सौरभ कपूर
पंजाब की कांग्रेस सरकार के षड्यंत्र के द्वारा विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेतृत्वकर्ता को (बठिंडा-फिरोजपुर) फ्लाईओवर पर लगभग आधा घंटा बिताना पड़ा। वो भी तब, जब वह पंजाब के कल्याण हेतु फ़िरोज़पुर में हजारों करोड़ की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ करने वहां पहुंच रहे थे। पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी के काफिले को रोका गया। पीएम की सुरक्षा में हुई इस तरह की चूक में कांग्रेस के षड्यंत्र की बदबू सामने आ रही है, इसे पंजाब की जनता कांग्रेस को कभी माफ़ नहीं करेगी।
जानबूझकर देश के प्रधानमंत्री की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई, राष्ट्र के सबसे महत्वपूर्ण पद का अपमान किया गया। यह देश का अपमान है। देश के संघीय ढांचे की अवहेलना है। यह आंतरिक सुरक्षा से खिलवाड़ है।
कांग्रेस हमेशा से ही अलगाव की प्रवृत्ति रखती है। इसलिए ही गृह मंत्रालय को भरोसा दिए जाने के बाद भी प्रधानमंत्री को क्लीयर रूट नहीं मिलता। उनके काफिले के सामने खुले मार्ग पर बाधा खड़ी कर दी जाती है। साफ है कि यह मोदी जी को पंजाब की जमीन से दूर रखने के षड्यंत्र का एक घृणित कुचक्र था। प्रधानमंत्री की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी थी लेकिन मुख्यमंत्री चन्नी ने इस संदर्भ में फोन उठाना तक जरूरी नहीं समझा।
जो सरकार पंजाब में अमन कानून नही बना सकती, उस को पंजाब में एक मिनट भी राज करने का कोई हक नही। सरकारें आती जाती रहेंगी,पर देश का संविधान बचना चाहिए।
लगी नज़र पंजाब नू, कोई इस दी नज़र उतारो।
लै के मिर्चा कोडिया, इस दे सिर तो बारों।
आज जो मोदी जी के साथ हुआ और पूरे पंजाब में जो हुआ उनके इन वीडियो से स्पष्ट हो गया है कि पंजाब देश विरोधी ताकतो का अड्डा बन गया है और राहुल गांधी के इशारे पर चन्नी सरकार दोबारा 1980 वाले दौर में पंजाब को धकेल रहीं है। वर्तमान समय में पंजाब के अंदर एक बार फिर से आतंकवादी गतिविधियां पैर पसार रही है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में ये चूक बेहद घटिया राजनीतिक तथा साजिश का सुबूत है।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक से खुश होने वालों को ये बात याद रखनी चाहिए कि नरेंद्र मोदी इस देश के प्रधामनंत्री है कोई भी ऐसी चूक देश की छवि खराब करती है। भारत दौरे पर आने वाले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के सुरक्षा अधिकारी इन बातों का संज्ञान लेते है। हमने पहले ही ऐसी लापरवाहियों के चलते अपने दो प्रधानमंत्री के अलावा एक मुख्यमंत्री तथा थलसेना अध्यक्ष जनरल अरुण श्रीधर वैद्य को भी सुरक्षा में हुई चूक की वजह से खो दिया है।
एडवांस सिक्योरिटी लायजनिंग (ASL) टीम और SPG के साथ प्रदेश सरकार में मौजूद वो पुलिस अधिकारी जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई उन्हें डेप्यूटेशन में केंद्र पर बुला कर उनकी सही से खाल उतारी जाएं।
पंजाब में इस तरह की हरकत से कई प्रश्न उठते है। विपक्ष की सरकार किसी राज्य में हो तो प्रधानमन्त्री की सुरक्षा में जानबूझकर चूक करने का उसे अधिकार है?भारत के सिवा किसी देश में ऐसा सम्भव है?यदि किसी अन्य देश में ऐसा हो तो उस राज्य की सरकार को तत्काल भंग किया जायगा वा भारत की तरह केवल प्रतिवाद करके भुला दिया जायगा?
प्रधानमन्त्री की सुरक्षा में जानबूझकर चूक के पश्चात अब केन्द्र का कर्तव्य है कि समूचे देश में आरक्षी विभाग केन्द्र के सुपुर्द कर दिया जाए और राज्य के गृह मन्त्रालय का नियन्त्रण केवल होम गार्ड और गाँव के चौकीदार पर रहे। इसके लिए संविधान संशोधन करने का बहुमत केंद्र सरकार अभी जुटा सकती है, हो सकता है भविष्य में ऐसा बहुमत और ऐसा अवसर न मिले। ऐसा करने पर हंगामा बहुत होगा। किन्तु अभी केन्द्र के पास अच्छा कारण है। परन्तु साहस है?जनता आवाज उठाये तो साहस हो सकता है। सरकार की शक्ति और साहस जनता है। इसलिए पंजाब की जनता अब ये ही चाहती है। पंजाब को चन्द लोगों ने बंधक बना लिया है। उसे मुक्त करने का यही एक तरीका है।
चाहे आज चन्नी सरकार की शह पर पुलिस ने उपद्रवियों से मिलकर मोदी के काफिले पर हमला करने की साज़िश रखी, फिर भी मोदी की सूझ बूझ व बड़प्पन ने आज फिर पंजाब व देश को जलने से बचा लिया। सबसे आखिरी में वो अधिकारी जिन्होंने अपने राजनीतिक आकाओं के इशारों में ये सब करवाया है उन्होंने अपनी कर्तव्य परायणता की शपथ का अपमान किया। पंजाब सरकार की वजह से आज राज्य और देश जनता को भी पीड़ा पहुंची है। देश यह सब माफ नहीं करेगा।
(सौरभ कपूर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (पंजाब–चंडीगढ़) के प्रदेश सह संगठन मंत्री है मो : 7837811000)
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