16 अक्टूबर, 2025 – गुजरात : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुजरात दौरे पर कहा कि आध्यात्मिकता के बिना नैतिकता का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए आध्यात्मिक मूल्यों का पालन करने पर जोर दिया। भागवत ने युवाओं से राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आग्रह किया और नैतिक मूल्यों को समाज की नींव बताया। उन्होंने युवाओं को सामाजिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
व्यक्तिगत चरित्र और राष्ट्रीय चरित्र का आधार नैतिकता है-मोहन भागवत
संघ द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में भागवत के हवाले से कहा गया कि व्यक्तिगत चरित्र और राष्ट्रीय चरित्र का आधार नैतिकता है। नैतिकता की नींव आध्यात्मिकता है, क्योंकि आध्यात्मिकता के बिना नैतिकता का कोई अर्थ नहीं है। इसलिए, मैं उन स्थानों पर जाता हूं जहां मुझे अपने द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है।
आचार्य महाश्रमणजी की अहिंसा की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि यदि लोग उनके इस मंत्र ‘मैं सब में हूं और सब मुझमें हैं’ को अपनाएं तो समाज में हिंसा रुक जाएगी।
शताब्दी वर्ष में कोई बड़ा आयोजन नहीं होगा- मोहन भागवत
RSS के चल रहे शताब्दी वर्ष में कोई बड़ा आयोजन नहीं किया जाएगा क्योंकि यदि हम देश के लिए काम करते हुए 100 साल पूरे करते हैं तो यह हमारा कर्तव्य था। इसका जश्न मनाने की कोई जरूरत नहीं।
उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े समारोहों के स्थान पर RSS कार्यकर्ताओं ने ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है जो पूरे समाज में समरसता पैदा करे। हमने पांच प्रकार के कार्यक्रमों के बारे में सोचा है जिनमें पारिवारिक शिक्षा, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य और स्वदेशी पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
दैनिक जागरण