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खालिस्तान फिर चर्चा में; सिख आतंक की वो कहानी जिसने PM, CM और आर्मी चीफ तक को मार डाला

February 21, 2022 By Guest Author

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Arvind Kejriwal Khalistan Allegations: कुमार विश्वास के आरोपों के बाद भड़के  युवा कांग्रेसी, केजरीवाल के घर के पास किया प्रदर्शन - youth congress  protested near kejriwal's residence ...

लेखक: नीरज सिंह

अरविंद केजरीवाल के बहाने खालिस्तान और खालिस्तानी एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार मौका पंजाब चुनाव का है। इससे पहले तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर एक साल तक चले किसानों के आंदोलन के दौरान भी सोशल मीडिया खालिस्तान से जुड़े हैशटैग से भर गया था। सत्ता से जुड़े तमाम लोगों ने किसान आंदोलन को खालिस्तानियों का आंदोलन करार दिया था।

हालांकि, खालिस्तान आंदोलन अब इतिहास बन चुका है। गिने-चुने लोगों को छोड़ दें, तो सिखों के बीच इस आंदोलन का समर्थन गुम हो चुका है।

खालिस्तान आतंकियों और उनके समर्थकों ने देश की पूर्व PM इंदिरा गांधी, पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह और पूर्व आर्मी चीफ जनरल एएस वैद्य की भी हत्या कर दी थी।

Before voting in Punjab, once again Khalistan and Khalistani are in  discussion on the pretext of Kejriwal, know what was the answer to 6  questions | खालिस्तान फिर चर्चा में; जानिए सिख

क्या था खालिस्तान आंदोलन

  • खालिस्तान आंदोलन की कहानी 1929 में शुरू होती है। कांग्रेस के लाहौर सेशन में मोतीलाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव रखा। इस दौरान तीन तरह के समूहों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।
  • पहला- मोहम्मद अली जिन्ना की अगुआई में मुस्लिम लीग। दूसरा समूह दलितों का था। जिनकी अगुआई डॉ. भीमराव अंबेडकर कर रहे थे। अंबेडकर दलितों के लिए अधिकारों की मांग कर रहे थे। तीसरा गुट मास्टर तारा सिंह की अगुआई में शिरोमणि अकाली दल का था।
  • तारा सिंह ने पहली बार सिखों के लिए अलग राज्य की मांग रखी। 1947 में यह मांग आंदोलन में बदल गई। इसे नाम दिया गया पंजाबी सूबा आंदोलन।
  • आजादी के समय पंजाब को दो हिस्सों में बांट दिया गया। शिरोमणि अकाली दल भारत में ही भाषाई आधार पर एक अलग सिख सूबा यानी सिख प्रदेश मांग रहा था। स्वतंत्र भारत में बने राज्य पुनर्गठन आयोग ने यह मांग मानने से इनकार कर दिया।
  • पूरे पंजाब में 19 साल तक अलग सिख सूबे के लिए आंदोलन और प्रदर्शन होते रहे। इस दौरान हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगी। आखिरकार 1966 में इंदिरा गांधी सरकार ने पंजाब को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला किया।
  • सिखों की बहुलता वाला पंजाब, हिंदी भाषा बोलने वालों के लिए हरियाणा और तीसरा हिस्सा चंडीगढ़ था।
  • चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। इसे दोनों नए प्रदेशों की राजधानी बना दिया गया। इसके अलावा पंजाब के कुछ पर्वतीय इलाके को हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया।
  • इस बड़े फैसले के बावजूद कई लोग इस बंटवारे से खुश नहीं थे। कुछ लोग पंजाब को दिए गए इलाकों से नाखुश थे तो कुछ साझा राजधानी के विचार से खफा थे।

आनंदपुर साहिब रिजोल्यूशन क्या था?

