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आज से नया लेबर लॉ

November 22, 2025 By News Bureau

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1 साल की नौकरी पर ग्रेच्युटी, कॉन्ट्रैक्ट वालों को भी पे स्केल; ओवरटाइम पर डबल पेमेंट

केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए चार लेबर कोड लागू कर दिए हैं। इन सुधारों में गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा, सभी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र, और कांट्रैक्ट कर्मचारियों को स्थाई कर्मचारियों जैसी सुविधाएँ शामिल हैं। ग्रेच्युटी के लिए पांच साल की अनिवार्यता अब नहीं रही, और ओवरटाइम के भुगतान के नियम भी बदले गए हैं। महिलाओं की सुरक्षा और न्यूनतम वेतन की गारंटी भी दी गई है।

22 नवंबर, 2025 – नई दिल्ली : श्रम सुधारों की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने संसद से पांच साल पहले पारित चारों लेबर कोड (श्रम संहिता) को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी।

इसमें गिग वर्कस समेत श्रमिकों के हितों के लिहाज से यूनिवर्सल सामाजिक तथा स्वास्थ्य सुरक्षा देने, सभी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से नियुक्ति पत्र देने, सीमित अवधि के लिए कांट्रैक्ट कर्मचारियों को भी स्थाई कर्मचारियों जैसी सुविधा देने जैसे अहम प्रावधान किए गए हैं।

इतना ही नहीं अब ग्रेच्यूटी के लिए पांच साल तक की नौकरी की न्यूनतम अनिवार्यता नहीं रहेगी बल्कि एक साल की नौकरी के बाद ही कर्मचारी ग्रेच्यूटी लाभ पाने का हकदार हो जाएगा। ओवर टाइम का भुगतान के नियम समेत श्रमिक तथा कंपनियों दोनों के हित में कई बदलाव हैं लेबर कोड का हिस्सा।

भविष्य के लिए तैयार वर्कफोर्स के लिए एक मॉडर्न फ्रेमवर्क

इसके तहत सभी क्षेत्रों के कामगारों के लिए समय पर न्यूनतम वेतन के साथ ही ओवर टाइम काम के घंटों के लिए दोगुना भुगतान करना होगा। इन सुधारों में महिलाओं की सुरक्षा समेत नाइट-शिफ्ट में काम की छूट, 40 वर्ष से अधिक उम्र के हर कामगार की सालाना मुफ्त अनिवार्य चिकित्सा जांच के साथ ही अब एक सिंगल रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस और रिटर्न सिस्टम का प्रावधान किया गया है।

लेबर कोड लागू करने में तमाम श्रम संगठनों तथा कई राज्यों के विरोध के कारण लंबे समय से आ रही अड़चन के बीच माना जा रहा है कि अमेरिका से जारी टैरिफ वार की आर्थिक चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में सरकार ने श्रम सुधारों पर साहसिक कदम बढ़ाने का फैसला लिया है।

श्रम सुधारों की वकालत कर रही देशी और विदेशी कंपनियां जाहिर तौर पर नए लेबर कोड के अस्तित्व में आने के बाद अपने निवेश में गुणात्मक बढ़ोतरी करेंगी इसकी पुख्ता संभावनाएं हैं।

लागू किए गये ये इस प्रकार हैं।

  • मजदूरी पर कोड (2019)
  • इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड (2020)
  • सोशल सिक्योरिटी पर कोड (2020)
  • ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस (OSHWC) कोड (2020)

श्रमिकों की भलाई के साथ बदलेगा इकोसिस्टम 

श्रम मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए कहा कि इन चारों कोड को 29 मौजूदा श्रम कानूनों के स्थान पर लागू किया जा रहा है। श्रमिकों की भलाई के साथ श्रम इकोसिस्टम को बदलती दुनिया के साथ जोड़कर मजबूत कार्यबल बनाना इसका लक्ष्य है और आत्मनिर्भर भारत के लिए श्रम सुधारों को आगे बढ़ाना समय की जरूरत है।

सरकार का साफ कहना है कि मौजूदा श्रम कानून बाधा उत्पन्न करने के साथ ही बदलती आर्थिकी और रोजगार के बदलते तरीकों से तालमेल बिठाने में नाकाम रहे। नया लेबर कोड मजदूरों और कंपनियों दोनों को मजबूत बनाते हुए एक ऐसा श्रमबल तैयार करते हैं जो सुरक्षित, उत्पादक और काम की बदलती दुनिया के साथ तालमेल बिठाता है।

इन सुविधाओं का मिलेगा लाभ

नए लेबर कोड में फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के बराबर वेतन, छुट्टी, चिकित्सा और सामाजिक सुरक्षा के साथ पांच साल की बजाय सिर्फ एक साल बाद ग्रेच्युटी का हकदार बनाया गया है।

