केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को वापस लेने के लिए नोटिस जारी किया है। इसमें सेंट्रल दिल्ली में स्थित जामा मस्जिद भी शामिल है जिसे मनमोहन सिंह सरकार के दौरान वक्फ बोर्ड को दे दिया गया था। क्या है ये पूरा मामला इस पर बात करने के लिए हमारे साथ हैं, सुप्रीम कोर्ट में वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता वजीह शफीक।
शफीक साहब, वक्फ की ये कौन सी संपत्तियां हैं जिन्हें वापस लेने का नोटिस सरकार ने जारी किया है।
देखिए, आपके सवाल का जवाब देने से पहले मैं ये स्पष्ट कर दूं कि जिस जामा मस्जिद का आप जिक्र कर रहे हैं, वो सेंट्रल दिल्ली में नहीं है, वो न्यू दिल्ली में है। हमारे पास दो जामा मस्जिद के नाम से डेजिग्नेटेड प्रॉपर्टी हैं। इनमें से एक शाहजहानी शाही जामा मस्जिद है जो कि पुरानी दिल्ली में है। 123 प्रॉपर्टी से जिसका ताल्लुक है, वो न्यू दिल्ली जामा मस्जिद है। वह पार्लियामेंट के पास है, रेड क्रॉस रोड पर। बहरहाल, ये 123 प्रॉपर्टीज वो प्रॉपर्टीज हैं जिनके बारे में DDA और L&DO का क्लेम है कि ये प्रॉपर्टीज उनकी हैं और यूनियन ऑफ इंडिया का ये क्लेम है कि 1911 से 1915 के बीच में जब कलकत्ता से राजधानी को नई दिल्ली शिफ्ट करने का फरमान हुआ था, उस वक्त जो जमीनें अधिग्रहित की गईं, उनमें ये प्रॉपर्टीज शामिल हैं। यूनियन ऑफ इंडिया यानी केंद्रीय सरकार के मुताबिक ये वो प्रॉपर्टीज हैं जो कि अधिग्रहित भूमि पर हैं। हमारा हमेशा ये कहना रहा है कि ये वो प्रॉपर्टीज हैं, ये वो संपत्तियां हैं, जिन पर या तो मस्जिदें बनी हुई हैं, या जिन पर दरगाहें हैं या जो कब्रिस्तान के तौर पर इस्तेमाल होती आ रही हैं। और आज भी वहां पर वही धार्मिक कार्य होते हैं। उदाहरण के लिए आप 123 में से कोई भी मस्जिद देखें, जैसे कि जिस जामा मस्जिद का आप जिक्र कर रहे हैं, उसका आज भी ऑरिजिनल यूज वही है, यानी प्रेयर के लिए इस्तेमाल होती है।
अगर हम वक्फ एक्ट को भी एक तरफ रख दें, तो भी ये प्रॉपर्टी जो कि प्योरली रिलिजियस नेचर की हैं और उसी उद्देश्य से इस्तेमाल की जाती हैं। तो ये वक्फ ऑटोमैटिक हैं। अगर एक्ट नहीं होता तो भी ये वक्फ ही होती। क्योंकि इस एक्ट में भी वक्फ प्रॉपर्टीज कैसे बनाई जाएंगी और उसको ये बताया गया है कि वक्फ प्रॉपर्टीज कौन सी होती हैं और जो वक्फ प्रॉपर्टीज हैं, वो भी वक्फ कानून 1995 के मुताबिक भी और इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जो फैसले हैं, उनके मुताबिक भी ये प्रॉपर्टीज है ये प्रॉपर्टीज वक्फ बोर्ड के अधीन होंगी। उसको एक फॉर्मल शेप दिया गया है इन एक्ट के जरिए- 1995 से पहले 1954 का एक एक्ट था।
सरकार ने जो इन संपत्तियों की जांच के लिए पूर्व जस्टिस एस.पी. गर्ग की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति बनाई थी, उसने फरवरी में जो अपनी रिपोर्ट दी, उसमें कहा कि उसे दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरफ से कोई आपत्ति नहीं मिली। ये भी उसने कहा कि बोर्ड की इन संपत्तियों में न कोई हिस्सेदारी है, न वक्फ ने इसमें कोई दिलचस्पी दिखाई। कोई दावा तक नहीं किया गया, इसीलिए ये वापस ली जा रही है। इस पर वक्फ की तरफ से क्या पक्ष है?
देखिए, जिस रिपोर्ट का आप जिक्र कर रहे हैं, वो तो पब्लिक डोमेन में है नहीं। मेरे ख्याल से आपने भी वो रिपोर्ट नहीं देखी होगी। अलबत्ता, जहां तक सवाल इस बात का है कि वक्फ बोर्ड ने उस कमेटी के सामने अपना कोई पक्ष नहीं रखा, तो उस कमेटी का अपना कोई वैधानिक आधार नहीं है। उसको आउटसोर्स करा दिया था ये काम केंद्र सरकार के जरिए सुनवाई करने का। जिस तरह से डेलिगेट करती हैं, सरकार सारे काम अपने आप नहीं करती। डिफरेंट-डिफरेंट विंग्स को वो डेलिगेट करती है। केंद्रीय सरकार सुनवाई के लिए इस कमेटी को ये काम करने के लिए डेलिगेट किया था। हमने केंद्रीय सरकार के अगेंस्ट जैसे ही हमारी जानकारी में ये आया कि वन मेंबर कमिटी जस्टिस आरएन के जो पहले बनी थी, उसकी रिपोर्ट को रद्द करते हुए एक टू मेंबर्स एक कमिटी बनाने का आदेश पास कर दिया है सरकार ने। हमने उसके चैलेंज किया दिल्ली हाई कोर्ट में। हमारा पिटिशन अभी भी पेंडिंग है। 2002 में ही चैलेंज किया था। इसलिए ये कहना तो कतई गलत है, उस पीटिशन में हमने अपने सारे ऑब्जेक्शंस दिए हैं। यह कहना गलत है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड ने अपना कोई ऑब्जेक्शन नहीं रखा। जो प्रिंसिपल है, जो डेलिगेटर है उसके सामने ही अपने सारे ऑब्जेक्शंस रख रहे हैं। तो ये कहना गलत हो जाएगा कि हमने डेलिगेट के सामने नहीं रखा।
सरकार वक्फ बोर्ड से कुछ अहम कागजात दिखाने को कह रही है जिसमें बताया जाए कि ये संपत्तियां उसके पास ही क्यों रहें? तो क्या वक्फ बोर्ड ऐसे कोई कागजात पेश नहीं कर पा रहा है?
