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The Punjab Pulse

Centre for Socio-Cultural Studies

कांग्रेस से जुदा होते बड़े चेहरे : कमजोर हो रही कांग्रेस

November 30, 2021 By Guest Author

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लेखक: पूनम कौशल

Congress is pauperism in UP employees angry due to non-payment of salary UP  में कंगाल हुई कांग्रेस, वेतन न मिलने से नाराज कर्मचारियों का हंगामा - News  Nation

2022, 2023 और 2024 में योगी से मोदी तक से कैसे मुकाबला करेगी कांग्रेस

30 नवम्बर, 2021 – जहाज तूफान में फंसा है। ‘चतुर सवार’ लाइफ जैकेट और बोट लेकर निकल रहे हैं। जो टिके हैं उन्हें नहीं मालूम कि ये किनारे लग पाएगा या नहीं। सबसे बड़ी विडंबना ये है कि कप्तान भी लापता है। भारतीय राजनीति पर नजर रखने वालों के लिए अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि ये जहाज कांग्रेस पार्टी है, जो आजादी के बाद सबसे लंबे वक्त तक सत्ता पर काबिज रहने के बाद अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है।

मणिपुर-मेघालय हो या फिर UP या पंजाब, हर प्रांत में पार्टी के छोटे-बड़े, नए-पुराने नेता दल बदल रहे हैं। कई राज्यों में हालत ऐसी है कि पार्टी की पूरी यूनिट खत्म हो चुकी है। बीते पांच सालों में पार्टी भीतरघात के चलते कर्नाटक, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और गोवा में सरकार गंवा चुकी है।

7 सालों से केंद्रीय सत्ता से बाहर ग्रैंड ओल्ड पार्टी अब बस छत्तीसगढ़, राजस्थान और पंजाब में ही सरकार चला रही है। इसके अलावा महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु में कांग्रेस सत्ताधारी गठबंधन में हैं। अगले साल उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड, मणिपुर, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव है। इस बीच पार्टी से नेताओं का जाना जारी है। ऐसे में सवाल है कि 2022 में UP, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश में, 2023 में राजस्थान, MP और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में योगी से लेकर मोदी तक से कांग्रेस कैसे मुकाबला कर पाएगी।

क्या खाली होती कांग्रेस चुनावों में मजबूत चुनौती पेश कर पाएगी?

उत्तर प्रदेश

पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी दिन-रात एक करके उत्तर प्रदेश में पार्टी की खोई जमीन तलाशने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन इस बीच पार्टी से नेताओं का जाना जारी है। गांधी परिवार की करीबी रही अदिति सिंह दल बदलकर भाजपा में शामिल हो गई हैं। अदिति UP में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली से विधायक हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर कांग्रेसी नेता हरेंद्र मलिक भी अपने बेटे के साथ कुछ दिन पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।

इनसे पहले रीता बहुगुणा जोशी, जगदंबिका पाल और जितिन प्रसाद जैसे बड़े नेता पार्टी को छोड़ कर BJP में शामिल हो चुके हैं। रीता बहुगुणा और जगदंबिका पाल BJP के टिकट पर सांसद हैं। जबकि जितिन प्रसाद को UP सरकार ने कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।

अदिति सिंह रायबरेली से कांग्रेस की विधायक थीं। अब वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुकी हैं।

हाल ही में पार्टी के पूर्व सांसद राजाराम पाल ने भी समाजवादी पार्टी का दामन थामा है। पूर्व CM कमलापति त्रिपाठी के बेटे राजेश पति त्रिपाठी भी कांग्रेस छोड़ चुके हैं। ललितेश पति त्रिपाठी ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। ललितेश पति त्रिपाठी कमला पति त्रिपाठी के परपोते हैं। जालौन के उरई से विधायक और प्रियंका गांधी की सलाहकार समिति में रहे विनोद चतुर्वेदी भी अब समाजवादी हो गए हैं। UP में कांग्रेस महासदस्यता अभियान चला रही है, लेकिन पार्टी के पुराने वफादार नेताओं को नहीं रोक पा रही है।

