हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों, हमें रोजाना एक नया मुद्दा नहीं लाना चाहिए, मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे
03 जून, 2022 – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में कहा कि कुछ जगहों के प्रति हमारी अलग भक्ति थी और हमने उसके बारे में बात की, लेकिन हमें रोजाना एक नया मुद्दा नहीं लाना चाहिए। ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति है और उसी के अनुसार कुछ करना ठीक है, लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों?
नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह में सरसंघचालक ने कहा, जहां हिंदुओं की भक्ति है, वहां मुद्दे उठाए गए हैं। हिंदू मुसलमानों के खिलाफ नहीं सोचते, मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे। हिंदुओं को लगता है कि उन्हें हमेशा के लिए स्वतंत्रता से दूर रखने और मनोबल दबाने के लिए धर्मस्थलों को तोड़ा गया था, इसलिए धार्मिक स्थलों को पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए।
संघ प्रमुख ने कहा, मन में कोई मुद्दा हो तो उठ जाता है। यह किसी के खिलाफ है, ऐसा नहीं माना जाना चाहिए। कुछ ऐसा है तो आपसी सहमति से रास्ता खोजें। हालांकि हर बार रास्ता नहीं निकल सकता, जिसके कारण लोग अदालत जाते हैं। हमें अपनी न्यायिक प्रणाली को पवित्र और सर्वोच्च मानते हुए फैसलों का पालन करना चाहिए। उसके फैसलों पर सवाल नहीं उठाना चाहिए।
हमें विश्व विजेता नहीं बनना
भागवत ने कहा, भारत को विश्व विजेता नहीं बनना है। भारत किसी को जीतने के लिए नहीं बल्कि सभी को जोड़ने के लिए अस्तित्व में है। उन्होंने पूछा, क्या हम विश्व विजेता बनना चाहते हैं? नहीं, हमारी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है। हमें किसी को जीतना नहीं है। हमें सबको जोड़ना है। संघ भी सबको जोड़ने का काम करता है, जीतने के लिए नहीं।
बिना नीति सत्ता निरंकुश हो जाती है
उन्होंने कहा, बिना नीति के सत्ता निरंकुश हो जाती है, जैसा हम यूक्रेन में देख सकते हैं। रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। इसका विरोध हो रहा है लेकिन कोई भी उसे रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा, क्योंकि उसके पास शक्ति है। भारत पर्याप्त रूप से शक्तिशाली होता तो युद्ध को रोक देता लेकिन ऐसा नहीं है। हमारी शक्ति अब भी बढ़ रही है।
सौजन्य : अमर उजाला
संघ प्रमुख का बड़ा बयान: भागवत बोले- ज्ञानवापी का इतिहास नहीं बदल सकते, लेकिन रोज एक मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना, झगड़ा क्यों बढ़ाना
03 जून, 2022 – ज्ञानवापी विवाद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान सामने आया है। नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में गुरुवार शाम भागवत ने कहा, ‘ज्ञानवापी का एक इतिहास है, जिसे हम बदल नहीं सकते।
आज के हिंदू और मुसलमानों ने इसे नहीं बनाया है। रोज एक मस्जिद में शिवलिंग को क्यों देखना? झगड़ा क्यों बढ़ाना। वो भी एक पूजा है जिसे उन्होंने अपनाया है। वो यहीं के मुसलमान हैं।’ भागवत ने आगे कहा- वे बेशक बाहर से आयी है, लेकिन वह भी एक पूजा-पद्धति है, और जिन्होंने अपनायी है, उन सबके पूर्वज भी हमारे ऋषि-मुनि और क्षत्रिय ही हैं।
भारत किसी एक पूजा और भाषा को नहीं मानता
संघ प्रमुख आरएसएस के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग समापन समारोह में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत किसी एक पूजा और एक भाषा को नहीं मानता क्योंकि हम समान पूर्वज के वंशज हैं। इस्लाम आक्रमणकारियों के जरिए भारत में आया तो भारत की स्वतंत्रता चाहने वाले लोगों का मनोबल कम करने के लिए हजारों देवस्थान तोड़े गए। हिंदू मुसलमानों के खिलाफ नहीं सोचता है लेकिन उसे लगता है कि इनका पुनुरुद्धार होना चाहिए।
कोर्ट जो निर्णय दे उसे मानना चाहिए
भागवत ने आगे कहा कि मुसलमानों को यह बिल्कुल नहीं मानना चाहिए कि यह उनके विरुद्ध है। अच्छी बात है, ऐसा सोच के मिल-बैठ के सहमति से कुछ रास्ता निकालना चाहिए। लेकिन हर बार रास्ता नहीं निकलता तो कोर्ट जाते हैं। फिर कोर्ट जो निर्णय दे, उसको मानना चाहिए।
उन सबको स्वतंत्रता से चिर काल तक वंचित रखने के लिए, उनका मनोधैर्य दबाने के लिए यह किया गया, इसलिए हिंदू को लगता है कि इसका पुनरुद्धार होना चाहिए। हजारों देवस्थानों को तोड़ा गया। लेकिन उनमें कुछ ऐसे हैं जिनमें हिंदू समाज की विशेष श्रद्धा है।
आपस में मिलकर-जुलकर मुद्दा सुलझाएं
संघ प्रमुख ने आगे कहा,’हमने 9 नवंबर को ही कह दिया था कि राम मंदिर के बाद हम कोई आंदोलन नहीं करेंगे, लेकिन मुद्दे मन में हैं तो उठते हैं। ऐसा कुछ है तो आपस में मिलकर-जुलकर मुद्दा सुलझाएं।”
दुष्ट लोग दुनिया को जीतना चाहते हैं: भागवत
भागवत ने कहा, ‘विश्व में भारत माता की विजय करानी है, क्योंकि हमको सबको जोड़ना है न कि जीतना है। हम किसी को जीतना नहीं चाहते लेकिन दुनिया में दुष्ट लोग हैं जो हमें जीतना चाहता है। आपस में लड़ाई नहीं होनी चाहिए। आपस में प्रेम चाहिए। विविधता को अलगाव की तरह नहीं देखना चाहिए। एक-दूसरे के दुख में शामिल होना चाहिए। विविधता एकत्व की साज-सज्जा है, अलगाव नहीं है।
शक्ति उपद्रवी बनती है: भागवत
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भागवत ने कहा, ‘शक्ति उपद्रवी बनती है। हम देख रहे हैं कि लड़ाई चल रही है। रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है। लेकिन कोई भी यूक्रेन में जाकर रूस को नहीं रोक सकता क्योंकि रूस के पास ताकत है।’ भारत के रुख पर भागवत ने कहा कि भारत ने संतुलित भूमिका अपनाई है। रूस का विरोध भी नहीं किया और लड़ाई का समर्थन नहीं किया। भारत अगर पर्याप्त शक्तिशाली होता तो युद्ध को रोक लेता लेकिन भारत अभी इतना शक्तिशाली नहीं है कि युद्ध को रोक सके।’
सौजन्य : दैनिक भास्कर
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