चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के कट्टरपंथी शामिल!
पाकिस्तान बांग्लादेश में भारत-विरोधी गतिविधियों को भड़काने में जुटा हुआ है। इन गतिविधियों का पूर्वोत्तर भारत में अशांति फैलाना भी मकसद है, जिसमें चीन की बड़ी भूमिका रही है। इन सबकी कोशिश उग्रवादी नेताओं को बांग्लादेश लाने की है।
19 दिसम्बर, 2025 – नई दिल्ली: चीन में छिपे बैठे उल्फा (ULFA) के सरगना परेश बरुआ को बांग्लादेश लाने की कोशिशों में पाकिस्तान जुट गया है। पाकिस्तान को उम्मीद है कि वह बांग्लादेश में जिस जमात-ए-इस्लामी जैसी कट्टरपंथी ताकत की आने वाले चुनावों में मदद कर रहा है, वह उसे भारत-विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने में सहायता करेंगे। हाल ही में बांग्लादेश के एक कट्टरपंथी स्टूडेंट लीडर ने भी भारत से ‘ सेवन सिस्टर्स को अलग करने की धमकी दी है, जिसको लेकर विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज हमीदुल्लाह को बुलाकर फटकार भी लगाई है और ऐसी ताकतों पर लगाम कसकर रखने को कहा है।
उल्फा चीफ को लाने की साजिश
ET की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान उल्फा चीफ परेश बरुआ को बांग्लादेश में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। बांग्लादेश की मौजूदा मोहम्मद यूनुस सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तानी फौज और आईएसआई की वहां दखल बढ़ी है और ऐसे आरोप हैं कि पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियां और असीम मुनीर की फौज, वहां पर भारत-विरोधी उग्रवादी और अलगाववादी संगठनों और पूर्वोत्तर के उनके नेताओं को ढाका में पनाह दिलाना चाहते हैं। ऐसे ही लोगों में बरुआ भी शामिल है।
पुरानी साजिश दोहरा रहा है पाकिस्तान
पाकिस्तान को पक्का यकीन है कि फरवरी में होने वाले बांग्लादेश चुनाव में ढाका में उसकी हितैषी सरकार बनेगी और तब उसके लिए बांग्लादेश में भारत-विरोधी उग्रवादी संगठनों का संचालन करना और भी ज्यादा आसान हो जाएगा। बांग्लादेश मामलों की जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट बताते हैं कि पाकिस्तान पहले भी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात-ए-इस्लामी सरकार के रहते ऐसा कर चुका है।
बरुआ को भगाने में चीन का रहा हाथ
परेश बरुआ पर आरोप है कि वह 2004 में चटगांव के रास्ते बांग्लादेश में 10 ट्रक हथियार पहुंचाने की कोशिश में भी कथित रूप से शामिल था, हालांकि इस नापाक कोशिश को नाकाम कर दिया गया था। पहले की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई थी कि बरुआ की रुइली से शिशांगबन्ना दाई तक जाने में चीन ने मदद की थी। ये दोनों जगहें चीन के युन्नान प्रांत में हैं। रुइली अरुणाचल प्रदेश-म्यांमार सीमा के पास है।
पाकिस्तान समर्थक जमात का दबदबा बढ़ा
दरअसल, बांग्लादेश में कथित छात्र आंदोलन की आड़ में कट्टरपंथी ताकतों के हाथों शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद, वहां भारत-विरोधी ताकतों का मंसूबा बहुत बढ़ गया है। इन सबके पीछे जमात का रोल माना जाता है, जो बांग्लादेश बनने से पहले से ही पाकिस्तान की कठपुतली रही है। इसी कड़ी में हाल ही में कथित छात्र नेताओं ने भारत-विरोधी भड़काऊ बयान दिए हैं।
भारत से पूर्वोत्तर को अलग करने की धमकी
पड़ोसी देश में हाल में भारत-विरोध भड़काऊ बयान देने वालों में बांग्लादेश नेशनल सिटीजन पार्टी का नेता हसनत अब्दुल्लाह भी शामिल है। उसने एक रैली में न सिर्फ भारत-विरोधी ताकतों को बांग्लादेश में पनाह देने की बात कही है, बल्कि ‘भारत से सेवन सिस्टर्स’ को अलग कर दिया जाएगा, जैसी धमकी भी दी है। ‘सेवन सिस्टर्स’ पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह पहली बार नहीं है, जबसे यूनुस के हाथ में वहां की सत्ता आई है, पहले भी भारत के ‘चिकन नेक’ को काटने जैसे मंसूबे वहां से जाहिर किए जा चुके हैं।
नवभारत टाइम्स