  • पंजाबी आंदोलन से अकाली दल को खूब राजनीतिक फायदा मिला। इसके बाद प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में पार्टी ने कांग्रेस को 1967 और 1969 के विधानसभा चुनावों में कड़ी टक्कर दी।
  • हालांकि, 1972 का चुनाव अकालियों के बढ़ते राजनीतिक ग्राफ के लिए काफी खराब साबित हुआ। कांग्रेस सत्ता में आई। इसने शिरोमणि अकाली दल को सोचने पर मजबूर किया।
  • 1973 में अकाली दल ने अपने राज्य के लिए स्वायत्तता, यानी ज्यादा अधिकारों की मांग की। इस स्वायत्तता की मांग आनंदपुर साहिब रिजोल्यूशन के जरिए मांगी गई थी।
  • आनंदपुर साहिब प्रस्ताव में सिखों ने ज्यादा स्वायत्त पंजाब के लिए अलग संविधान बनाने की मांग रखी। 1980 तक आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के पक्ष में सिखों के बीच समर्थन बढ़ता गया।

खालिस्तान फिर चर्चा में; जानिए सिख आतंक की वो कहानी जिसने PM, CM और...

 कौन था जरनैल सिंह भिंडरांवाले?

  • आनंद साहिब रिजोल्यूशन का ही एक कट्टर समर्थक था जरनैल सिंह भिंडरांवाले। एक रागी के रूप में सफर शुरू करने वाले भिंडरांवाले आगे चल कर आतंकी बन गया।
  • जानेमाने सिख पत्रकार खुशवंत सिंह का कहना था कि भिंडरांवाले हर सिख को 32 हिंदुओं की हत्या करने को उकसाता था। उसका कहना था कि इससे सिखों की समस्या का हल हमेशा के लिए हो जाएगा।
  • 1982 में भिंडरांवाले ने शिरोमणि अकाली दल से हाथ मिला लिया और असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया। यही असहयोग आंदोलन आगे चलकर सशस्त्र विद्रोह में बदल गया।
  • इस दौरान जिसने भी भिंडरांवाले का विरोध किया वह उसकी हिट लिस्ट में आ गया। इसी के चलते खालिस्तान आतंकियों ने पंजाब केसरी के संस्थापक और एडिटर लाला जगत नारायण की हत्या कर दी। आतंकियों ने अखबार बेचने वाले हॉकर तक को नहीं छोड़ा।
  • कहा जाता है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने उस समय अकाली दल के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भिंडरांवाले का समर्थन किया।
  • इसके बाद सुरक्षाबलों से बचने के लिए भिंडरांवाले स्वर्ण मंदिर में जा घुसा। दो साल तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। इसी दौरान भिंडरांवाले स्वर्ण मंदिर परिसर में बने अकाल तख्त पर काबिज हो गया।

भारतीय सेना को क्यों बुलाना पड़ा?

  • पहले अन्य विकल्पों पर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भिंडरांवाले को पकड़ने के लिए एक गुप्त ‘स्नैच एंड ग्रैब’ ऑपरेशन को लगभग मंजूरी दे दी थी। इस ऑपरेशन के लिए 200 कमांडो को प्रशिक्षित भी किया गया था।
  • जब इंदिरा गांधी ने पूछा कि इस दौरान आम लोगों को कितना नुकसान हो सकता है, इस पर उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद ऑपरेशन सनडाउन को रोक दिया गया।
  • इसके बाद सरकार ने सेना को भेजने का फैसला ले लिया। कहा जाता है कि 5 जून को कांग्रेस (I) के सभी सांसदों और विधायकों को जान से मारने की धमकी और गांवों में हिंदुओं की सामूहिक हत्याएं शुरू करने की योजना का खुलासा होने के बाद यह फैसला किया गया।

ऑपरेशन ब्लूस्टार क्या था?

