17 दिसंबर, 2022 – सैकड़ों की भीड़; लोग हालेलुया, हालेलुया, शेर-ए-बब्बर यीशु, शेर-ए- बब्बर यीशु के जयकारे लगा रहे हैं। एक महिला बार-बार बेहोश हो रही है। होश आते ही अपने बेटे को घूरती है। कहती है इसको छोड़ूगी नहीं। इसके पूरे परिवार को खा जाऊंगी। बर्बाद कर दूंगी। वहीं एक युवक दहाड़ मारकर चीख रहा है। दस-दस लोग मिलकर भी उसे काबू नहीं कर पा रहे।
एक दो नहीं, यहां ऐसे अनगितन लोग हैं। कोई बेसुध पड़ा है। किसी की आंखों की रोशनी चली गई है तो कोई अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा। पास्टर घूम-घूमकर उनके ऊपर हाथ फेर रहे हैं, उनका सिर दबा रहे हैं। उनके छूने से कुछ लोग जमीन पर गिर पड़ते हैं, तो कुछ रोने लगते हैं।
ये नजारा है चंडीगढ़ के राजपूत भवन का। इस कम्युनिटी हॉल में हर रविवार सुबह 10 बजे से 1 बजे तक हीलिंग प्रेयर या चंगाई सभा होती है। ईसाइयत में इसे एक्सॉरसिज्म (Exorcism) भी कहते हैं। इसके जरिए पास्टर भूत-प्रेत उतारने के साथ ही कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को ठीक करने का दावा करते हैं।
पंथ सीरीज में इसी हीलिंग प्रेयर और एक्सॉरिज्म को समझने मैं दिल्ली से 250 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ सेक्टर 24 पहुंची।
रविवार का दिन, सुबह 10 बजे का वक्त। राजपूत भवन खचाखच भरा है। हर कोई पास्टर को छूना चाहता है। उनसे मिलना चाहता है। बीच-बीच में आवाजें आती हैं…
‘पास्टर मुझे सुनाई नहीं देता, मेरे कान ठीक कर दो।’
‘मुझे दिखाई नहीं देता मेरी आंखें ठीक कर दो।’
‘मेरे पापा को कैंसर है, बचा लो।’
इसी बीच पास्टर एक महिला के सिर पर हाथ फेरते हैं। वह जोर-जोर से रोने लगती है। पूरा हॉल उसकी चीख से गूंज उठता है। पास्टर कहते हैं, ‘इसके शरीर में दुष्ट आत्मा बसी है। वही इसे तंग कर रही है।’
पास्टर आंख बंद करके कुछ बुदबुदाते हैं। फिर हाथ ऊपर उठाकर बोलते हैं, ‘यीशु के नाम पर छोड़ दो इसे, इसके शरीर से निकल जाओ…हालेलुया, हालेलुया।’ कुछ देर बाद महिला शांत हो जाती है।
एयर फोर्स में जॉब करने वाले किशोरी लाल बहुत मुश्किल से चल पा रहे हैं। कहते हैं, ‘मुझे लकवा मार दिया है। शरीर काम नहीं करता है। बोलने में भी दिक्कत होती है। पहले तो और ज्यादा दिक्कत थी। जरा सा भी मूवमेंट नहीं था। पास्टर के छूने से ही चल पा रहा हूं, बोल पा रहा हूं। हर रविवार यहां आता हूं। पास्टर सब ठीक कर देंगे।’
पास्टर पॉल स्टालिन प्रोटेस्टेंट मत के सीनियर पास्टर हैं। वे भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं को शरीर से निकालने और जादू-टोना तोड़ने का दावा करते हैं।
प्रोटेस्टेंट मत यानी ईसाई समाज का वो तबका जो कैथोलिक चर्च और उनके पोप को नहीं मानता। 15वीं शताब्दी में जब कैथोलिक चर्च पर शोषण के आरोप लगे तो मार्टिन लूथर ने प्रोटेस्टेंट मूवमेंट शुरू किया। लूथर को अमेरिका का धार्मिक सुधारक माना जाता है।
मैं पूछती हूं आपका प्रोसेस क्या होता है?
