वंदे मातरम् से RSS का रिश्ता उतना ही पुराना है, जितना पुराना यह संगठन है। RSS के संस्थापक डॉ. हेडगेवार को वंदे मातरम् गाने के लिए उनके स्कूल से निकाल दिया गया था, क्योंकि अंग्रेजों ने इसपर प्रतिबंध लगा रखा था।
09 दिसम्बर, 2025 – नई दिल्ली: राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर संसद के शीतकालीन सत्र में यह चर्चा का महत्वपूर्ण विषय बना है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की यह अनमोल रचना भारत के आजादी के आंदोलन का सबसे बुलंद मंत्र रहा है। लेकिन, आज यह हकीकत है कि अब ये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भी पहचान बन गया है। RSS ने जिस तरह से वंदे मातरम् को जीवंत बनाए रखा है, वैसा देश में दूसरा उदाहरण देखने को नहीं मिलता। RSS ने अपने बीते 100 वर्षों में जिस तरह से वंदे मातरम् को आत्मसात किया है, वह कैसे संभव हुआ, इसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है।
RSS के लिए वंदे मातरम् का महत्त्व
RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने वंदे मातरम् को भारत के स्वाधीनता संग्राम का मंत्र बताते हुए कहा, ‘इसने मातृभूमि की सेवा की सीख दी। क्रांतिकारियों ने इसे पवित्र मंत्र के रूप में अपनाया। उन्होंने इसे गाते हुए अपने प्राणों की आहुतियां दीं। संघ के लिए वंदे मातरम् देश की आत्मा और उसकी सबसे सच्ची अभिव्यक्ति है।’
वंदे मातरम् गाने के लिए हेडगेवार को सजा मिली
संघ के पदाधिकारी ने बताया कि आजादी के नारे वंदे मातरम् को RSS ने कैसे अपना लिया, जो इसका आत्मगीत बन गया। अंबेकर के मुताबिक, ‘बंगाल विभाजन और देश भर में हो रही क्रांति (1906–1911) के दौरान नागपुर में एक स्कूली छात्र के रूप में हेडगेवार (RSS संस्थापक) ने अंग्रेजों के प्रतिबंध लगाने के बाद भी वंदे मातरम् का नारा लगाकर अपने पहले स्वतंत्रता आंदोलन की अगुवाई की। तत्काल सजा मिली। उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। लेकिन, यह निष्कासन उनके लिए सम्मान का प्रतीक बन गया। फिर वे राष्ट्रीय विद्यालय गए और बाद में अपनी मेडिकल की पढ़ाई के लिए कोलकाता पहुंचे।’
अब संघ के लिए राष्ट्रीय बदलाव का प्रतीक है
RSS वंदे मातरम् को एक भावनात्मक आधार के रूप में देखता है। संघ के लिए वंदे मातरम् आजादी के बाद देश को अपनी सभ्यता के प्रति जिम्मेदारी के साथ जागरूक राष्ट्र में बदलाव का भी प्रतीक है। उनका कहना है, ‘वंदे मातरम् का अर्थ उस दिन खत्म नहीं हुआ, जिस दिन भारत स्वतंत्र हुआ। यह संकल्प है, प्रतिबद्धता है, जो देश को स्वतंत्र रखता है।’ यही कारण है कि संघ के हर कार्यक्रम में वंदे मातरम् गाया जाता है। RSS इसे राष्ट्रगान कहता है, जो उसके लिए राष्ट्रीय भजन की तरह है।
नवभारत टाइम्स