‘गर्व से कहो ये स्वदेशी है’, मन की बात में आत्मनिर्भर भारत का किया जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में देशवासियों से स्वदेशी अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के मंत्र को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। मोदी ने गणेशोत्सव में स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने का संदेश दिया। उन्होंने कनाडा रूस और इटली में भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम के उदाहरण दिए। जम्मू-कश्मीर में खेल गतिविधियों के माध्यम से हो रहे बदलावों का भी उल्लेख किया।
01 सितंबर, 2025 – नई दिल्ली : अमेरिका के साथ छिड़े टैरिफ वार के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशवासियों के मन में ‘स्वदेशी प्रेम’ जगाने को लेकर विशेष गंभीर दिखाई दे रहे हैं। रविवार को रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उन्होंने दिल से देश को संदेश दिया, “गर्व से कहो ये स्वदेशी है।”
उन्होंने कहा कि हमें इस भाव को आगे लेकर चलना है कि एक ही मंत्र ‘वोकल फॉर लोकल’, एक ही रास्ता ‘आत्मनिर्भर भारत’ और एक ही लक्ष्य ‘विकसित भारत।’ इसके साथ ही पीएम मोदी ने प्रफुल्लित मन से कनाडा, रूस और इटली के उदाहरण सुनाए और भावों से सरोबार शब्द थे- “रामायण और भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम अब दुनिया के हर कोने में पहुंच रहा है।”
गणेशोत्सव का किया जिक्र
मन की बात कार्यक्रम की 125वीं कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस समय देशभर में गणेश उत्सव की धूम है। आने वाले दिनों में बहुत सारे त्योहारों की रौनक होगी। इन त्योहारों में आपको स्वदेशी की बात कभी भी भूलनी नहीं है। उपहार वही जो भारत में बना हो, पहनावा वही जो भारत में बुना हो, सजावट वही जो भारत में बने सामान से हो, रोशनी वही जो भारत में बनी झालरों से हो और भी ऐसा बहुत कुछ।
उन्होंने कहा कि जीवन की हर जरूरत में सब कुछ स्वदेशी हो। स्वदेशी के भाव को राष्ट्र गौरव के संदेश से जोड़ते हुए कहा कि आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं, वहां आपको भारतीय संस्कृति का प्रभाव देखने को जरूर मिलेगा और ये प्रभाव केवल दुनिया के बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे छोटे-छोटे शहरों में भी देखा जा सकता है।
पीएम मोदी का उदाहरण
पीएम ने ताजा उदाहरण बताते हुए कहा कि इटली के एक छोटे से शहर कैम्प-रोतोंदो में ऐसा ही देखने को मिला है। यहां महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस कार्यक्रम में वहां के स्थानीय मेयर सहित क्षेत्र के अनेक अहम व्यक्ति भी शामिल हुए।
कैम्प-रोतोंदो में रहने वाले भारतीय मूल के लोग महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा लगने से बहुत खुश हैं। इसी तरह इस महीने की शुरुआत में कनाडा के मिसीसागा में प्रभु श्रीराम की 51 फुट ऊंची प्रतिमा का भी अनावरण किया गया है। इस आयोजन को लेकर लोगों में बहुत उत्साह था। वहीं, रूस के विलादिवोस्तोक में इस महीने एक अनूठी प्रदर्शनी लगी। इसमें रूसी बच्चों द्वारा रामायण की अलग-अलग थीम पर बनाई गई पेंटिंग को भी प्रदर्शित किया गया। यहां पर एक प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ।
खेलों के सहारे कही बदलते कश्मीर की कहानी
प्रधानमंत्री ने खेल प्रतियोगिताओं के सहारे जम्मू-कश्मीर में बदल रहे बदलाव की कहानी को भी सुनाने का प्रयास किया। कहा कि बाढ़ और बारिश की इस तबाही के बीच जम्मू-कश्मीर ने दो बहुत खास उपलब्धियां भी हासिल की हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के एक स्टेडियम में रिकार्ड संख्या में लोग इकट्ठा हुए।
यहां पुलवामा का पहला डे-नाइट क्रिकेट मैच खेला गया। पहले ये होना असंभव था, लेकिन अब मेरा देश बदल रहा है। इसी तरह दूसरा आयोजन है डल झील पर हुआ देश का पहला ‘खेलो इंडिया वाटर स्पोट्र्स फेस्टिवल’।
इसमें देश के 800 से अधिक एथलीटों ने हिस्सा लिया। महिला एथलीट की भागीदारी भी लगभग पुरुषों के बराबर थी। मेडल जीतने में क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा के साथ जम्मू-कश्मीर की सरकार की सराहना करते हुए पीएम ने मेडल जीतने वाली ओडिशा की रश्मिता साहू और श्रीनगर के मोहसिन अली से वार्ता भी सुनाई।
सिविल सेवा के असफल मेधावियों के लिए प्रतिभा सेतु पोर्टल
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने वालों में ऐसे हजारों मेधावी युवा भी होते हैं, मामूली अंतर से अंतिम सूची तक नहीं पहुंच पाते। इन उम्मीदवारों को दूसरी परीक्षाओं के लिए नए सिरे से तैयारी करनी पड़ती है।
इसमें उनका समय और पैसा दोनों खर्च होता था। अब ऐसे होनहार विद्यार्थियों के लिए ‘प्रतिभा सेतु’ नाम से एक डिजिटल प्लेटफार्म बनाया गया है। ‘प्रतिभा सेतु’ में उन उम्मीदवारों का डाटा रखा गया है, जिन्होंने यूपीएससी की अलग-अलग परीक्षाओं के सभी चरण पास किए, लेकिन अंतिम मेरिट सूची में उनका नाम नहीं आ पाया।
कितने युवाओं का डेटा है उपलब्ध
इस पोर्टल पर दस हजार से ज्यादा ऐसे होनहार युवाओं का डाटाबैंक मौजूद है। इस पोर्टल से निजी कंपनियां इन होनहार विद्यार्थियों की जानकारी लेकर उन्हें अपने यहां नियुक्ति दे सकती हैं। इस प्रयास के नतीजे भी आने लगे हैं। सैकड़ों उम्मीदवारों को इस पोर्टल की मदद से तुरंत नौकरी मिली है और जो युवा मामूली अंतर से रुक गए थे, अब नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
दैनिक जागरण