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अमर बलिदानी मोतीराम मेहरा एवं उनके परिवार का बलिदान

December 27, 2021 By Guest Author

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नवीन वर्मा

Sukhpreet singh Slatch on Twitter: "❤BABA MOTI RAM MEHRA❤ Baba Moti ram mehra was a servant in the kitchen of the Faujdar . He used to serve food to the Hindu prisoners.

दस लाख मुग़ल सैनिकों के साथ आनंदपुर साहब की 6 महीने से ज्यादा समय तक की घेराबंदी, हजारों  मुगल सैनकों की मौत और अपार धनहानि के बाबजूद सरहंद का नबाब “बजीर खान” न  तो गुरू गोविन्द सिंह  को पकड़ सका और न ही मार सका था। इस हार ने उसे  गुस्से  से इतना पागल कर दिया  था कि वो इंसानियत  ही भूल गया।

किसी गद्दार  की मुखबिरी से जब  वो माता गूजरी और छोटे साहबजादों को गिरफ्तार करने  में कामयाब  हो  गया तो उसने युद्ध में हार की हताशा का सारा गुस्सा उनपर और उनकी  मदद करने वालों पर निकाला। पहले उसने  उन बच्चो को  मुसलमान बनाकर, गुरु तेगबहादुर और गुरु गोविन्द सिंह के अनुयायियों को नीचा दिखाने का प्रयास  किया।

उसने उन बच्चों को धर्म बदलने पर वैभवपूर्ण जीवन और बड़े होने शहजादियों से विवाह का लालच दिया. जब वो नहीं माने तो उनको कडकडाती ठण्ड में माता गुजरी के साथ ठन्डे बुर्ज में  कैद कर दिया और उनको कुछ भी खाने पीने को देने से मना कर दिया. जेल में कैदियों को भोजन देने वाले मोतीराम मेहरा से यह देखा न गया। बाबा मोती राम मेहरा जी का इतिहास – baba moti ram mehra

वो अपने घर से जेवर और पैसे लेकर आये और सिपाहियों को रिश्वत देकर, माता गुजरी और  साहबजादों को चुपचाप गर्म दूध पिलाने जाने लगे। उन्होंने तीन दिन तक ऐसा किया लेकिन तीसरे दिन बजीर खान को इसकी खबर लग गई। यह जानकार वह गुस्से से आग बबूला हो गया और उसने मोतीराम मेहरा के पूरे परिवार को गिरफ्तार कर लिया।

बजीर खान ने मोतीराम मेहरा, उनकी बूढी माँ, उनकी पत्नी तथा उनके बच्चे को कोल्हू में पेरकर मारने का हुक्म दिया। मोतीराम मेहरा की आखों के सामने पहले उनके बच्चे को, फिर उनकी माँ को, फिर  उनकी पत्नी को कोल्हू में पेरा गया और उसके बाद मोती राम मेहरा को  भी कोल्हू में पेर कर शहीद कर दिया गया।

इस घटना को याद करके रोगटे खड़े हो जाते हैं। जब जब गुरु गोविन्द सिंह के पिता और उनके बच्चो की शहादत को याद किया जाएगा, तब तब मोतीराम मेहरा की कुर्बानी को भी याद किया जाएगा।


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