चिनाब ब्रिज पाकिस्तान के गले की फांस, पीर पंजाल से नहीं घुस पाएंगे लश्कर आतंकी, टेंशन में चीन भी
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब ब्रिज बनकर तैयार है। यह पुल देश को कश्मीर घाटी को रेल लिंक से जोड़ने जा रहे हैं। जानते हैं पीएम नरेंद्र मोदी के चिनाब चक्रव्यूह की इनसाइड स्टोरी।
06 जून, 2025 – नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चिनाब ब्रिज समेत कई परियोजनाओं को देश को समर्पित करने जा रहे हैं। करीब 46 हजार करोड़ रुपए की इन परियोजनाओं में दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब ब्रिज, भारत का पहला केबल-स्टे रेल ब्रिज अंजी ब्रिज और उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना शामिल हैं। पीएम जम्मू-श्रीनगर रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे, जो देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा। साथ ही वह श्री माता वैष्णो देवी कटरा से श्रीनगर तक दो वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी भी दिखाएंगे, जो इस क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी को और मजबूत करेंगी। मगर, बात करते हैं कि इस पूरी परियोजना के स्ट्रैटेजिक पहलू के बारे में, जिससे पाकिस्तान और चीन को टेंशन तो जरूर होगी। दरअसल, पूरी बात हिमालयी क्षेत्र पीर पंजाल श्रेणी के इर्द-गिर्द है, जिसे मोदी का चिनाब चक्रव्यूह का जा रहा है।
250 किमी की रफ्तार वाली हवाओं को झेल लेगा यह पुल
जम्मू स्टेशन पर चल रहे कामकाज की वजह से वंदे भारत ट्रेनें फिलहाल कटरा से श्रीनगर तक चलेंगी, लेकिन सितंबर 2025 से ये ट्रेनें जम्मू से श्रीनगर तक पूरे रूट पर संचालित होंगी। इस रेल परियोजना में चिनाब ब्रिज और अंजी ब्रिज शामिल हैं, जो मॉर्डन इंजीनियरिंग और डिजाइन के प्रतीक हैं। चिनाब ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेल आर्च ब्रिज है, जो कि भूकंपीय क्षेत्र पांच में मौजूद है। यह ब्रिज दो पहाड़ों के बीच बना है, जहां तेज हवाओं की वजह से विंड टनल फिनोमेना देखा जाता है। इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए, ब्रिज 260 किलोमीटर प्रति घंटा हवा की स्पीड झेल सके, इस तरह से डिजाइन किया गया है।
इन पुलों के बनने से क्या होगा, यहां जानिए
चिनाब ब्रिज की ऊंचाई 359 मीटर है, जो एफिल टॉवर और कुतुबमीनार से भी ज्यादा है। यह पुल 1,315 मीटर लंबा स्टील आर्च ब्रिज है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह भूकंप और तेज हवाओं को झेल सकता है। कश्मीर घाटी अब रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगा। यह 272 किलोमीटर लंबे ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक का हिस्सा होगा। यह पुल जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले में बना है। यह इलाका बहुत मुश्किल है। यहां भूगर्भीय, भूकंपीय और मौसम संबंधी कई दिक्कतें आईं। मगर, पुल बनाने का काम नहीं रुका।
क्या है पीर पंजाल दर्रा, जो पाक आतंकियों का गेट
पीर पंजाल दर्रा (जिसे पीर की गली भी कहा जाता है) हिमालय का ही एक विस्तार है। कश्मीर घाटी को मुगल रोड के माध्यम से राजौरी और पुंछ से जोड़ता है। यह 3,490 मीटर (11,450 फीट) पर मुगल रोड का सबसे ऊंचा पॉइंट है और कश्मीर घाटी के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। कश्मीर घाटी में दर्रे के सबसे नजदीकी शहर शोपियां है। जहां पहलगाम हमला हुआ था, उससे सटी बैसरन घाटी के जंगल भी पीर पंजाल से ही जुड़े हैं।
