‘हम इलेक्शन मोड में नहीं, हमेशा इमोशनल…’
पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम में लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में बिहार की स्थिति पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि लालू यादव चाहते तो बिहार के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगल राज को प्राथमिकता दी। पीएम मोदी ने बिहार में एनडीए की जीत का जिक्र करते हुए कहा कि हमें भावनात्मक मोड में रहना है। उन्होंने 1991 के लोकसभा चुनावों को भी याद किया।
18 नवम्बर, 2025 – नई दिल्ली : बिहार में मिली जीत के बाद एनडीए के नेता गदगद हैं। हाल में ही पीएम मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव में मिली जीत को शानदार बताया था। इस बीच एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं के शासनकाल में बिहार की स्थिति पर दुख व्यक्त किया और साथ ही एक संवेदनशील, विकासोन्मुखी शासन की वकालत की।
दरअसल, पीएम मोदी एक्सप्रेस समूह द्वारा आयोजित छठे रामनाथ गोयनका व्याख्यान को संबोधित किया। पत्रकारिता उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कारों के बीच दिए गए अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत किस्सों को तीखे राजनीतिक आलोचनाओं के साथ पिरोया और इस बात पर जोर दिया कि सच्चा नेतृत्व निरंतर प्रचार से नहीं, बल्कि सहानुभूति से पनपता है।
विपक्ष पर पीएम मोदी का निशाना
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि लालू यादव चाहते तो बिहार के लिए बहुत कुछ कर सकते थे। लेकिन उन्होंने जंगल राज को प्राथमिकता दी।
उन्होंने संघीय मूल्यों पर ज़ोर देते हुए कहा कि चाहे राज्यों में अलग-अलग सरकारें हों या हमारी केंद्र सरकार, आपको विकास में प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए
‘चुनावी मोड में नहीं रहते हमेशा…’
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बिहार में एनडीए को मिली जीत का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि बिहार चुनाव जीतने के बाद, मीडिया में कुछ मोदी-प्रेमी कहने लगे हैं कि मोदी और भाजपा चौबीसों घंटे चुनावी मोड में रहते हैं। उन्हें नहीं पता कि हमें चुनावी मोड में नहीं, बल्कि भावनात्मक मोड में रहना है। माना जा रहा है कि बिहार में एनडीए को मिली जीत में महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है।
पीएम मोदी ने 1991 के चुनावों को किया याद
पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान 1991 के लोकसभा चुनावों को याद किया। उन्होंने रामनाथ गोयनका के विश्वस्त सहयोगी नानाजी देशमुख का जिक्र किया और कहा कि रामनाथ जी जिन्होंने एक बार विदिशा से चुनाव लड़ा था। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि RSS के पुरोधा नानाजी देशमुख ने उन्हें सलाह दी थी कि वे नामांकन पत्र भरकर प्रमाण पत्र प्राप्त कर लें और फिर प्रस्थान करें
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेरा आशय भाजपा के असंख्य कार्यकर्ताओं के काम से है। लाखों कार्यकर्ताओं ने भाजपा की जड़ों को पोषित किया है।” उन्होंने पार्टी के अडिग कार्यकर्ताओं को बदलाव के बीज बोने का श्रेय दिया, जो अब पूरे देश में फल-फूल रहे हैं।
दुनिया के लिए उभरता हुआ मॉडल है भारत: मोदी
वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत न केवल एक उभरता हुआ बाजार है, बल्कि दुनिया के लिए एक उभरता हुआ मॉडल भी है और देश एक जीवंत और आशाजनक भविष्य की ओर अग्रसर है।
पीएम ने कहा कि 2022 में यूरोपीय संकट ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और ऊर्जा बाजारों को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुईं। इन चुनौतियों के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था ने मजबूत गति दिखाई और 2022-23 में मजबूत विकास हासिल किया।
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‘2035 तक पानी है मैकाले की गुलामी की मानसिकता से मुक्ति’, पीएम मोदी ने भरी हुंकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैकाले की गुलामी की मानसिकता से 2035 तक मुक्ति पाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नष्ट कर दिया था। मोदी ने कांग्रेस पर माओवाद को बढ़ावा देने और अपनी विरासत को दुत्कारने का आरोप लगाया। उन्होंने बिहार में राजद के ‘जंगलराज’ की भी आलोचना की और विकास पर जोर दिया।
नई दिल्ली : स्वच्छता से लेकर आत्मनिर्भर भारत तक देशवासियों को अब तक कई राष्ट्रव्यापी संकल्पों से जोड़ चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अब एक और संकल्प राष्ट्र के सामने रखा है। उन्होंने कहा है कि 1835 में ब्रिटिश सांसद मैकाले ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के लिए बहुत बड़ा अभियान शुरू किया था।
इसने भारतीय शिक्षा व्यवस्था का समूल नाश कर दिया। अगले दस साल में हमें यह संकल्प लेकर चलना है कि मैकाले ने भारत को जिस गुलामी की मानसिकता से भर दिया है, उस सोच से मुक्ति पाकर रहेंगे। उन्होंने आह्वान किया कि 1835 से शुरू हुई इस यात्रा को 2035 तक खत्म करना है।छठे रामनाथ गोयनका व्याख्यान को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि 1835 में ब्रिटिश सांसद मैकाले ने एलान किया था कि मैं ऐसे भारतीय बनाऊंगा, जो दिखने में तो भारतीय होंगे लेकिन मन से अंग्रेज होंगे।
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