पाकिस्तान सरकार और लश्कर-ए-तैयबा की नीचता
पाकिस्तान में बाढ़ ने पंजाब और पीओके में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। भूकंप के चलते भी पाकिस्तान के कुछ इलाकों में नुकसान हुआ है। इसके बाद प्रभावितों के लिए फंड जारी किए गए हैं, जिसका दुरुपयोग हो रहा है।
16 सितंबर, 2025 – इस्लामाबाद: पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबाने मुरीदके स्थित अपने मुख्यालय को फिर से बनाना शुरू कर दिया है। इस जगह को 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय हवाई हमले में तबाह कर दिया गया था। लश्कर और पाक सरकार ने इसे फिर से बनाने के लिए एक अलग रास्ता निकाला है। बाढ़ पीड़ितों के लिए दी जाने वाली राहत राशि का इस्तेमाल इस आतंकी ढांचे के पुनर्निर्माण में किया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर के बाद ये जगह ऐसे ही पड़ी थी। हालिया दिनों में बाढ़ के बाद इस परिसर को व्यवस्थित रूप से ध्वस्त करने की शुरुआत हुई। जेसीबी मशीनों से 4 सितंबर को इसे पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। पूरे परिसर के गिर जाने के बाद मलबा हटाया गया है और पुनर्निर्माण का काम शुरू कर दिया गया है।
पाकिस्तान सरकार का समर्थन
पाकिस्तानी सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा को अपना हेडक्वार्टर बनाने के लिए मदद की है। दावा है कि लश्कर को अगस्त में 4 करोड़ पाकिस्तानी रुपए दिए गए। परिसर को हमले से पहले के स्तर पर बहाल करने के लिए 15 करोड़ पाकिस्तानी रुपए की जरूरत है। फंड की कमी को पूरा करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा को बाढ़ राहत का पैसा मिल रहा है।
बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत के नाम पर लश्कर लोगों से मदद ले रहा है। साथ ही उसे पाकिस्तानी सरकार से भी बाढ़ रहात फंड के नाम पर मदद मिल रही है। पाकिस्तान के आतंकी गुटों का यह पुराना पैटर्न है।पीओके में 2005 के भूकंप के बाद भी लश्कर-ए-तैयबा ने मानवीय अपीलों के जरिए अरबों पाकिस्तानी रुपए जुटाए थे, जिसका इस्तेमाल आतंक की ट्रेनिंग में हुआ।
भारत-पाकिस्तान तनाव
भारत और पाकिस्तान के बीच इस साल 22 अप्रैल के बाद तनाव अचानक बढ़ गया था। 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए। 6-7 मई की रात को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में हमला किया और कई आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया।
नवभारत टाइम्स