  • इंदिरा सरकार ने स्वर्ण मंदिर को भिंडरांवाले और हथियारबंद समर्थकों से खाली कराने के लिए सेना का जो अभियान शुरू किया, उसे ऑपरेशन ब्लू स्टार नाम दिया गया था।
  • 1से 3 जून 1984 के बीच पंजाब में रेल सड़क और हवाई सेवा बंद कर दी गईं। स्वर्ण मंदिर को होने वाली पानी और बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई। अमृतसर में पूरी तरह कर्फ्यू लगा दिया गया था।
  • CRPF सड़कों पर गश्त कर रही थी। स्वर्ण मंदिर में आने-जाने वाले सभी एंट्री और एग्जिट पॉइंट को भी पूरी तरह से सील कर दिया गया था।
  • 5 जून 1984 को रात 10:30 बजे ऑपरेशन का पहला चरण शुरू किया गया था। स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर की इमारतों पर आगे से हमला शुरू किया गया। इस दौरान खालिस्तानी आतंकियों ने भी सेना पर खूब गोलीबारी की।
  • सेना आगे नहीं बढ़ पा रही थी। उधर, पंजाब के बाकी हिस्सों में सेना ने गांवों और गुरुद्वारों से संदिग्धों को पकड़ने के लिए एक साथ अभियान भी शुरू कर दिया था।
  • एक दिन बाद जनरल केएस बरार ने स्थिति से निपटने के लिए टैंक की मांग की। 6 जून को टैंक परिक्रमा तक सीढ़ियों से नीचे लाए गए। गोलीबारी में अकाल तख्त के भवन को भारी नुकसान हुआ। कुछ घंटों बाद भिंडरांवाले और उसके कमांडरों के शव बरामद कर लिए गए।
  • 7 जून तक भारतीय सेना ने परिसर पर कंट्रोल कर लिया। ऑपरेशन ब्लूस्टार 10 जून 1984 को दोपहर में समाप्त हो गया। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान सेना के 83 जवान शहीद हुए और 249 घायल हो गए।
  • सरकार के अनुसार, हमले में 493 आतंकवादी और नागरिक मारे गए। हालांकि कई सिख संगठनों का दावा है कि ऑपरेशन के दौरान कम से कम 3,000 लोग मारे गए थे।

ऑपरेशन खत्म होने के बाद क्या हुआ?

  • ऑपरेशन ब्लूस्टार में निर्दोष लोगों की मौत होने के विरोध में कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित कई सिख नेताओं ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। खुशवंत सिंह सहित प्रमुख लेखकों ने अपने सरकारी पुरस्कार लौटा दिए।
  • चार महीने बाद 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख बॉडीगार्ड्स ने गोली मारकर हत्या कर दी।
  • इसके बाद हुए 1984 में सिख विरोधी दंगों में 8,000 से ज्यादा सिख मार दिए गए। सबसे ज्यादा दंगे दिल्ली में हुए। आरोप है कि इन दंगों को कांग्रेस नेताओं ने बढ़ावा दिया।
  • एक साल बाद 23 जून 1985 में कनाडा में रह रहे खालिस्तान समर्थकों ने एअर इंडिया की फ्लाइट को बम रखकर उड़ा दिया। इस दौरान 329 लोगों की मौत हो गई। बब्बर खालसा के आतंकियों ने इसे भिंडरांवाले की मौत का बदला करार दिया।
  • 10 अगस्त 1986 को ऑपरेशन ब्लूस्टार को लीड करने वाले पूर्व सेना प्रमुख जनरल एएस वैद्य की पुणे में दो बाइक सवार आतंकियों ने हत्या कर दी थी। खालिस्तान कमांडो फोर्स ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली थी।
  • 31 अगस्त 1995 को एक सुसाइड बॉम्बर ने पंजाब के CM बेअंत सिंह की कार के पास खुद को उड़ा लिया था। इसमें बेअंत सिंह की मौत हो गई थी। सिंह को आतंकवाद का सफाया करने का श्रेय दिया जाता था।

सौजन्य : दैनिक भास्कर


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parwati_93 पार्वती आर्य @parwati_93 ·
3h

आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है...
पाकिस्तान में पेट्रोल की कमी के कारण नए अविष्कार ने जन्म लिया है👇🤣🤣🤣

Reply on Twitter 1622858416124461057 Retweet on Twitter 1622858416124461057 120 Like on Twitter 1622858416124461057 143 Twitter 1622858416124461057
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pun_fact PunFact @pun_fact ·
4h

Some people armed with swords stopped a school bus following an altercation with the bus driver in Gurdaspur. They didn't even care about crying children in the bus 👎

Reply on Twitter 1622848711096258563 Retweet on Twitter 1622848711096258563 85 Like on Twitter 1622848711096258563 122 Twitter 1622848711096258563
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sudhir_mish Sudhir Mishra 🇮🇳 @sudhir_mish ·
6 Feb

लाइव “धर्मांतरण” का पर्दाफाश हुआ !! कहती है सर सिर्फ एक बार पढ़ लो !!

यह धर्मांतरण “सतर्कता” एकता से रूक सकता है?
https://twitter.com/i/spaces/1YpKkgeMXnwKj

Reply on Twitter 1622542156547379200 Retweet on Twitter 1622542156547379200 4404 Like on Twitter 1622542156547379200 9261 Twitter 1622542156547379200
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