पास्टर पहले मुझे एक वीडियो दिखाते हैं…
इसमें एक महिला जोर-जोर से चीख रही है। वह कह रही है, ‘मैं इसके शरीर से नहीं जाऊंगी, नहीं जाऊंगी। खा जाऊंगी इसे। इसके पूरे परिवार को खत्म कर दूंगी। सबको मारने आई हूं।’
पास्टर महिला के ऊपर हाथ फेरते हैं, उसका सिर दबाते हैं। कुछ बुदबुदाते हुए हाथ ऊपर करते हैं। फिर महिला से कहते हैं इसके शरीर से निकल जाओ। भूत-प्रेत इसका शरीर छोड़ दो। हालेलुया, हालेलुया। यीशु इसे छू ले। कोई मरेगा नहीं।’
महिला के पास उसका जवान बेटा भी खड़ा है। वो भी बदहवास है। जोर-जोर से चीख रहा है। कुछ लोग उसे मिलकर पकड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन वो काबू में नहीं आता है। इसके बाद पास्टर कहते हैं इसे पवित्र जल पिलाओ।
एक व्यक्ति उसे पानी पिलाता है। पास्टर उसके सिर पर हाथ रखते हैं। मन में कुछ बुदबुदाते हुए उसका सिर दबाते हैं। हालेलुया, हालेलुया, यीशु इसे छू ले… बोलने लगते हैं। कुछ देर बाद वो शख्स शांत हो जाता है।
पास में ही कुर्सी पर 70-80 साल का एक बुजुर्ग बैठा है। उसकी आंखें बार-बार बंद हो रही हैं। उसे कैंसर है। पास्टर एक हाथ से उसका सिर दबाते हैं और दूसरे हाथ से सीना। फिर बोलते हैं, ‘कैंसर इनके शरीर से निकल जा। वे बार-बार ये शब्द दोहराते हैं। कुछ देर बाद बुजुर्ग आखें खोलता है।
मैं पूछती हूं क्या ये लोग ठीक हो गए हैं?
पास्टर जवाब देते हैं- हां।
क्या मैं इन लोगों से मिल सकती हूं?
मेरे इस सवाल के बाद वे कुछ बहाना बनाकर बात टाल देते हैं। अगले दिन मैं पास्टर को फिर फोन करती हूं। वे फिर बात को टाल देते हैं। इसके बाद मैं कई बार उन्हें फोन करती हूं। आखिरकार वे मुझे उस शख्स का नंबर शेयर करते हैं। उनका नाम मंदीप सिंह है, जो चंडीगढ़ में ही रहते हैं।
मैंने मंदीप सिंह को फोन किया। मुझे लगा वे सत श्री अकाल बोलेंगे, लेकिन उन्होंने जय मसीह बोला। कहते हैं, ‘सिस्टर आज मैं जीसस और पास्टर की वजह जिंदा हूं। वरना दुष्ट आत्मा पूरे परिवार को मार डालती।’
मैं मंदीप से मिलने का वक्त मांगती हूं। पहले तो वे मना कर देते हैं, फिर रिक्वेस्ट करने पर मिलने के लिए घर बुलाते हैं।
मैं पूछती हूं आपके परिवार में क्या दिक्कत थी? पास्टर ने कैसे ठीक किया?
मंदीप सिंह अपनी कहानी सुनाते हैं…
”मां को कंपकंपी की बीमारी थी। कई डॉक्टरों को दिखाया। कोई फायदा नहीं हुआ। एक दिन मैंने देखा कि आंगन में रखी साइकिल ढलान की तरफ जाने की बजाय ऊपर की ओर खुद चल रही है। अगले दिन मैंने महसूस किया कि घर के सामान खुद-ब-खुद गायब हो रहे हैं। समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
धीरे-धीरे मेरे अंदर बुरी आत्मा बस गई। लोग मुझे पागल कहने लगे। पापा को कैंसर हो गया। कई बार उन्हें अस्पताल ले गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। रातभर आवाजें आती थीं। कोई दरवाजा खटखटाता था, लेकिन बाहर जाकर देखते तो कोई नहीं होता।
मेरे पड़ोसी ने एक पास्टर के बारे में बताया। मैं उनसे मिलने चर्च गया। उन्होंने कहा कि आपके घर पर किसी ने काला जादू किया है। इसी वजह से ऐसा हो रहा है। मैं आपके परिवार को बचा लूंगा।
इसके बाद पास्टर मेरे घर आने लगे। परिवार के साथ हम चर्च भी जाने लगे। पापा तो नहीं बचे, लेकिन मां ठीक हो गई। मैं भी चंगा हो गया। परिवार की सारी परेशानियां खत्म हो गईं। तभी से हम यीशु को मानने लगे।”
इसके बाद मेरी मुलाकात पंजाब के बलाचौर में रहने वाली उर्मिल रानी से होती है। वे कहती हैं, ‘मेरे घर में हर सुबह खून के छींटे दिखते थे। अलमारी में रखे कपड़े कटे हुए मिलते थे। घर की चीजें गायब हो जाती थीं। हर रात जोर-जोर से आवाजें आती थीं कि उठ उर्मिल उठ… पास्टर ने मुझे पवित्र जल पिलाया तो सब ठीक हो गया।’
आप बुरी आत्मा को कैसे भगाते हैं?