‘गिग वर्क’, ‘प्लेटफार्म वर्क’ और ‘एग्रीगेटर्स को पहली बार लेबर कोड में परिभाषित करते हुए सभी गिग वर्कस को सामाजिक सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए एग्रीगेटर्स को वार्षिक टर्नओवर का एक से दो प्रतिशत योगदान करना होगा।

गिग वर्कस का आधार- यूनिवर्सल अकाउंट नंबर पोर्टेबल होगा और वे चाहे जिस राज्य में जाकर काम करें खाता यही रहेगा।महिलाओं कर्मचारियों के लिए सुरक्षा के साथ सभी क्षेत्रों में नाइट शिफ्ट में काम की छूट ही नहीं समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया गया है और परिवार परिभाषा में उन्हें अपने सास-ससुर को जोड़ने का प्रावधान भी है।

ओवरटाइम के घंटों का दोगुना वेतन

सभी कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी, अनिवार्य नियुक्ति पत्र, शोषण पर रोक के लिए छुट्टी के दौरान मजदूरी देना अनिवार्य किया गया है। काम के घंटे हर दिन 8-12 घंटे और हर हफ्ते 48 घंटे तय किए गए हैं पर ओवरटाइम के घंटों के लिए दोगुना वेतन देना होगा। बीड़ी और सिगार श्रमिकों के लिए साल में 30 दिन काम करने के बाद ही बोनस के लिए पात्र किया गया है।

बागान मजदूरों, ऑडियो-विजुअल और डिजिटल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों, डबिंग आर्टिस्ट और स्टंट पर्सन समेत डिजिटल और ऑडियो-विजुअल कामगारों को भी नए लेबर कोड का हिस्सा बनाया गया है ताकि उन्हें इसका फायदा मिले। खदान मजदूरों समेत खतरनाक उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के साथ उनकी ऑन-साइट सेफ्टी मॉनिटरिंग के मानक तय किए गए हैं।

वस्त्र उद्योग, आईटी और आईटीईएस कर्मचारी भी दायरे में 

वस्त्र उद्योग, आईटी और आईटीईएस कर्मचारी, बंदरगाहों और निर्यात क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक भी इसके दायरे में लाए गए हैं। इन्हें हर महीने की सात तारीख तक वेतन का भुगतान अनिवार्य रूप से करना होगा। अब साल में 180 दिन काम करने के बाद ही कर्मचारी सालाना छुट्टी लेने का हकदार होगा।

इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर सिस्टम, शिफ्टिंग प्रणाली को लागू करने में सजा देने वाली कार्रवाई के बजाय मार्गनिर्देश, जागरुकता और अनुपालन संबंधी समर्थन पर जोर देना। लेबर कोड में विवाद के शीघ्र समाधान पर जोर है जिसमें दो सदस्यों वाले इंडस्टि्रयल ट्रिब्यूनल होंगे और सुलह के बाद सीधे ट्रिब्यूनल में जाने का विकल्प होगा।

कंपनियों के लिए सिंगल रजिस्ट्रेशन, सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न, कई ओवरलैपिंग फाइलिंग की जगह लेगा। नेशनल ओएसएच बोर्ड सभी सेक्टर में एक जैसे सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी मानदंड तय करेगा। 500 से अधिक कामगारों वाली जगहों पर जरूरी सुरक्षा समितियां होंगी, जिससे जवाबदेही बेहतर होगी। छोटी यूनिट के लिए रेगुलेटरी बोझ कम होगा।

लेबर कोड से क्या कुछ बदलेगा?

  • सभी वर्कर्स के लिए जरूरी अपॉइंटमेंट लेटर।
  • ट्रांसपेरेंसी और फॉर्मलाइजेशन को मजबूत करना।
  • यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी कवरेज, जिसमें गिग और प्लेटफार्म वर्कर्स शामिल हैं, PF, ESIC, इंश्योरेंस और दूसरे फायदे।
  • सभी वर्कर्स के लिए मिनिमम वेज का कानूनी अधिकार, जो पहले के लिमिटेड, शेड्यूल्ड-इंडस्ट्री फ्रेमवर्क की जगह लेगा।
  • 40 साल से ज्यादा उम्र के वर्कर्स के लिए फ्री सालाना हेल्थ चेक-अप, प्रिवेंटिव हेल्थकेयर को बढ़ावा देना।
  • सैलरी का समय पर पेमेंट जरूरी, अपनी मर्ज़ी से या देर से सैलरी देने के तरीकों को खत्म करना।
  • महिलाओं को माइनिंग और खतरनाक इंडस्ट्रीज़ सहित सभी सेक्टर्स में सुरक्षा उपायों और सहमति के साथ नाइट शिफ्ट में काम करने की इजाज़त।
  • छोटे और खतरनाक जगहों सहित पूरे भारत में ESIC कवरेज।
  • सिंगल रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस और रिटर्न, जिससे कम्प्लायंस का बोझ तेज़ी से कम होगा।

दैनिक जागरण


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