‘आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा है भारत’
भारत और आसियान ने 2026 को समुद्री सहयोग वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। पीएम मोदी ने 23वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में यह घोषणा की। भारत आसियान देशों के साथ समुद्री सुरक्षा और आर्थिक विकास को मजबूत करेगा। दोनों पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करेंगे, जिससे आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन होगा।
27 अक्टूबर, 2025 – नई दिल्ली : भारत और आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का संगठन) ने वर्ष 2026 को समुद्री सहयोग वर्ष के तौर पर मनाने का फैसला किया है। इस बात की घोषणा पीएम नरेन्द्र मोदी ने 23वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में शुरुआती भाषण देते हुए की। यह सम्मेलन मलेशिया में आयोजित हुआ जिसे पीएम मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधित किया।
हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामक गतिविधियों और इस बारे में अमेरिका की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए भारतीय पीएम की उक्त घोषणा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके तहत इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, विएतनाम, ब्रुनेई, लाओस, सिंगापुर और पूर्वी तिमोर के साथ भारत समुद्र से जुड़े हर क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाएगा।
‘आसियान के दृष्टिकोण का पूर्ण समर्थन’
इसमें कारोबार व रणनीतिक क्षेत्र भी शामिल होगा। पीएम मोदी ने कहा कि, ‘भारत सदैव ‘आसियान सेन्ट्रैलिटी’ (आसियान देशों की केंद्रीय भूमिका) और हिंद प्रशांत क्षेत्र में आसियान के दृष्टिकोण का पूर्ण समर्थन करता रहा है। अनिश्चतताओं के दौर में भी भारत आसियान समग्र रणनीतिक साझेदारी में सतत प्रगति हुई है। और हमारी ये मजबूत साझेदारी वैश्विक स्थिरता और विकास का सशक्त आधार बनकर उभर रही है।’
उन्होंने आगे कहा कि, ‘भारत हर आपदा में अपने आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत), ब्लू इकोनोमी व महासागर सुरक्षा में सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसको देखते हुए हम 2026 को ‘आसियान-इंडिया समुद्री सहयोग का वर्ष’ घोषित कर रहे हैं। साथ ही हम शिक्षा, पर्यटन, विज्ञान व प्रौद्योगिक, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा और साइबर सुरक्षा में आपसी सहयोग को भी मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं। अपनी साझा सांस्कृतिक विरासत को संजोने और आम जनता के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए हम साथ मिलकर काम करते रहेंगे।’
‘एक्ट ईस्ट नीति में आसियान की केंद्रीय भूमिका’
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘भारत की एक्ट ईस्ट नीति में आसियान की केंद्रीय भूमिका है। हम सिर्फ भूगोल साझा नहीं करते हैं बल्कि गहरे ऐतिहासिक संबंधों और साझे मूल्यों के डोर से भी जुड़े हुए हैं। हम न केवल व्यापारिक साझेदार हैं, बल्कि सांस्कृतिक साझेदार भी हैं।’ माना जा रहा है कि हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच भारत उक्त घोषणा के तहत आसियान देशों के साथ समुद्री सुरक्षा, व्यापार मार्गों की सुरक्षा और आर्थिक विकास को मजबूत करने के लिए कदम उठाएगा।
पीएम मोदी को भी आसियान बैठक में हिस्सा लेने के लिए मलेशिया जाना था लेकिन बिहार चुनाव की वजह से इसे टाल दिया गया है। भारतीय दल का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर कर रहे हैं। बाद में भारत और आसियान की तरफ से पर्यटन पर एक सतत साझा बयान जारी किया गया जिसमें पर्यटन को आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचा विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण साधन माना गया है।
साथ ही, आवश्यकता से ज्यादा पर्यटन के पर्यावरण व स्थानीय समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव को स्वीकार करते हुए ऐसी पर्यटन व्यवस्था बनाने की बात कही गई है जिसमें पर्यावरण को नुकसान ना हो और अर्थव्यवस्था को फायदा हो। भारत आसियान मिल कर प्लास्टिक मुक्त पर्यटन को बढ़ावा देंगे, इसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दिया जाएगा और जैवविविधता संरक्षण का काम किया जाएगा। स्थानीय समुदायों, महिलाओं व युवाओं को रोजगार देने पर फोकस होगा।
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’21वीं सदी हमारी है’, आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में बोले पीएम मोदी; एक्ट ईस्ट नीति का किया जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने आसियान देशों के साथ भारत के सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की बात कही। पीएम मोदी ने 2026 को ‘आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष’ घोषित किया और एक्ट ईस्ट नीति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत आसियान के साथ हर आपदा में खड़ा है।
‘इस वर्ष आसियान शिखर सम्मेलन का विषय ‘समावेशीपन और स्थिरता’ है। यह विषय हमारे साझा प्रयासों में स्पष्ट रूप से दिखती है, चाहे वह डिजिटल समावेशन हो या वर्तमान चुनौतियों के बीच खाद्य सुरक्षा और लचीली आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करना। भारत इसका समर्थन करता है और इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत हर आपदा में अपने आसियान भागीदारों के साथ हमेशा मजबूती से खड़ा रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘HADR, समुद्री सुरक्षा और नीली अर्थव्यवस्था में हमारा सहयोग तेज़ी से बढ़ रहा है। इसे देखते हुए हम 2026 को आसियान-भारत समुद्री सहयोग का वर्ष घोषित करते हैं। इसके साथ ही, हम शिक्षा, पर्यटन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा और साइबर सुरक्षा में द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूती से बढ़ावा दे रहे हैं। 21वीं सदी हमारी सदी है। यह भारत और आसियान की सदी है। मुझे विश्वास है कि आसियान सामुदायिक विज़न 2045 और विकसित भारत 2047 का उद्देश्य पूरी मानवता के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगा।’
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आसियान के सदस्य देशों में ब्रुनेई सिंगापूर थाईलैंड फिलीपींस कंबोडिया म्यांमार इंडोनिशिया मलयेशिया लाओस व विएनताम हैं। भारत ने एक्ट ईस्ट नीति के तहत आसियान क्षेत्र के देशों के साथ अपने सहयोग पर खास ध्यान देना शुरू किया है। तीसरे कार्यकाल के शुरुआत के पहले सौ दिनों के भीतर ही पीएम मोदी ने ब्रुनेई सिंगापूर की यात्रा की और मलेशिया और विएतनाम के प्रधानमंत्रियों का नई दिल्ली में स्वागत किया।
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