मेरी जानकारी में, हमारे पास सरकार की तरफ से ऐसा कोई रिक्विजिशन नहीं आया। अगर आएगा तो उसको डील किया जाएगा, क्योंकि दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास सारे कागजात हैं। अगर ऐसा कोई भी रिक्विजिशन आता है, उसको रेस्पॉन्ड किया जाएगा।
नई दिल्ली की जिस जामा मस्जिद को मनमोहन सरकार के दौरान वक्फ को सौंपा गया था, इसके बारे में आपसे जानने चाहेंगे कि ये फैसला किस आधार पर लिया गया था? इससे पहले तक केंद्र के अधीन ये कैसे थी?
ये कभी केंद्र के अधीन नहीं रही है। ये एक बहुत बड़ा मिसइन्फर्मेशन है जो कि सर्कुलेट हो रही है, मुझको नहीं मालूम कि इसका सोर्स क्या है। कोई भी वक्फ प्रॉपर्टी कभी भी केंद्र या किसी और सरकारी डिपार्टमेंट के अधीन नहीं रही है। जितनी भी 123 प्रॉपर्टीज हैं, ये 2014 के उस नोटिफिकेशन से पहले भी दिल्ली वक्फ बोर्ड के ही कंट्रोल में, मैनेजमेंट में सुपरविजन में थी। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने ही वहां पर इमाम, मुअज्जिन और मैनेजमेंट कमिटी अपॉइंट किए हैं। दिल्ली वक्फ बोर्ड ही उसके टिनेंट्स को डील कर रहा था। दिल्ली वक्फ बोर्ड उसके बिजली, पानी के बिल को भी देख रहा था। वो सारे कागजात दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास हैं। ये कहना कि सरकार के पास कोई धार्मिक संपत्ति का रखरखाव था, ये तो वैसे ही आपके कॉन्स्टिट्यूशनल वैल्यूज के अगेंस्ट जाएगा है। कोई भी सरकार धार्मिक संपत्ति का कंट्रोल अपने हाथ में नहीं रख सकती। इसीलिए वक्फ बोर्ड को बनाए गए हैं।
सरकार कह रही है कि इन संपत्तियों को वापस लेने का मकसद इनकी उचित देखभाल सुनिश्चित करना है और सामुदायिक कल्याण के लिए इनके उपयोग को सुविधाजनक बनाना है। सरकार इन्हें कब्जे में लेकर इनके सांस्कृतिक महत्व की रक्षा भी करने की बात कह रही है। इस पर वक्फ का क्या कहना है?
देखिए, आप जो भी बात बता रहे हैं वो मेरे सामने किसी ऑफिशियल चैनल से नहीं आई है। सरकार इन प्रॉपर्टीज को सामुदायिक कल्याण के लिए इस्तेमाल करना चाह रही है। मेरे सामने ऐसा कोई नोटिफिकेशन, कोई ऑर्डर नहीं आया है। ये जब आएगा, तब उसके मैरिट्स को हम लोग डील करेंगे।
सरकार की नोटिस का जवाब किस तरह से देने की तैयारी कर रहा है वक्फ बोर्ड?
ये तो बेहतर होगा कि आप दिल्ली वक्फ बोर्ड से पता करें। मैं आपको बता सकता हूं। ये अभी तक मेरी जानकारी में कोई नोटिस नहीं आया है। 8 फरवरी 2023 को एक लेटर इश्यू हुआ था L&DO के ऑफिस से कि सारी 123 प्रॉपर्टीज से दिल्ली वक्फ बोर्ड को मुक्त कर दिया गया है। वो हमने एक सेपरेट पिटिशन में चैलेंज किया हुआ है, जिसके अंदर 26 अप्रैल को एक ऑर्डर हुआ है। इस ऑर्डर के तहत दिल्ली हाई कोर्ट ने ये आदेश किया है कि इन प्रॉपर्टीज में दिल्ली वक्फ बोर्ड के जरिए जो मैनेजमेंट किया जा रहा है, उसमें सरकार कम से कम हस्तक्षेप करेगी। मतलब इसका ये है कि इन 123 प्रॉपर्टीज का मैनेजमेंट हमारे हाथ में, यानी दिल्ली वक्फ बोर्ड के हाथ में रिकग्नाइज्ड है। और इसके बाद कोई डिवेलपमेंट मेरे नॉलेज में नहीं है।
जी, शफीक साहब शुक्रिया हमसे बात करने के लिए।
ट्रांसक्राइब : नीलिमा दास
आभार : https://navbharattimes.indiatimes.com/navbharatgold/day-today/trending-news-and-explained-centre-to-take-over-123-waqf-board-assets/story/103227275.cms
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