क्यों खास है नई खोज?
Chandrayaan 3 News चंद्रयान-3 चांद पर लैंडिंग के बाद भी लगातार नए कमाल कर रहा है। इस बीच चंद्रयान 3 के प्रज्ञान रोवर ने नई खोज की है जो काफी खास है। दरअसल रोवर ने अपने लैंडिंग स्टेशन के पास चांद पर 160 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा खोजा है। रोवर वर्तमान में खगोलीय पिंड के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में चंद्रमा की सतह की खोज कर रहा है।
23 सितम्बर, 2024 – नई दिल्ली : Chandrayaan 3 New Discovery भारत के मून मिशन को सफल बनाने वाला चंद्रयान-3 लैंडिंग के बाद भी लगातार नए कमाल कर रहा है। इस बीच चंद्रयान 3 के प्रज्ञान रोवर ने नई खोज की है, जो काफी खास है। दरअसल, रोवर ने अपने लैंडिंग स्टेशन के पास चांद पर 160 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा खोजा है।
चांद पर नए गड्ढे की खोज की
मिशन पर प्रज्ञान रोवर द्वारा की गई नवीनतम खोजों को अहमदाबाद के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने साइंस डायरेक्ट के नवीनतम अंक में प्रकाशित किया है। प्रज्ञान रोवर द्वारा पृथ्वी पर भेजे गए डेटा से नए गड्ढे की खोज की गई है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, रोवर वर्तमान में खगोलीय पिंड के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में चंद्रमा की सतह की खोज कर रहा है।
क्यों खास है ये खोज?
- प्रज्ञान रोवर द्वारा एकत्रित किए गए डेटा से चांद पर नई साइट की खोज हुई है।
- रोवर जब दक्षिणी ध्रुव में ऐटकेन बेसिन से लगभग 350 किमी दूर एक ऊंचे इलाके से गुजरा था, तभी उसे चंद्रमा की सतह पर सबसे बड़ा और सबसे पुराना प्रभाव बेसिन मिला।
- चांद पर मिले इस गड्ढे की नई परत पर धूल और चट्टान से चंद्रमा के शुरुआती भूवैज्ञानिक विकास को समझने में काफी मदद मिल सकती है। यही कारण है कि ये खोज महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में लगेगा पता
- रोवर ने अपने ऑप्टिकल कैमरों से हाई रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें खीचीं हैं।
- इन तस्वीरों से इस प्राचीन गड्ढे की संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में भी महत्वपूर्ण संकेत मिलेंगे।
चांद पर पिछले कई प्रभावों की एकत्रित सामग्री मिलेगी
बता दें कि यह साइट चांद पर हुए पिछले कई प्रभावों की एकत्रित सामग्री को संजोय है और अभी तक के मून मिशन के लिए रुचि का एक केंद्र रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि नया 160 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा ऐटकेन बेसिन के निर्माण से पहले ही बन गया था।
यह नई खोज चंद्रमा की सतह पर सबसे पुरानी भूवैज्ञानिक संरचनाओं में से एक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी उम्र के कारण, गड्ढा बाद के प्रभावों के कारण उत्पन्न मलबे के नीचे दब गया है और समय के साथ खराब हो गया है।
सौजन्य : दैनिक जागरण
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