सरकार ने 950 डॉलर की एमईपी, किसानों को भी मिलेगा फायदा
26 अक्टूबर, 2023 – जालंधर (पंजाब) : निर्यातकों का कहना था कि इतना भारी भरकम एमईपी लगने से भारत का बासमती निर्यात कम हो गया है। पाकिस्तान हमारे बाजार पर कब्जा कर रहा है क्योंकि उसका दाम भारत के बासमती चावल से कम है। अंतराष्ट्रीय बाजार में हमारे हाथ से अगर खरीददार निकल गए तो दोबारा उनको अपने साथ जोड़ना आसान नहीं होगा।
केंद्र सरकार ने आखिरकार बासमती चावल के निर्यातकों को बड़ी राहत देते हुए मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (एमईपी) 1200 यूएस डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर करने का एलान किया है। इससे पंजाब के किसानों ने राहत की सांस ली है क्योंकि इस साल पंजाब में बासमती का 20 फीसदी रकबा बढ़ गया है लेकिन निर्यातकों ने खरीद करने से हाथ खड़े कर दिए थे। इस कारण घरेलू मंडी में बासमती धान 3000 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया था लेकिन शुरुआती दौर में यह पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा। बासमती चावल निर्यातकों और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बीच हुई एक वर्चुअल बैठक में यह फैसला लिया गया।
मंत्री और निर्यातकों ने बैठक में अपने-अपने तर्क रखे। निर्यातकों का कहना है कि इतना भारी भरकम एमईपी लगने से भारत का बासमती निर्यात कम हो गया है। पाकिस्तान हमारे बाजार पर कब्जा कर रहा है क्योंकि उसका दाम भारत के बासमती चावल से कम है। अंतराष्ट्रीय बाजार में हमारे हाथ से अगर खरीददार निकल गए तो दोबारा उनको अपने साथ जोड़ना आसान नहीं होगा।
अमर उजाला ने इस मामले को जोरदार ढंग से उठाया था कि सरकार के 1200 डॉलर वाले फैसले के बाद इसका सीधा असर किसानों की आय पर पड़ रहा था, क्योंकि निर्यात कम होने की वजह से बासमती धान की खरीद कम हो गई थी। वहीं निर्यातकों ने पांच दिन तक बासमती धान की खरीद का बहिष्कार भी किया था। इसकी वजह से हरियाणा और पंजाब के किसानों में सरकार के प्रति गुस्सा पनप रहा था।
केंद्र सरकार ने 25 अगस्त को बासमती का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 1200 डॉलर प्रति टन तय कर दिया था। इससे निर्यातक काफी परेशान थे, क्योंकि निर्यात पर बुरा असर पड़ रहा था। निर्यातकों के साथ जूम मीटिंग में 25 सितंबर को वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने एमईपी कम करके 850 डॉलर प्रति टन करने का भरोसा दिलाया था लेकिन सरकार ने 14 अक्तूबर को 1200 एमईपी का एलान कर दिया।
मंत्रालय ने सोमवार देर रात फिर बैठक बुलाई और पीयूष गोयल ने एमईपी को कम करके 950 डॉलर करने का एलान किया। बैठक में ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया, एक्सपोर्टर राजीव सेतिया, अरविंदर पाल सिंह, रमनीक सिंह, पंजाब के प्रधान अशोक सेठी और सुशील जैन मौजूद रहे। पंजाब बासमती एक्सपोर्टर एसोसिएशन के प्रधान अशोक सेठी ने कहा कि सरकार के इस फैसले से किसानों की आय में सुधार होगा। देश से निर्यात बढ़ेगा।
सेठी ने बताया कि सरकार चाहती है कि घरेलू बाजार में चावल की कीमतें नियंत्रण में रहे। उपभोक्ताओं के लिहाज से यह मंशा बहुत अच्छी है। लेकिन असलियत यह है कि घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ाने में बासमती का कोई खास योगदान नहीं है क्योंकि 80 फीसदी बासमती चावल निर्यात होता है। देश में आंकड़े इस बात के गवाह है कि मुश्किल से 60 लाख टन बासमती चावल की पैदावार होती है। यानी कुल चावल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 4.5 फीसदी के आसपास है।
सौजन्य : अमर उजाला
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