पूज्य श्री जानकी नंदन दास जी महाराज
धर्म वही टिकता है जहाँ उसकी रक्षा के लिए साहसिक कदम उठाए जाते हैं!

राजस्थान सरकार ने हाल ही में एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाया है, उन्होंने ऐसा कानून पारित किया है जो बल, छल, प्रलोभन और धोखे से होने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाया गया है। इस कानून में कठोर दंड का प्रावधान है यदि कोई व्यक्ति प्रलोभन, दबाव या धोखे से किसी को धर्म बदलने के लिए मजबूर करता है तो उसे लंबी कैद और भारी जुर्माना भुगतना होगा। यदि अपराध महिलाओं, बच्चों या किसी असहाय वर्ग के साथ किया गया है तो सजा और भी कठोर होगी और बार-बार अपराध करने वालों को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। मेरी नज़र में यह केवल एक कानून नहीं बल्कि धर्म और संस्कृति की रक्षा का घोष है।
अब ज़रा पंजाब की स्थिति पर दृष्टि डालें यह वही पावन भूमि है जहाँ गुरु नानक देव जी ने *एक ओंकार* का उद्घोष किया, गुरु अर्जुन देव जी ने धर्म की मर्यादा बचाने हेतु अपने प्राण अर्पण किए और गुरु तेग बहादुर जी ने मानवता की रक्षा के लिए बलिदान दिया।
संत रविदास जी की भक्ति की धारा यहीं बही परन्तु विडंबना यह है कि आज इसी भूमि पर धर्मांतरण की घटनाएँ सबसे अधिक हो रही हैं गरीबों को पैसों और सुविधाओं का लालच देकर, बीमार और असहाय लोगों को झूठे चमत्कारिक इलाज का वादा कर, और शिक्षा-सेवा के नाम पर मिशनरी गतिविधियों से भोले-भाले लोगों की आस्था छीनी जा रही है।
जब ऐसी घटनाएँ पंजाब में घटती हैं तो यह केवल व्यक्तियों की आस्था का ह्रास नहीं बल्कि पूरी संत परंपरा का अपमान है।
धर्म की रक्षा न होना वास्तव में हमारे गुरुओं और संतों के बलिदान को व्यर्थ करना है और यह हमें किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।
यही कारण है कि राजस्थान का यह कदम पंजाब के लिए एक *चेतावनी भी है और प्रेरणा भी* पंजाब को भी अब यह साहस दिखाना होगा धर्मांतरण विरोधी कानून केवल धार्मिक भावनाओं का विषय नहीं बल्कि पंजाब की आत्मा, उसकी संस्कृति और उसकी पहचान को बचाने का प्रश्न है। यदि धर्म सुरक्षित रहेगा तो ही पंजाब की संत परंपरा सुरक्षित रहेगी और वही परंपरा भविष्य की पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़े रखेगी। समय आ गया है कि यह बात सब जान ले कि *धर्म की रक्षा ही वास्तव में पंजाब की रक्षा है!*
संपादक नोट
यदि कोई व्यक्तिगत विश्वास के कारण धर्म परिवर्तन का विकल्प चुनता है तो यह उसका अधिकार है और इस तरह स्वीकार्य है।
सरकार और नागरिक समाज को यह सुनिश्चित करना होगा कि वित्तीय और सामाजिक दबाव के कारण और अज्ञानी लोगों को झूठे वादे देकर रूपांतरण न हो।