पाकिस्तान जुलाई 2025 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बनेगा जिससे कश्मीर मुद्दे को उठाने की आशंका है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में आतंकी रैलियों में भारत पर हमलों की धमकी दी जा रही है। भारत FATF जैसे मंचों पर पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से संबंधों का खुलासा करेगा। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के ठिकानों को फिर से शुरू करने की तैयारी है।
05 जून, 2025 – नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के बतौर अस्थाई सदस्य पाकिस्तान जुलाई, 2025 में एक महीने के लिए दुनिया के इस सबसे बड़े पंचायत का अध्यक्ष रहेगा। इस बात की पूरी उम्मीद है कि पाकिस्तान अपने अध्यक्षीय पद का लाभ उठाते हुए कश्मीर मुद्दे को हवा देने की कोशिश करेगा। लेकिन भारत की तैयारियां भी पुख्ता दिखती हैं।
खास तौर पर ऑपरेशन सिंदूर के बाद जिस तरह से पाकिस्तान के कई शहरों में आयोजित होने वाली रैलियों में खुलेआम आतंकवादी हिस्सा ले रहे हैं और भारत पर हमला करने की धमकी दे रहे हैं, इसके बारे में सारी सूचनाएं जुटाई जा रही हैं।
इन्हें भारत एफएटीएफ (फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स-आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए स्थापित अंतरराष्ट्रीय एजेंसी) और दूसरे मंचों पर पर आतंकवादी संगठनों के साथ पाकिस्तान के लगातार मजबूत बने रिश्तों का पोल खोलने के लिए किया जाएगा। ये रैलियां भारत के इस आरोप को पुख्ता करते हैं कि पाकिस्तान सरकार की तरफ से सीमा पार आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले संगठनों को प्रश्रय देने का काम कभी नहीं रोका।
जैश ए मोहम्मद का गढ़ माना जाता है बहावलपुर
भारतीय एजेंसियों को इस बात की सूचना मिली है कि ऑपरेशन सिंदूर के पहले दिन भारत ने पाकिस्तान के जिन नौ शहरों में चलने वाले आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया था, उनको नये सिरे से शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
बहावलपुर स्थित जैश ए मोहम्मद का गढ़ सुभान-अल्लाह मस्जिद में फिर से गतिविधियां शुरू हो गई हैं। इसका एक बड़ा हिस्सा भारतीय हमले में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है। वैसे वहां जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम किये गये हैं और पाकिस्तानी मीडिया को भी जाने की इजाजत नहीं है।
इसी तरह से एक अन्य आतंकी संगठन लश्करे तैयबा के अधिकारियों को मुजफ्फराबाद व मुरीदके स्थित उसके धवस्त ठिकानों का अवलोकन करने की सूचनाएं भी आई हैं। आपरेशन सिंदूर के दौरान कार्रवाई में इन सभी आतंकी ठिकानों को काफी नुकसान पहुंचा था और यहां प्रशिक्षण हासिल करने वाले आतंकियों की मौत भी हुई थी।
आतंकियों के साथ खड़ी दिख रही पाकिस्तान सरकार
इस काम में पहलगाम हमले कराने के साजिश में शामिल सैफुल्लाह कसूरी फिलहाल भारत विरोधी रैलियों में सबसे आक्रामक दिख रहा है। लाहौर में सोमवार को उसने एक रैली में खुलेआम कश्मीर में फिर से हमला करने की धमकी दी।
इस रैली में पंजाब प्रांत के विधानसभा के स्पीकर मलिक अहमद खान ने भी हिस्सा लिया था। पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग की तरफ से आयोजित इस रैली में तल्हा सईद (हाफिज सईद का बेटा) भी शामिल हुआ और उसका सार्वजनिक अभिनंदन भी किया गया।
तल्हा सईद और सैफुल्लाह कसूरी दोनों ही वैश्विक आतंकवादी सूची में शामिल हैं। इनका पाकिस्तान में इस तरह से खुलेआम सार्वजनिक सभाओं में राजनेताओं के साथ शामिल होना बताता है कि पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद को लेकर अब कोई लिहाज नहीं रह गया है।
पाकिस्तान ने विदेशों में भेजा अपना डेलिगेशन
यह काम तब किया जा रहा है कि जब पाकिस्तान सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर अपना पक्ष रखने के लिए दो-दो पूर्व विदेश मंत्रियों बिलावल भुट्टो और हिना रब्बानी की अगुवाई में एक दल विदेश भेज रखा है। यह दल विदेशी सरकारों के समक्ष यह गुहार लगा रहा है कि सीमा पार आतंकवाद पर भारत बगैर किसी सबूत के पाकिस्तान को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।
हाल ही में भारत ने यह कहा है कि FATF में एक बार फिर वह पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के साथ सांठगांठ के मुद्दे पर जाएगा। वर्ष 2017-18 में भी भारत ने FATF के समक्ष पाकिस्तान में खुलेआम घूमने वाले आतंकियों और भारत में सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के मुद्दे को रखा था, इसकी वजह से ही पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाला गया था। FATF के बताये दिशानिर्देशों पर काम करने के बाद पाकिस्तान सरकार किसी तरह से प्रतिबंधित सूची में शामिल होने से बच सका था
सौजन्य : दैनिक जागरण
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