पास्टर कहते हैं, ‘ईसाई समाज में भूत-प्रेत और जादू-टोना की बहुत मान्यता है। उसे यीशु के चमत्कार से ही ठीक किया जा सकता है। हर रविवार हम राजपूत भवन में यीशु की प्रार्थना करते हैं। देशभर में 3 हजार से ज्यादा ऐसे सेंटर्स हैं, जहां मेरे जैसे पास्टर लोगों की बीमारियां ठीक कर रहे हैं।
इसके अलावा हम लोग घरों में जाकर भी भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं को भगाने का काम करते हैं। हमें फोन करके लोग बुलाते हैं।’
पास्टर कहते हैं, ‘हम यीशु पर जितना भरोसा करते हैं, शैतान उतना ही डरता है, शर्मिंदा होता है और शरीर छोड़कर भाग जाता है। सब कुछ भरोसे पर ही टिका है। आप जो इन लोगों को देख रही हैं, ये सब यीशु के चमत्कार से ठीक हो जाएंगे। अंधे, बहरे, गूंगे यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों वाले लोग भी चंगा हो गए हैं, क्योंकि उन्हें भरोसा है यीशु पर।’
मैंने पूछा अभी आप हालेलुया, हालेलुया कह रहे थे। इसका क्या मतलब है?
पास्टर कहते हैं, ‘यह एक ऐसा शब्द है जो पूरी दुनिया में एक जैसा ही बोला जाता है। असल शब्द है हालेलुजाह। लोग इसे हालेलुया कहते हैं। इसका जिक्र हिब्रू बाइबल में मिलता है। यह हालेल और जाह से मिलकर बना है। हालेल का मतलब होता है प्रेयर करना और जाह मतलब गॉड।
पास्टर बोले- 51 दिन उपवास रहा, तब शैतान को बांधने की शक्ति मिली
पास्टर बताते हैं, ‘मैंने जादू-टोना और भूत-प्रेत भगाने की पढ़ाई की है। इस फील्ड में स्पेशलाइजेशन किया है। इसके लिए बैचलर्स ऑफ थियोलॉजी और फिर मास्टर्स ऑफ थियोलॉजी करना होता है। इसके बाद प्रैक्टिस करना पड़ती है।
इतना ही नहीं सिद्धि पाने के लिए सात अलग-अलग लेवल पर प्रेयर और 21 दिन, 40 दिन या 51 दिनों का उपवास करना होता है। इस दौरान हम शैतान और उसकी सेना से लड़ते हैं। शैतान को बांधते हैं। कई बार शैतान मुझ पर हमला भी कर चुका है, लेकिन हर बार यीशु बचा लेते हैं। उनसे ही हमें शैतान को बांधने की एनर्जी मिलती है। बाइबिल में हीलिंग की ऐसी अनगिनत कहानियां हैं. जिसमें यीशु छूकर लोगों को ठीक कर देते हैं।’
इसके बाद मैं पंजाब के तीन अलग-अलग चर्चों में गई। हर जगह कमोबेश एक ही नजारा देखने को मिला। किसी के पेट में दर्द है तो किसी के पैर में। कोई बोल नहीं पा रहा तो कोई देख नहीं पा रहा है।
किसी को मिर्गी और कैंसर जैसी बीमारियां हैं तो कोई पागलों की तरह हरकत कर रहा है। हर जगह हीलिंग की प्रोसेस भी एक जैसी ही है। यानी पास्टर लोगों के सिर पर हाथ फेरते हैं, यीशु और हालेलुया, हालेलुया के जयकारे लगाते हैं।
अब मैंने तय किया कि खुद मरीज बनकर किसी पास्टर से मिलूं। मुझे नवांशहर में पास्टर मीना का कॉन्टैक्ट मिला। मैंने उन्हें फोन किया तो सबसे पहले उन्होंने मेरा इंटरव्यू लिया। पूरी छानबीन की। फिर मुझसे पूछा- क्या दिक्कत है?
