‘कार्बन बजट का बड़ा हिस्सा अपने पास रखा’
18 नवंबर, 2024 – बाकू (अजरबैजान) दुनिया : COP29: भारत ने कहा कि जिन विकसित देशों के पास जलवायु कार्रवाई करने की सबसे बड़ी क्षमता है, उन्होंने लगातार अपने लक्ष्य बदले, जलवायु कार्रवाई में देरी की और वैश्विक कार्बन बजट का बहुत बड़ा हिस्सा अपने लिए इस्तेमाल किया।
अजरबैजान की राजधानी बाकू में जारी कॉप-29 सम्मेलन (पार्टीज ऑफ कॉन्फ्रेंस) में भारत ने विकसित देशों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि वे इसको लेकर गंभीरता से चर्चा नहीं कर रहे हैं कि विकासशील देशों की जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में कैसे मदद की जाए। भारत ने कहा कि बिना वित्तीय और तकनीकी मदद के विकासशील देशों के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटना असंभव है।
‘मिटिगेशन वर्क प्रोग्राम’ की बैठक के समापन सत्र में शनिवार को भारत ने कहा, विकसित देशों ने ऐतिहासिक रूप से सबसे अधिक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन किया है और उनके पास जलवायु परिवर्तन पर काम करने लिए अधिक संसाधन और क्षमता है। फिर भी, इन देशों ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में बार-बार देरी की है और अपने लक्ष्यों को लगातार बदलते रहे हैं।
‘विकासशील देश कर रहे जलवायु प्रवर्तन के बुरे प्रभावों का सामना’
भारत के उप-प्रमुख वार्ता प्रतिनिधि निलेश साह ने कहा, हमने पिछले हफ्ते में उन मुद्दों पर कोई प्रगति नहीं देखी, जो विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं। हमारे देशों जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि जलवायु बदलावों से उबरने या अनुकूलित होने की हमारी क्षमता बहुत कम है, जिसमें लिए हम ही जिम्मेदार नहीं हैं।
‘हर देश के जलवायु लक्ष्यों का किया जाए सम्मान’
उन्होंने कहा कि मिटिगेश वर्क प्रोग्राम का उद्देश्य मदद करना है, सजा देना नहीं। इसे हर देश के अपने जलवायु लक्ष्यों को तय करने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए, जो कि उसकी खास जरूरतों और हालात के हिसाब से हो। साह ने कहा, अगर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई में विकासशील और कम आय वाले देशों के पास वित्तीय सहायता, तकनीकी मदद और क्षमता निर्माण जैसे साधन नहीं हैं, तो उनके लिए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और उसके प्रभावों को कम करना संभव नहीं होगा।
‘विकसित देशों ने वैश्विक कार्बन बजट का बड़ा हिस्सा अपने लिए किया इस्तेमाल’
उन्होंने आगे कहा, हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और हमें (जलवायु परिवर्तन के खिलाफ) कार्रवाई करने का मौका ही नहीं दिया जा रहा है, तो हम इस पर कैसे चर्चा कर सकते हैं? उन्होंने कहा, जिन विकसित देशों के पास जलवायु कार्रवाई करने की सबसे बड़ी क्षमता है, उन्होंने लगातार अपने लक्ष्य बदले, जलवायु कार्रवाई में देरी की और वैश्विक कार्बन बजट का बहुत बड़ा हिस्सा अपने लिए इस्तेमाल किया।
उन्होंने आगे कहा, अब हमें ऐसे हालात में अपनी विकास जरूरतों को पूरा करना है, जहां कार्बन बजट घट रहा है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बढ़ रहे हैं। हमें उन लोगों से उत्सर्जन कम करने की दिशा में अधिक प्रयास करने के लिए कहा जा रहा है, जिन्होंने खुद ऐसे कोई प्रयास न नहीं किया।
सौजन्य : अमर उजाला
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