मणिपुर

60 विधानसभा सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस ने 2017 में 15 सीटें जीती थीं। हाल ही में पार्टी के दो विधायक राजकुमार इमो सिंह और यमथोंग हाओकिप BJP में शामिल हो गए हैं। मणिपुर में कुछ महीनों बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं। पिछले साल जून में जब BJP के कुछ विधायकों ने बगावत की थी तो लगा था कि कांग्रेस सत्ता के करीब पहुंच सकती है, लेकिन पावर गेम में कांग्रेस पिछड़ गई और अब पार्टी के लिए अपने नेताओं को बचाए रखना ही चुनौती हो गया।

मेघालय

मेघालय में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस में सेंध लगाई है। यहां के पूर्व CM मुकुल संगमा समेत 12 विधायक TMC में शामिल हो गए हैं। 60 सदस्यों की मेघालय विधानसभा में 2018 में हुए चुनावों में कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थीं, लेकिन पार्टी यहां सत्ताधारी गठबंधन नहीं बना सकी थी। 47 सीटों पर लड़कर दो सीटें जीतने वाली BJP यहां सत्ता में शामिल है। अब मेघालय में ममता ने कांग्रेस पर ऐसी स्ट्राइक की है कि यहां पार्टी के लिए अपना अस्तित्व बचाए रखना ही मुश्किल हो गया है।

पंजाब

A unique record was made as soon as Captain Amarinder was removed this  happened after 24 years in the history of Punjab - कैप्टन अमरिंदर के हटते  ही बना अनोखा रिकॉर्ड, पंजाब

पंजाब के मुख्यमंत्री और दशकों से कांग्रेस का चेहरा रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने सियासी करियर के अंतिम पड़ाव पर पहुंचते-पहुंचते पार्टी को अलविदा कह दिया। BJP से आए नवजोत सिंह सिद्धु और अमरिंदर के बीच ऐसा टकराव पैदा हुआ कि अपने आप को गांधी परिवार का वफादार कहने वाले कैप्टन अमरिंदर को पद छोड़कर पार्टी से अलग होना पड़ा। अमरिंदर सिंह अब अपनी नई पार्टी बनाकर BJP के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाश रहे हैं।

मध्यप्रदेश

राहुल गांधी के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मार्च 2020 में 22 कांग्रेसी विधायकों के साथ पार्टी छोड़कर BJP का दामन थाम लिया था। सिंधिया के इस कदम से कमलनाथ की सरकार गिर गई और चुनावी मैदान में शिकस्त खाने वाले BJP के शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए। कांग्रेस मध्य प्रदेश में लगे इस झटके से अभी तक उबर नहीं सकी है।

कर्नाटक

कर्नाटक में भी कांग्रेस के विधायकों की दगाबाजी के चलते जनता दल सेक्यूलर के साथ गठबंधन सरकार गिर गई और BJP के येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि, BJP ने अब येदियुरप्पा को पद से हटाकर बसावराज बोम्मई को CM बनाया है। कर्नाटक में सत्ता में रहते हुए भी कांग्रेस भीतरी खींचतान को मैनेज नहीं कर पाई और नतीजा ये हुआ कि पार्टी भी टूटी गई। कर्नाटक में पार्टी के पूर्व CM और केंद्रीय मंत्री रह चुके एसमएम कृष्णा भी BJP का दामन थाम चुके हैं।

गोवा

2017 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी। कांग्रेस ने 40 में से 17 सीटें जीतीं थीं। बावजूद इसके वह सरकार नहीं बना सकी। अब चार साल बाद गोवा में कांग्रेस लगभग खत्म हो चुकी है। पार्टी के 17 में से 13 विधायक या तो इस्तीफा दे चुके हैं या दल बदल चुके हैं। हाल ही में सितंबर में विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हों फलेरियो ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया। 2022 चुनावों से पहले अब कांग्रेस के पास सिर्फ चार विधायक रह गए हैं जो आपस में बंटे हुए हैं। गोवा में तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी अपनी जगह बनाने की कोशिशें कर रही हैं, ऐसे में कांग्रेस के लिए हालात और भी मुश्किल होंगे।

असम

हिमंता बिस्वा शर्मा फिलहाल असम के मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले वे कांग्रेस में थे।

असम कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ हुआ करता था। तरुण गोगोई यहां 2001 से 2016 तक लगातार CM रहे, लेकिन 2015 में पार्टी के कद्दावर नेता हिमंता बिस्व शर्मा BJP में शामिल हो गए। हिमंता शर्मा ने असम समेत पूर्वोत्तर में BJP के लिए रास्ते बनाने शुरू किए। 2016 में सत्ता में आई BJP ने 2021 चुनाव भी आसानी से जीत दर्ज की।

