तकड़ी के निशान पर होगा घमासान, कहीं बन न जाए महाराष्ट्र जैसी स्थिति…
08 अगस्त, 2025 – जालंधर (पंजाब) : शिरोमणि अकाली दल के अब दो धड़े बन चुके हैं। एक सुखबीर बादल को प्रधान बना चुका है तो दूसरे गुट ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह को अध्यक्ष चुन लिया है। अब दोनों में चुनावी चिह्न को लेकर घमासान मचना तय है।
पंजाब का प्रमुख क्षेत्रीय दल शिरोमणि अकाली दल दोफाड़ हो चुका है। अब अकाली दल का चुनाव निशान तकड़ी सुखबीर बादल के धड़े के पास रहेगा या ज्ञानी हरप्रीत सिंह के गुट के पास, इसे लेकर घमासान मचना तय है।
अकाली दल के तीन विधायक
फिलहाल अकाली दल के तीन विधायक हैं। इनमें से एक सुखविंदर सुक्खी आप में चले गए हैं लेकिन फिलहाल वह विधानसभा में अकाली दल के निशान पर ही विधायक हैं। उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया है। मनप्रीत अयाली ज्ञानी हरप्रीत सिंह की तरफ आ चुके हैं। तीसरी विधायक गनीव कौर मजीठिया हैं। वह सुखबीर बादल की रिश्तेदार हैं और बिक्रम मजीठिया की पत्नी हैं। मजीठिया व सुखबीर में भी मामला गड़बड़ाया हुआ है। अगर तीन में से दो विधायक एक तरफ वोट करते हैं तो चुनाव आयोग उसी का पलड़ा भारी समझेगा और उसको मान्यता देगा।
सुखबीर बादल की घेराबंदी की तैयारी
ज्ञानी हरप्रीत सिंह के धड़े की तरफ से सुखबीर बादल की घेराबंदी की तैयारियां की जा रही हैं। आने वाले दिनों में बैंक में खाता खुलवाने से लेकर लेटर पैड तक छपवाए जा रहे हैं। अगर बादल धड़ा मामले की शिकायत लेकर चुनाव आयोग के पास गया तो सदस्यता को लेकर दोनों तरफ से दावेदारी की जाएगी। फिर मामला चुनाव आयोग के पास फंस जाएगा। ज्ञानी हरप्रीत सिंह का धड़ा 15 लाख सदस्यता के पूरे दस्तावेज आयोग को भेजेगा और दावा जताएगा कि उनका अकाली दल ही असली है।
सोमवार को ज्ञानी हरप्रीत सिंह के प्रधान बनाने के समारोह में एक प्रस्ताव पास किया गया कि एसजीपीसी के चुनाव करवाने के लिए सरकार पर दवाब बनाया जाए और चुनाव जल्द करवाए जाने चाहिए। अगर एसजीपीसी चुनाव हो जाते हैं तो मौजूदा माहौल में फायदा ज्ञानी हरप्रीत सिंह को मिल सकता है। यानी इस धड़े को पंथ की प्रवानगी मिल सकती है। इसको लेकर अगली रणनीति तैयार हो चुकी है। महाराष्ट्र में इस तरह की नीतियां पहले ही सफल हो चुकी है। वहां नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी और शिव सेना बाल ठाकरे ग्रुप के बागी नेता भी अपनी अपनी पार्टियों के चुनाव चिह्न कानूनी ढंग से हासिल कर चुके हैं। संभावना है कि पंजाब में भी दोनों ग्रुपों में कानूनी विवाद बढ़ सकता है।
अमर उजाला