क्या RSS में मुस्लिम भी शामिल हो सकते हैं? संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दिया ये जवाब
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी व्यक्ति या राजनीतिक पार्टी का समर्थन नहीं करता, बल्कि नीतियों का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि संघ सभी समुदायों का स्वागत करता है, बशर्ते वे खुद को भारत माता के पुत्र मानें। भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता और सभी को संघ में आने की अनुमति है।
10 नवम्बर, 2025 – नई दिल्ली : RSS प्रमुख मोहन भागवत ने संघ की 100 साल की यात्रा को संबोधित करते हुए रविवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) किसी व्यक्ति या राजनीतिक पार्टी को नहीं, बल्कि नीतियों का समर्थन करता है।
दरअसल, बेंगलुरू में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा कि RSS मुसलमानों और ईसाइयों सहित सभी समुदायों का स्वागत करता है, बशर्ते वे खुद को भारत माता के पुत्र और व्यापक हिंदू समाज के सदस्य के रूप में पहचानें। हालांकि, इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ अपने सदस्यों को जाति या धर्म के आधार पर वर्गीकृत नहीं करता है।
जानिए क्या बोले मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चीफ मोहन भागवत ने कहा कि संघ में किसी मुसलमान या ईसाई को अनुमति नहीं है। केवल हिंदुओं को ही अनुमति है। मुसलमान, ईसाई या किसी भी समुदाय के लोग संघ में आ सकते हैं। हालांकि, उन्हें अपनी पहचान बाहर रखनी होगी।
मोहन भागवत ने कहा कि मुसलमान शाखा में आते हैं, ईसाई शाखा में आते हैं और हिंदू कहे जाने वाले समाज की अन्य सभी जातियां शाखा में आती हैं। हम उनकी गितनी नहीं करते हैं और ना ये कभी पूछते हैं कि वे कौन हैं। हम सभी भारत माता के पुत्र हैं और संघ इसी तरीके से काम करता है।
‘किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करता संघ’
मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करता है। हम किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लेते, क्योंकि संघ समाज को एकजुट करने का काम करता है और राजनीति बांटने का काम करती है। हम नीतियों का समर्थन करते हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया कि हम अयोध्या में राम मंदिर चाहते थे, इसलिए हमारे स्वयंसेवकों ने उन लोगों को वोट दिया जो इसके निर्माण के साथ खड़े थे। उन्होंने कहा अगर कांग्रेस ने ये काम किया होता, तो हम उनका समर्थन करते।
दैनिक जागरण
‘व्यक्तियों का संगठन है RSS’, बिना रजिस्ट्रेशन काम करने का आरोप लगाने वालों को भागवत का जवाब
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर बिना पंजीकरण के काम करने के आरोपों पर मोहन भागवत ने कहा कि उनके संगठन को व्यक्तियों के निकाय के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्होंने पंजीकरण और तिरंगे के सम्मान पर स्पष्टीकरण दिया। भागवत ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन किया और राम जन्मभूमि आंदोलन में समर्थन का उल्लेख किया। उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि बताया और सभी समुदायों का स्वागत किया। भागवत ने पाकिस्तान को चेतावनी भी दी।
नई दिल्ली : RSS पर बिना रजिस्ट्रेशन काम करने का आरोप लगाने वाले कांग्रेस नेताओं पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि उनके संगठन को व्यक्तियों के निकाय के रूप में मान्यता प्राप्त है।
RSS के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन संघ द्वारा आयोजित आंतरिक प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान भागवत ने कहा-हमें तीन बार प्रतिबंधित किया गया। इसलिए सरकार ने हमें मान्यता दी है। अगर हमारा अस्तित्व नहीं था, तो उन्होंने किस पर प्रतिबंध लगाया? कई चीजें पंजीकृत नहीं हैं। यहां तक कि हिंदू धर्म भी पंजीकृत नहीं है।
‘क्या ब्रिटिश सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराते?’