पार्टी की कद्दावर नेता और ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सुष्मिता देव के तृणमूल में जाने के बाद से कांग्रेस असम में अपने नेताओं को रोकने की जुगत में लगी है। खासकर बंग्लाभाषी बराक घाटी के तीन जिलों में कांग्रेस को डर है कि कहीं ममता यहां पार्टी पर स्ट्राइक न कर दें। सुष्मिता देव कह ही चुकी हैं कि TMC मेघालय के बाद असम की तरफ बढ़ रही है। हाल ही में पार्टी की नेता रूपज्योति कुर्मी और सुशांत बोरगोहेन BJP का दामन थाम चुके हैं।

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में कांग्रेस सत्ता में है, लेकिन पार्टी के कई बड़े नेता या तो दल बदल चुके हैं या फिर सक्रिय राजनीति से दूर हैं। पार्टी की प्रवक्ता और टीवी मीडिया में चेहरा रहीं प्रियंका चतुर्वेदी अब शिवसेना में हैं और राज्य सभा सांसद हैं। कांग्रेस की तरफ से CM रह चुके नारायण राणे अब भाजपा में हैं और केंद्रीय मंत्री हैं। पूर्व मंत्री राधाकृष्णा विखे पाटिल भी 2019 में BJP में शामिल हो चुके हैं।

हरियाणा

2019 विधानसभा चुनावों में हरियाणा में कांग्रेस ने सीटों की संख्या तो बढ़ाई, लेकिन सत्ता तक नहीं पहुंच सकी। BJP ने JJP के साथ गठबंधन सरकार बना ली। पार्टी में विवाद के चलते तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को पार्टी से अलविदा होना पड़ा। इससे पहले चौधरी बीरेंद्र सिंह 2014 लोकसभा चुनावों के बाद BJP में शामिल हो गए थे।

जम्मू-कश्मीर

जम्मू कश्मीर में आजाद गुट के 20 सीनियर नेताओं ने पार्टी को अलविदा कह दिया। इनमें चार पूर्व मंत्री हैं और तीन पूर्व विधायक हैं। पार्टी छोड़ते वक्त इन नेताओं ने भी बाकी राज्य के नेताओं की तरह ही केंद्रीय नेतृत्व पर ध्यान न देने के आरोप लगाए। जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग की जा चुकी है और राज्य में चुनाव कब होंगे, इस बारे में कोई अधिकारिक जानकारी नहीं है। हालांकि अगर यहां जल्द चुनाव हुए तो कांग्रेस इसके लिए बहुत तैयार नहीं होगी।

उत्तराखंड

former chief minister harish rawat and congress state president pritam singh  gives support to extend lockdown to tackle corona pandemic menace in  uttarakhand - कोरोना के खिलाफ जंग में विपक्ष आया आगे,

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और राज्य में पार्टी के प्रमुख प्रीतम सिंह रावत के अलग-अलग कैंप हैं, जिनके बीच रस्साकशी चुनावों में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। हालांकि कांग्रेस के लिए उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य है, जहां भाजपा के नेता कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। पिछले दिनों BJP सरकार में मंत्री रहे यशपाल महाराज और उनके विधायक बेटे ने अक्टूबर में ही कांग्रेस का दामन थामा है।

कांग्रेस पार्टी पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी का सबसे बड़ा संकट ये है कि पार्टी ना ही अपना नेतृत्व तय कर पा रही है और ना ही दिशा। राहुल गांधी ना-ना करके पार्टी अध्यक्ष पद से हट चुके हैं, लेकिन उनका दखल बरकरार है। पार्टी ठोस सेक्युलरिज्म और सॉफ्ट हिंदुत्व के बीच झूल रही है।

पार्टी नेतृत्व पुराने धुरंधरों और अगली पीढ़ी के युवा नेताओं के बीच आगे रहने की स्पर्धा का भी प्रबंधन नहीं कर पा रही है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में भी एक अंडरकरंट चल रहा है। इसे मैनेज करने की कोशिशें तो हो रही हैं, लेकिन गाहे-बगाहे इससे पार्टी को झटके लग ही रहे हैं। सियासी तूफान में फंसे कांग्रेस के जहाज को अब ऐसे कप्तान की जरूरत है जो बाहरी झंझावतों के अलावा अंदरूनी भीतरघात से भी पार्टी को बचा सके।

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