बोले- सावरकर को देशभक्ति के लिए याद करते
13 दिसम्बर, 2025 – नई दिल्ली : Mohan Bhagwat: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सावरकर के देशभक्ति गीत की 115वीं वर्षगांठ पर कहा कि अब भारत के लिए मरने का नहीं, जीने का समय है। उन्होंने समाज में बढ़ते टकराव पर चिंता जताई और ‘एक राष्ट्र’ की सोच पर जोर दिया।
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि अब समय देश के लिए मरने का नहीं, बल्कि देश के लिए जीने का है। श्री विजयपुरम में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने देश को सर्वोपरि रखने की बात दोहराते हुए कहा कि हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है और राष्ट्र निर्माण में सभी की भूमिका जरूरी है।
भागवत ने विट्ठल दामोदर सावरकर के देशभक्ति गीत ‘सागर प्राण तालयाला’ की 115वीं वर्षगांठ पर कहा कि सावरकर हमेशा देश को सबसे ऊपर रखते थे। उन्होंने कहा कि भारत में केवल भारत की भक्ति होनी चाहिए और “तेरे टुकड़े होंगे” जैसी भाषा बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।
एक राष्ट्र की सोच पर दिया जोर
भागवत ने समाज में जाति और धर्म के आधार पर बढ़ती खींचतान का जिक्र करते हुए कहा कि सावरकर कभी महाराष्ट्र या अपनी जाति का परिचय नहीं देते थे। वह हमेशा ‘एक राष्ट्र’ की सोच रखते थे। भागवत ने कहा कि देश को कमजोर करने वाली लड़ाइयों से दूर रहना होगा और यह विश्वास रखना होगा कि हम सब भारत हैं।
राष्ट्र के लिए जीने की अवधारणा
उन्होंने कहा कि अब भारत के लिए जीने का समय है, मरने का नहीं। उन्होंने रामसेतु निर्माण में गिलहरी के छोटे से योगदान का उदाहरण देते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण में हर व्यक्ति का योगदान मायने रखता है।
भागवत ने कहा कि सावरकर ने हमेशा देश के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया। उन्होंने कहा कि जब तक लोग निजी स्वार्थ छोड़कर काम नहीं करेंगे, तब तक सावरकर का सपना पूरा नहीं होगा। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे प्रोफेशनल बनें, पैसा कमाएं लेकिन देश को कभी न भूलें।
राष्ट्र पहले, बाकी सब बाद में
भागवत ने कहा कि देश के हितों को हर काम में सबसे पहले रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए संन्यासी बनने की जरूरत नहीं है, बल्कि अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए देशहित को प्राथमिकता देनी चाहिए।
कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री आशीष शेलार, पद्मश्री पंडित हृदयनाथ मंगेशकर, अभिनेता रणदीप हुड्डा, अभिनेता शरद पोंक्षे और इतिहासकार डॉ. विक्रम संपथ भी उपस्थित थे।
सावरकर के विचारों को जन-जन तक ले जाने की मांग
भागवत ने कहा कि सावरकर के विचारों को लोगों तक पहुंचाना जरूरी है, क्योंकि उन्हीं विचारों से एक मजबूत राष्ट्र तैयार हो सकता है। उन्होंने समाज में मौजूद विरोधाभास और अनावश्यक टकराव को खत्म करने की जरूरत बताई।
उन्होंने कहा कि यदि हर नागरिक अपने काम में निस्वार्थ भाव रखे और देश को प्राथमिकता दे, तो भारत विश्वगुरु बन सकता है। सावरकर ने भी इसी भावना से काम किया था और आज उसी विचारधारा को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
अमर उजाला