इस वर्ष गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती है। गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की नींव रखी और उनके विचार आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। गुरु नानक देव जी ने मानवता को एकजुट करने का प्रयास किया। गुरु नानक देव जी की जयंती को प्रकाश पर्व या गुरु पर्व भी कहा जाता है।
14 नवंबर, 2024 – चंडीगढ़ : गुरु नानक जयंती सिख धर्म के पहले गुरु श्री नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी में हुआ था। वे एक महान संत, विचारक और समाज सुधारक थे, जिन्होंने मानवता के लिए समानता, प्रेम और सेवा का संदेश दिया। इस वर्ष गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती है।
प्रेरणा का स्रोत हैं गुरु नानक देव जी के विचार
गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की नींव रखी और उनके विचार आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु हैं। उन्होंने ईश्वर की एकता का प्रचार किया, इस बात पर जोर दिया कि केवल एक दिव्य इकाई है जो धार्मिक सीमाओं से परे है।
उनकी शिक्षाएं समानता, करुणा और सामाजिक न्याय पर केंद्रित थीं। उन्होंने जाति-आधारित भेदभाव और रीति-रिवाजों का पुरजोर विरोध किया और ईश्वर के साथ सच्चे और हार्दिक संबंध बनाने के बारे में लोगों को शिक्षाएं दीं।
इस दिन क्या करते हैं लोग?
गुरु नानक जयंती के अवसर पर, लोग अपने घरों में गुरु नानक देव जी की तस्वीर के सामने दीये जलाते हैं और उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं। वे अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर गुरुद्वारे में जाते हैं और गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं पर आधारित कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। बता दें कि इस वर्ष की कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को सुबह 6:19 बजे से शुरू होगी और 16 नवंबर सुबह 02:58 बजे तक रहेगी।
इसे प्रकाश पर्व या गुरु पर्व भी कहते हैं
श्री गुरु नानक देव जी ने समाज से अज्ञानता को भगाने के लिए ज्ञान का प्रकाश किया, इसलिए गुरु नानक देव जी की जयंती को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। नानक देव जी की जयंती को ‘गुरु पर्व’ भी कहा जाता है।
गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाएं
- समानता और सामाजिक न्याय: गुरु नानक देव जी ने समानता और सामाजिक न्याय का संदेश दिया, जो आज भी प्रासंगिक है।
- ईश्वर की एकता: उन्होंने ईश्वर की एकता का प्रचार किया, जो सभी धर्मों के लोगों को एक साथ लाने में मदद करता है।
- सेवा और भक्ति: गुरु नानक देव जी ने सेवा और भक्ति का महत्व बताया, जो हमें दूसरों की सेवा करने और ईश्वर के साथ जुड़ने में मदद करता है।
Guru Nanak Jayanti 2024:
कौन थे गुरु नानक देव जी? जिन्होंने की थी सिख धर्म की स्थापना
सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक देव जी हैं वह एक ऐसे महान धार्मिक गुरु थे जिन्होंने जीवन में सदैव लोगों को भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते थे। उनकी वैचारिकी इतनी शक्तिशाली थी कि आज के समय में भी उसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। इस बार गुरु नानक जयंती 15 नवंबर (Guru Nanak Jayanti 2024) को है।
14 नवंबर, 2024 – नई दिल्ली : Guru Nanak Jayanti 2024: सिख धर्म से जुड़े लोग कार्तिक पूर्णिमा के पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि इस तिथि पर गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की थी। इसलिए उन्हें सिख धर्म के संस्थापक के रूप में सम्मानित किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गुरुद्वारों को सुंदर तरीके से सजाया जाता है और बेहद खास रौनक देखने को मिलती है। इसके अलावा गुरुवाणी का पाठ और लंगरों का आयोजन किया जाता है।
गुरु नानक देव जी समाज के लोगों को सदैव परमपिता से मिलन का मार्ग बताते रहें। उन्होंने ऐसे कई अनमोल वचन दिए हैं, जिनका पालन कर व्यक्ति अपने जीवन को बदल सकता है। वर्ष 2024 में गुरु नानक देव जी का 555वां प्रकाश पर्व है।
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 में तलवंडी (अब पश्चिम पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता जी का नाम मेहता कालू और माता जी का नाम तृप्ता था। उनके पिता तलवंडी गांव में पटवारी का कार्य किया करते थे। गुरु नानक देव जी ने वर्ष 1487 में शादी की, जिसका नाम सुलखनी था। इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थे। उन्होंने कई तीर्थयात्रा की थी। यात्रा के दौरान उन्होंने लोगों को सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरुक किया। उन्होंने अपना अंतिम समय पाकिस्तान के करतारपुर में बिताया। वर्ष 1539 में उनकी गुरु नानक जी की मृत्यु हो गई। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले ही शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी बनाया था।
गुरु नानक देव जी की शिक्षा
- गुरु नानक देव जी ने लोगों को सदैव सत्य बोलने और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
- गुरु नानक देव जी के अनुसार ईश्वर की भक्ति करने वाले जातक को जीवन में कभी भी भय नहीं रहता।
- कभी किसी बुरे कार्य को करने के बारे में न सोचे।
- जीवन में सदैव खुश रहना चाहिए और प्रभु से क्षमा मांगनी चाहिए।
- रोजाना ईश्वर की सच्चे मन से उपासना करनी चाहिए।
सौजन्य : दैनिक जागरण
test