Shahbaz सरकार ने जारी कर दिया वीसा
12 नवम्बर, 2024 – पाकिस्तान की सरकार ने इस बार गुरुनानक जयंती के आसर पर भारत से वहां के गुरुद्वारों के दर्शन के इच्छुक 3000 सिखों को वीसा जारी किया है। भारत से ये सिख तीर्थयात्री आगामी 14 से 23 नवंबर तक पड़ोसी देश में स्थित गुरुद्वारों के दर्शन करने के साथ ही गुरुनानक जयंती के विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित होंगे।
ये कार्यक्रम गुरुनानक जयंती पर पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारों में हर वर्ष आयोजित किए जाते हैं। इन्हीं में भाग लेने के लिए शाहबाज सरकार ने इस बार 3000 वीसा दिए हैं। सिख तीर्थयात्रियों को ये वीसा नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग द्वारा जारी किए गए हैं। उस देश में होने वाले गुरु नानक जयंती समारोह में पाकिस्तान से ही नहीं बल्कि भारत से भी बड़ी संख्या में सिख सम्मिलित होते हैं। वीसा देने के इस कदम को पाकिस्तान के उच्चायोग ने अपने एक्स हैंडल पर प्रचारित भी किया है।
उच्चायोग के वरिष्ठ अधिकारी साद अहमद ने वीसा प्रदान करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की है और पाकिस्तान जाने वाले सिख तीर्थयात्रियों को अपनी ओर से सफर के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। पाकिस्तान के लगभग प्रत्येक गुरुद्वारे में नानक जयंती का समारोह बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। गुरुनानक जयंती का मुख्य कार्यक्रम 15 नवंबर को सम्पन्न होना है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में भारत विभाजन से पूर्व के अनेक गुरुद्वारे आज भी स्थित हैं और उनके नियमित पूजा अरदास की जाती है। वहां के अनेक गुरुद्वारों में डेरा साहिब, पंजा साहिब, ननकाना साहिब तथा करतारपुर साहिब गुरुद्वारे प्रमुख रूप से तीर्थयात्रियों की सूची में रहने वाले हैं। इस दृष्टि से इन गुरुद्वारों में विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। इतने तीर्थयात्रियों को वीसा मिलने के पीछे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की विशेष भूमिका बताई जा रही है।
पाकिस्तान में ये तीर्थयात्री गुरुद्वारों में मत्था टेकेंगे। करतारपुर गुरुद्वारा तो सिख समुदाय में खासतौर पर पूजा जाता है। गुरु नानक देव की स्मृति में यह गुरुद्वारा बनाया गया था। उन्होंने ही सन् 1515 में इसी करतारपुर नगर की नींव रखी थी।
पड़ोसी देश पाकिस्तान जाने वाले सिख तीर्थयात्रियों में भी गजब का उत्साह है। ननकाना साहिब गुरुद्वारा, करतारपुर साहिब गुरुद्वारा अथवा अन्य गुरुद्वारों का ऐतिहासिक महत्व है। अधिकांश तो गुरु साहिब के जीवन के पड़ावों से जुड़े पवित्र स्थान हैं। इसलिए यह उन 3 हजार तीर्थयात्रियों का सौभाग्य ही है कि वे इस यात्रा पर जा रहे हैं।
सौजन्य : पंचजन्य
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