भागवत ने स्पष्ट किया-RSS की स्थापना 1925 में हुई थी। क्या आप उम्मीद करते हैं कि हम ब्रिटिश सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराते? आजादी के बाद भारत सरकार ने रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य नहीं बनाया। हमें व्यक्तियों के संगठन के रूप में वर्गीकृत किया गया है और हम मान्यता प्राप्त संगठन हैं। आयकर विभाग और अदालतों ने RSS को व्यक्तियों का संगठन माना है और इसको आयकर से छूट दी गई है।
भागवत की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल में कहा था कि RSS पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। उनके बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों पर RSS की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
उन्होंने RSS की पंजीकरण संख्या और फंडिंग के स्त्रोत पर भी सवाल उठाए थे। संघ द्वारा केवल भगवा ध्वज का सम्मान करने और भारतीय तिरंगे को मान्यता नहीं देने के मुद्दे पर भागवत ने कहा कि RSS में भगवा को गुरु माना जाता है, लेकिन वह भारतीय तिरंगे का बहुत सम्मान करता है। हम हमेशा अपने तिरंगे का सम्मान करते हैं और उसकी रक्षा करते हैं।
राम जन्मभूमि आंदोलन का किया जिक्र
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आंदोलन का उदाहरण देते हुए भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने इसका समर्थन किया। संगठन इसके निर्माण के साथ खड़ा रहा। भाजपा (इसका समर्थन करने के लिए) मौजूद थी। अगर कांग्रेस या कोई अन्य पार्टी इसका समर्थन करती, तो हम भी उसका समर्थन करते। हमारा किसी एक पार्टी से विशेष लगाव नहीं है। कोई भी दल हमारा नहीं है और सभी दल हमारे हैं, क्योंकि वे भारतीय दल हैं।
कहा- राष्ट्रहित से जुड़ी नीतियों का समर्थन
भागवत ने स्पष्ट किया कि RSS किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करता, बल्कि राष्ट्रहित से जुड़ी नीतियों के साथ दृढ़ता से खड़ा है। उन्होंने कहा-हम वोट की राजनीति, समकालीन राजनीति और चुनावी राजनीति आदि में भाग नहीं लेते। संघ का कार्य समाज को एकजुट करना है और राजनीति स्वभाव से ही विभाजनकारी होती है। इसलिए हम राजनीति से दूर रहते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि RSS राष्ट्रनीति का समर्थन करता है, राजनीति का नहीं। हम सही नीति का समर्थन करने के लिए पूरी ताकत लगाएंगे, लेकिन किसी व्यक्ति या पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे।
भागवत बोले- मुस्लिम, ईसाई भी संघ से जुड़ सकते हैं
ANI के अनुसार, मोहन भागवत ने कहा कि संघ मुसलमानों और ईसाइयों सहित सभी समुदायों का स्वागत करता है, बशर्ते वे खुद को भारत माता के पुत्र और व्यापक हिंदू समाज के सदस्य के रूप में पहचानें। भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ अपने सदस्यों को जाति या धर्म के आधार पर वर्गीकृत नहीं करता है। संघ में किसी ब्राह्मण को अनुमति नहीं है। संघ में किसी अन्य जाति को अनुमति नहीं है। संघ में किसी मुसलमान या ईसाई को अनुमति नहीं है। केवल हिंदुओं को अनुमति है। मुसलमान, ईसाई या किसी भी समुदाय के लोग संघ में आ सकते हैं। लेकिन, उन्हें अपनी अलग पहचान को बाहर रखना होगा।
‘पाकिस्तान को उसकी ही भाषा में जवाब देना होगा’
पाकिस्तान को 1971 के युद्ध की याद दिलाते हुए भागवत ने कहा कि अगर पड़ोसी देश अपने तौर-तरीके नहीं सुधारता, तो एक दिन वह सबक सीखेगा। लड़ने से बेहतर है सहयोग करना। मुझे नहीं लगता कि वह कोई और भाषा समझता है। इसलिए हमें वही भाषा बोलनी होगी, जो वह समझता है। हमें उसे करारा जवाब देना होगा और उसे हर बार, हर हाल में हराना होगा। उसे ऐसा नुकसान पहुंचाना होगा, जिसका उसे हमेशा पछतावा हो।
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