Hariawal Punjab
शादी-ब्याह का सीजन शुरू हो गया हैं, भोजन हेतु हमारे द्वारा अधिकांश प्लास्टिक पत्तल आदि (डिस्पोजल)के जहर से बचाने के लिए, हम अपनी देशी पत्तल व मिट्टी के कुल्हड़ का उपयोग फिर आरंभ कर सकते है जो बिल्कुल प्रकृति के अनुरूप होगा…
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश में 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले, पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय में पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है, पर मुश्किल से पाँच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या में करते हैं।
आमतौर पर केले की पत्तियो में खाना परोसा जाता है…प्राचीन ग्रंथों में केले की पत्तियों पर परोसे गये भोजन को स्वास्थ्य के लिये लाभदायक बताया गया है….आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट मे भी केले की पत्तियों का यह प्रयोग होने लगा है…..
- पलाश के पत्तल में भोजन करने से, स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है…।
- केले के पत्तल में भोजन करने से चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है..।
- रक्त की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है…पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी, इसका उपयोग होता है। आमतौर पर लाल फूलों वाले पलाश को हम जानते हैं, पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है…. इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासीर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है…।
- जोडों के दर्द के लिये करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है, पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है।
- लकवा (पैरालिसिस) होने पर, अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलों को उपयोगी माना जाता है।
अन्य लाभ
- सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिटटी में दबा सकते है।
- न पानी नष्ट होगा।
- न ही कामवाली रखनी पड़ेगी, मासिक खर्च भी बचेगा।
- न केमिकल उपयोग करने पड़ेंगे।
- न केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी।
- अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक ऑक्सीजन भी मिलेगी।
- प्रदूषण भी घटेगा।
- सबसे महत्वपूर्ण : झूठे पत्तलों को एक जगह गाड़ने पर, खाद का निर्माण किया जा सकता है एवं मिटटी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है।
- पत्तल बनाए वालों को भी रोजगार प्राप्त होगा।
- *सबसे मुख्य लाभ-नदियों को दूषित होने से बहुत बड़े स्तर पर बचा सकते हैं, जैसे कि आप जानते ही हैं कि जो पानी आप बर्तन धोने में उपयोग कर रहे हो, वो केमिकल वाला पानी, पहले नाले में जायेगा, फिर आगे जाकर नदियों में ही छोड़ दिया जायेगा और अन्ततः जल प्रदूषण बढ़ाएगा I
#gramvikaspunjab
test