पंजाब में आतंकवाद अब नहीं लौट सकता। हालांकि, समय-समय पर खालिस्तान की आवाज बुलंद होती रही है, लेकिन पंजाब के लोगों की न कभी खालिस्तान की विचारधारा थी, न है और न कभी होगी। क्योंकि, यह पंजाब के आम लोगों की नहीं, बल्कि चंद रेडिकल ग्रुप्स की विचारधारा है।
प्रदेश में गैंगस्टर, स्मगलर और रेडिकल ग्रुप्स का नेक्सस है। ये सब मिलकर काम कर रहे हैं, जो पंजाब पुलिस के लिए चुनौती बन गए हैं। इसे तोड़ना है, तो पुलिस का लाइन ऑफ एक्शन ठोस होना चाहिए। पंजाब पुलिस काे इस समय ‘नो बेल, ओनली जेल’ की रणनीति पर काम करना होगा, तभी सिर उठाते आतंकवादियों पर नकेल लग सकेगी। खालिस्तानी सोच वाले कुछ लोग न 80 की दशक में कामयाब हुए थे, और न 2022 में हो सकेंगे।
पंजाब में यूथ के भटकने का सबसे बड़ा
कारण बेरोजगारी है, अगर समय पर रोजगार मिले तो कोई युवा भटक नहीं सकता। ’’
आंतकियों के खिलाफ सख्त रवैया जरूरी क्योंकि जो बंदूक के साथ जिंदा होता है वह बंदूक से ही मरता है
रोजगार नहीं मिलता इसलिए युवा आय के संसाधन जुटाने को गलत रास्ते पर चले जाते हैं। सही समय पर नौकरी मिले तो कोई भी युवा भटक नहीं सकता। पंजाब में न केवल ग्रॉस मिस मैनेजमेंट है, बल्कि ग्रॉस एक्सप्लॉयटेशन भी है। एक कहावत है,‘जो बंदूक के साथ जिंदा होता है, वह बंदूक से ही मरता है।’ इसलिए आतंकियों के लिए ‘नो बेल,ओनली जेल’ की नीति जरूरी है। पुलिस का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। उसे सही दिशा में काम करने की छूट मिलनी चाहिए।
इन ऑफ एक्शन तैयार करना पड़ेगा
पंजाब में पुलिस व बीएसएफ को लाइन ऑफ एक्शन तैयार करना पड़ेगा। अभी कहीं न कहीं चूक हो रही है। कोई न कोई लूप होल जरूर छूट रहा है। लाइन ऑफ डायरेक्शन सही होना चाहिए, तभी सही नतीजे सामने आ पाएंगे।
आतंकियों से हमें 7 कदम आगे रहना पड़ेगा
पुलिस को आतंकियों से 7 कदम आगे रहना पड़ेगा, तभी उनकी गतिविधियों को हम रोक पाएंगे। आतंकी हाईटेक हो चुके हैं, जबकि हमारी पुलिस अभी पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। पंजाब पुलिस को भी 5 गुना अधिक हाईटेक होना पड़ेगा।
पुलिस को आजादी मिले, आतंकवाद रोकने के लिए मजबूत सोच की जरूरत
पंजाब ने आतंकवाद का लंबा दौर झेला है। बढ़ती बेरोजगारी से पंजाब के युवा फिर भटकते नजर आने लगे हैं। आतंकी संगठन फायदा उठा रहे हैं। सरकार व पुलिस को इन्हें रोकने को ठोस कदम उठाने चाहिए। चंद संगठन बेरोजगार युवाओं को मिसगाइड कर रहे हैं। पंजाब पुलिस में राजनीतिक हस्तक्षेप भी बहुत है, पुुलिस को मजबूत सोच अपनानी होगी।
पुलिस का मुख्य काम प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करना है, इसलिए पंजाब पुलिस में राजनीतिक हस्तेक्षप रोका जाना चाहिए। पुलिस तभी फोकस हो काम कर पाएगी, जब उसे राजनीतिक हस्तक्षेप से आजादी मिलेगी। मोहाली में जो हुआ वह दोबारा न हो, इसके लिए सही सोच व दिशा की जरूरत है।
पुलिस का काम लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करना और आतंकवाद को रोकना है। राजनीतिक हस्तेक्षप रुकना चाहिए। ’’
पंजाब में आतंकवाद दोबारा सिर नहीं उठा सकता लेकिन रेडिकल्स ग्रुप पर दबाव बनाना भी जरूरी
मौजूदा आतंकवादी घटनाओं को देखकर थोड़ी चिंता जरूर होती है, लेकिन पंजाब में आतंकवाद दोबारा सिर नहीं उठा सकता। हां, यह जरूर है कि आतंकियों और रेडिकल ग्रुप्स पर दबाव बना कर रखना पुलिस के लिए बहुत जरूरी है।
गत दिनों मोगा में सरकारी इमारत पर खालिस्तान लिखने या झंडे को लेकर विवाद शुरू हुआ था, जो हिमाचल तक पहुंच गया। साफ है जब-जब स्टेट पॉलिटिक्स ने पुलिस का ध्यान भटकाया, रेडीकल ग्रुप हावी हो गए। पुलिस का राजनीतिकरण होने से लॉ एंड ऑर्डर पर प्रभावित होता है।
आतंकवाद मिटाने में लीडरशिप का रोल अहम
राजनेताओ की जो भूमिका होनी चाहिए वो है नहीं। विदेश में बैठे आतंकी इसका लाभ उठा रहे हैं। लीडरशिप की गलत सोच व राजनीतिक लाभ के चलते ही पंजाब के लोगों को 25 साल आतंकवाद का संताप भुगतना पड़ा था।
ड्रग अगेंस्ट पॉलिसी के लिए डायरेक्शन हो
पंजाब आतंकवाद व ड्रग्स से जूझ रहा है। नॉरकोटेरोरिज्म तभी मिटेगा, जब सरकारी मशीनरी चलाने वाले ईमानदारी से ठोस प्लानिंग करें व पुलिस को ड्रग अगेंस्ट पॉलिसी के लिए क्लीयर डायरेक्शन मिले।
जैसा, भास्कर के सुखबीर सिंह बाजवा को बताया
सौजन्य : दैनिक भास्कर
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