RSS प्रमुख ने कहा, भारत और हिंदू का अर्थ समान है। इसकी आधिकारिक घोषणा करने की कोई जरूरत नहीं है कि भारत हिंदू राष्ट्र है। इसकी सभ्यतागत प्रकृति पहले से ही इसको प्रदर्शित करती है।
20 नवम्बर, 2025 – गुवाहाटी : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जो कोई भी भारत पर गर्व करता है वह हिंदू है। मंगलवार को यहां प्रतिष्ठित लोगों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने यह भी दावा किया कि हिंदू केवल एक धार्मिक शब्द नहीं, बल्कि एक सभ्यतागत पहचान है जो हजारों वर्षों की सांस्कृतिक निरंतरता में निहित है।
संघ प्रमुख ने कहा कि भारत और हिंदू का अर्थ समान है। इसकी आधिकारिक घोषणा करने की कोई जरूरत नहीं है कि भारत हिंदू राष्ट्र है। इसकी सभ्यतागत प्रकृति पहले से ही इसको प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि आरएसएस की स्थापना किसी का विरोध करने या उसे नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने और भारत को वैश्विक नेता बनाने में योगदान देने के लिए की गई थी। विविधता के बीच भारत को एकजुट करने की पद्धति को RSS कहा जाता है।
जनसांख्यिकी बदलाव पर रखा विचार
असम में जनसांख्यिकीय बदलावों के बारे में चिंताओं को लेकर संघ प्रमुख ने कहा कि आत्मविश्वास, सतर्कता और अपनी भूमि व पहचान के प्रति दृढ़ लगाव के जरिये इसे निपटा जा सकता है। उन्होंने अवैध घुसपैठ, हिंदुओं के लिए तीन बच्चों के मानदंड सहित एक संतुलित जनसंख्या नीति की आवश्यकता और विभाजनकारी धर्मांतरण का विरोध करने के महत्व जैसे मुद्दों पर बात की। लोगों, खासतौर पर युवाओं को सोशल मीडिया को उपयोग जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए।
संघ प्रमुख ने पूर्वोत्तर को भारत की विविधता में एकता का एक शानदार उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि लचित बोरफुकन और श्रीमंत शंकरदेव जैसी हस्तियां न केवल क्षेत्रीय महत्व रखती हैं, बल्कि राष्ट्रीय प्रासंगिकता भी रखती हैं और सभी भारतीयों को प्रेरित करती हैं। समाज के सभी वर्गों से राष्ट्र निर्माण के लिए सामूहिक और निस्वार्थ भाव से काम करने का आग्रह किया। असम की तीन दिवसीय यात्रा पर सोमवार को यहां पहुंचे भागवत बुधवार को युवाओं के सम्मेलन को संबोधित करेंगे और 20 नवंबर को मणिपुर के लिए रवाना होंगे।
अमर उजाला