मैंने कहा- मुझे खराब सपने आते हैं। रात में डर जाती हूं।
पास्टर बोली, ‘आपको इतनी दूर मेरे पास आने की जरूरत नहीं। आपके लिए फोन पर प्रार्थना कर देती हूं। आप मोहाली में पास्टर कीर्ति के पास जाओ, आपके लिए वे प्रेयर कर देंगी।’
मैंने पास्टर कीर्ति से कॉन्टैक्ट किया, लेकिन उन्होंने मिलने का वक्त नहीं दिया।
बड़े पास्टर्स से मिलने के लिए 6 महीने तक की वेटिंग
मैं पंजाब में उस पास्टर की प्रेयर मीटिंग में जाना चाहती थी, जिनके चर्चे पूरी दुनिया में हैं। मसलन पास्टर अंकुर नरूला, पास्टर बजिंदर सिंह, पास्टर अमृत संधू। जिसके जरिए मैंने इनसे कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, उनका कहना था कि पास्टर अंकुर नरुला से मिलने के लिए 4-6 महीने की वेटिंग चल रही है।
मैंने कहा कि और क्या तरीका हो सकता है उनसे मिलने का। मेरे सोर्स ने कहा कि एक-डेढ़ लाख रुपए दे सकते हो तो बताओ। मैंने कहा कि इतने पैसे तो नहीं है। उन्होंने कहा कि फिर रहने दो, यहां पास्टर से मिलने के लिए मंत्रियों तक को इंतजार करना पड़ता है।
चौथी शताब्दी में अमेरिका से शुरू हुआ था हीलिंग प्रेयर मूवमेंट
दुनिया भर में हीलिंग को अंधविश्वास बताने वाले और इसके खिलाफ काम करने वाले फिनलैंड के सनल इडामारुकू बताते हैं, ‘ईसायत के शुरू होने से पहले समाज में जो चमत्कारिक कहानियां थीं, वे चौथी शताब्दी में इसके एक बड़े तबके में शामिल हो गईं। ये लोग साइंस को नहीं मानते थे। इनका संबंध किसी कैथोलिक संस्था से नहीं था।
इनका मानना था कि दवाएं नहीं खानी हैं। हमें जीसस ही ठीक करेंगे। यह मूवमेंट अमेरिका में शुरू हुआ और फिर धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया। इनमें पास्टर का एकल राज होता है।
वे खुद को सर्वेसर्वा मानते हैं। असल में यह फेथ हीलिंग मूवमेंट है न कि ईसायत। इसे न्यू प्रोटेस्टेंट मूवमेंट या बैपटिस्ट मूवमेंट कहते हैं। भारत के पंजाब, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में इसके बड़ी संख्या में फॉलोअर्स हैं।’
साइकोलॉजिस्ट कहते हैं- जब विश्वास और मान्यता लॉजिक पर हावी हो जाती है, तब ऐसा होता है
NIMHANS बेंगलुरु के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आशीष चेरिअन इस तरह की आस्था और बिलीफ पर रिसर्च कर चुके हैं। वे कहते हैं, ‘यह एक तरह की मानसिक स्थिति है, जिसमें आदमी ‘मास बिलीफ’ में भरोसा करने लगता है। ऐसे लोगों को सजेस्टिबल पीपल कहते हैं। ये लोग आसानी से दूसरों की बातों में आ जाते हैं।’
दिल्ली की साइकोलॉजिस्ट डॉ. गीतांजली कुमार कहती हैं, ‘किसी जगह पर कुछ लोग जाते हैं, फिर वहां की बातें दूसरों से शेयर करते हैं। दूसरे को भरोसा होता है तो वह उस जगह पर जाता है और फिर तीसरे से अपना एक्सपीरियंस शेयर करता है।
ये लोग खुद ही सोचने लगते हैं कि वहां जाने से वे ठीक हो रहे हैं या उनका काम हो रहा है। उनके मन में ये बात बैठ जाती है। इसे प्लेसिबो इफेक्ट कहते हैं। यहां विश्वास और मान्यता लॉजिक पर हावी होती है।’
चंगाई सभा के नाम पर धर्मांतरण का आरोप
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, गुरुद्वारों के रखरखाव के लिए काम करती है। इसके सचिव गुरुचरण ग्रेवाल बताते हैं, यह अंतरराष्ट्रीय साजिश है। इस पर खूब पैसा बहाया जा रहा है। चंगाई सभा के नाम पर कमजोर और दलित सिखों को बहलाकर ईसाई बनाया जा रहा है। यह पंजाब का माहौल खराब करने की साजिश है। मुझे तो लगता है कि जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वे असली ईसाई नहीं है।
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