅਤਾਵਾਂ, ਧਰਮਾਂ ਅਤੇ ਸਾਮਰਾਜਾਂ ਦੇ ਵਿਖਿਆਨਾਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਸਿੰਧ ਘਾਟੀ ਦੀ ਸੱਭਿਅਤਾ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਸ਼ਵ-ਪ੍ਰਧਾਨ ਯੁੱਗ ਤੀਕਰ ਇਹ ਧਰਤੀ ਦੂਰ ਦੁਰਾਡੇ ਦੇ ਵਪਾਰੀਆਂ, ਵਿਦਵਾਨਾਂ ਅਤੇ ਯਾਤਰੂਆਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਕ ਕਰਦੀ ਰਹੀ ਹੈ। ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ […]

ਨਹੀਂ ਰੀਸਾਂ ਪੰਜਾਬੀਏ ਤੇਰੀਆਂ…

ਪ੍ਰੋ. ਅੱਛਰੂ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਚਾਲ਼ੀ ਸਾਲਾਂ ਤੋਂ ਵੀ ਲੰਮੇ ਅਰਸੇ ਦੇ ਅਧਿਆਪਨ ਦੌਰਾਨ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦਿਆਂ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਸਥਤਿੀਆਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ। ਮੇਰੀ ਕਰਮ-ਭੂਮੀ ਨਿਰੋਲ ਪੇਂਡੂ ਪਿਛੋਕੜ ਵਾਲੀ ਸੀ ਅਤੇ ਮੇਰੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦਾ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਹੱਥ ਅਕਸਰ ਤੰਗ ਹੀ ਹੁੰਦਾ ਸੀ। ਕਦੇ ਕਿਸੇ ਦਾ ਉਚਾਰਣ ਵਿਗੜ ਜਾਂਦਾ ਅਤੇ ਕਦੇ […]

Twitter Feed

Twitter feed is not available at the moment.

EMAIL NEWSLETTER

Signup to receive regular updates and to hear what's going on with us.

  • Email
  • Facebook
  • Phone
  • Twitter
  • YouTube

TAGS

Academics Activities Agriculture Areas of Study Art and Culture Book Reviews Books & Publications Communism Conferences & Seminars Discussions Enviourment General Governance & Politics Icons of Punjab International Perspectives Media National Perspectives News Religious Studies Resources Science Social & Cultural Studies Stories & Articles Technology Uncategorized Videos

Footer

About Us

The Punjab Pulse is an independent, non-partisan think tank engaged in research and in-depth study of all aspects the impact the state of Punjab and Punjabis at large. It strives to provide a platform for a wide ranging dialogue that promotes the interest of the state and its peoples.

Read more

Follow Us

  • Email
  • Facebook
  • Phone
  • Twitter
  • YouTube

Copyright © 2023 · The Punjab Pulse

Developed by Web Apps Interactive