सरकारी नीतियों पर सोच-समझकर राय बनाने में लोगों की करें मदद
30 अप्रैल, 2025 – नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सुनील आंबेकर ने मंगलवार को नई दिल्ली में ‘एकात्म मानववाद, विकास का एक विशिष्ट प्रतिमान’ नामक किताब के विमोचन कार्यक्रम में सरकारी नीतियों की सफलता के लिए सोच-समझकर राय बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने समाज के बुद्धिजीवियों से अपील की कि उन्हें इसके लिए आगे आकर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सुनील आंबेकर ने मंगलवार को सरकारी नीतियों की सफलता के लिए सोच-समझकर राय बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने समाज के बुद्धिजीवियों से अपील की कि उन्हें इसके लिए आगे आकर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था- लोगों को देश के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए
आंबेकर ने बताया कि एकात्म मानववाद की अवधारणा को स्पष्ट करने वाले दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि लोगों को देश के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें यह समझने में मदद करनी चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत है। इसके लिए समाज के बुद्धिजीवियों को बड़ी भूमिका निभानी चाहिए।
बुद्धिजीवियों को निष्पक्ष और निस्वार्थ होना जरूरी
आरएसएस के राष्ट्रीय मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख आंबेकर ने कहा कि समाज में लोगों को जागरूक करने और उन्हें सही राय बनाने के लिए ‘लोक जागरण’ और ‘लोकमत चर्चा’ जैसे प्रयास होने चाहिए। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जो बुद्धिजीवी यह काम करें, उन्हें ‘निष्पक्ष और निस्वार्थ’ होना चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषाओं के फॉर्मूले का दिया उदाहरण
आंबेकर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषाओं के फॉर्मूले का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने अपनी नीति में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने का फैसला किया है और अगर लोगों को यह समझ नहीं है कि वे उन्हें सीखकर भी प्रगति कर सकते हैं, तो वे कहेंगे कि सभी को अंग्रेजी अपनानी चाहिए।’
जनता की राय साथ हो तो, सरकार टिकटॉक के खिलाफ कर सकती है कार्रवाई
आंबेकर ने कहा कि अगर जनता की राय साथ हो, तो सरकार ओटीटी कंटेट के नियमन और चीन से जुड़े मोबाइल एप टिकटॉक के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। आरएसएस पदाधिकारी ने कहा कि लोगों को पर्यावरण के अनुकूल विकास के महत्व को समझाने के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर जनता की राय इसके पक्ष में नहीं है और समाज में कोई जागृति नहीं है, तो राजनीति में मुफ्तखोरी जैसी चीजें होती रहेंगी।
सौजन्य : अमर उजाला
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