पीर पंजाल दर्रे से ही आईएसआई के ट्रेंड आतंकी आते हैं
इस पुल के बनने से पीर पंजाल क्षेत्र में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) और लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों का नेटवर्क टूटेगा। इसी दर्रे से ये आतंकी कश्मीर घाटी में घुसा करते थे। पहलगाम हमले के बाद आतंकी इसी श्रेणी के जंगलों में भाग गए थे। ऐसे में अब यह संभव नहीं हो पाएगा। इससे हिंदुओं और मुस्लिमों को अलग बताने वाले पाकिस्तान फौज के प्रमुख जनरल असीम मुनीर को भी टेंशन होगी।
चिनाब पुल में बनाने में IIT और DRDO का हाथ
चिनाब पुल भारत की तकनीकी क्षमता को दिखाता है। इसे बनाने में IIT और DRDO जैसे बड़े संस्थानों ने मदद की है। इसमें नई और असरदार निर्माण विधियों का इस्तेमाल किया गया है। यह पुल जम्मू और कश्मीर में रेल कनेक्टिविटी को बेहतर करेगा। इससे आर्थिक विकास, पर्यटन और सामाजिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इस पुल में 467 मीटर का मुख्य स्टील आर्च है। यह अपनी तरह का सबसे लंबा आर्च है। पुल में उच्च शक्ति वाले स्टील और नई केबल-क्रेन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। पुल को 120 साल तक चलने के लिए बनाया गया है।
हर मौसम में सेना लद्दाख सीमा तक तेजी से पहुंचेगी
इस रेल लिंक के बनने से हर मौसम में सेनाएं और साजोसामान सीमा तक पहुंच सकेंगे। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सीमा पर तैयारी में बड़ी मदद मिलेगी। दिल्ली-श्रीनगर की यात्रा का समय घटाकर 13 घंटे किया जा सकेगा। यह पुल नई दिल्ली से लगभग 600 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इस पुल का सपना पहली बार 1970 के दशक में देखा गया था। इस पुल के बारे में एक और बात कही जाती है कि यह भारत की इंजीनियरिंग का चमत्कार है।
खुफिया और निगरानी तंत्र का जाल बनेगा
आतंक पर लगाम लगाने के लिए काउंटर टेरर प्लानिंग करने में आसानी होगी। हिमालय के पीर पंजाल रेंज में घुसपैठ पर लगाम लग सकेगी। घाटी में घुसने वाले आतंकियों और आतंकी घटनाओं पर तेजी से रैपिड फोर्स भेजी जा सकेगी।
8 तीव्रता के भूकंप को भी झेल लेगा
जहां ये पुल बने हैं, वो पूरा इलाका भूकंप के खतरनाक जोन 5 में आता है। यानी चिनाब और अंजी पुल को ऐसा बनाया गया है कि अगर 8 मैग्नीट्यूड की तीव्रता का भी भूकंप आए तो इसे कुछ नहीं होगा। 2005 में 7.6 तीव्रता के एक भूकंप ने जम्मू-कश्मीर सहित पीओके और अफगानिस्तान में ऐसी तबाही मचाई थी कि उसमें करीब 80 हजार लोग मारे गए थे।
बम धमाके भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे
हर तरफ घूमने वाले सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिससे साल भर 24 घंटे निगरानी होगी। बम धमाके भी इस पुल का बाल बांका नहीं कर पाएंगे। इसमें एंटी-कोरोजन तकनीक, पॉलीसिलॉक्सेन पेंट, उन्नत स्टेनलेस स्टील और फाइबर रिइंफोर्सड प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह लंबे समय तक टिकाऊ रहेगा। इस ब्रिज के निर्माण ने भारत की डिजाइन और सर्टिफिकेशन में तकनीकी श्रेष्ठता को साबित किया है।
सौजन्य : नवभारत टाइम्स
test